इंदौर. बुजुर्गों के साथ युवा भी गंजेपन यानी बाल झड़ने की समस्या लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। युवाओं में तनाव, खानपान और हार्मोंस में बदलाव इसकी प्रमुख वजह बन रहा है। एमवायएच अस्पताल के त्वचा रोग विभाग में सरकारी खर्च पर इलाज कराने के लिए युवा पहुंच रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या महिलाओं की भी है। विभाग में इलाज के साथ ही प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा (पीआरपी) थैरेपी से नए बाल उगाए जा रहे हैं, जिससे युवा मानसिक तनाव से भी बच रहे हैं। त्वचा रोग विभाग में हर रोज लगभग 400 मरीज पहुंचते हैं। इनमें से 15 फीसदी मरीज असमय बाल झड़ने या गंजेपन की समस्या लेकर आते हैं।
डॉक्टरों के अनुसार जांच के बाद इनमें से 10 फीसदी मरीज नॉन सिक्रिशन वाले होते हैं, ये दवा से ही ठीक हो जाते हैं। जो मरीज सिक्रिशन वाले होते हैं, उन्हें पीआरपी थैरेपी दी जाती है। पहले हर माह लगभग 20 मरीजों को इस थैरेपी से इलाज दिया जा रहा था।
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पुरुर्षों में हार्मोंस बदलाव कारण
अनेक युवा भी बाल झड़ने की समस्या से परेशान हैं। इसका प्रमुख कारण हार्मोंस में बदलाव, अनियमित खानपान और अधिक मानसिक और शारीरिक श्रम भी है। तनाव में रहने के कारण भी ये समस्या सामने आ रही है।
महिलाओं में आयरन की कमी वजह
अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। डॉक्टरों के अनुसार, इनमें आयरन की कमी प्रमुख कारण है। इसके अलावा कम हीमोग्लोबिन, पौष्टिक भोजन की कमी, थायरॉइड या प्रसव के बाद यह समस्या होती है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट ?
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के त्वचा और चर्म रोग विभाग के हेड डॉ. राहुल नागर का कहना है कि, बाल झड़ने की समस्या से बचने तनाव बिल्कुल नहीं लें। पौष्टिक भोजन का सेवन करें। पीआरपी थैरेपी से उपचार कराने वाले लोग बढ़े हैं। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। दो माह में परिणाम दिखने लगते हैं।
इस तरह दी जा रही थैरेपी
मरीज के शरीर से थोड़ा खून लेकर इसमें से प्लेटलेट्स को अलग किया जाता है। इसके बाद एफेरेसिस मशीन में प्लाज्मा और लाल रक्त कणिकाओं को अलग किया जाता है। इसे इंजेक्शन में भरकर इलाज किया जाता है।
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