इंदौर. स्वच्छता सर्वेक्षण बरसात में होगा। इस कारण तय मापदंड पर खरा उतरना मुश्किल होगा। इसलिए निगमायुक्त ने स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) की डायरेक्टर को देरी से होने वाले सर्वे के साइड इफेक्ट बताए हैं। इस पर उन्होंने थोड़ी राहत देने के संकेत दिए हैं। संभवत:अगले महीने जुलाई में सर्वे करने के लिए टीम आ सकती है। इसके लिए निगम का अमला व्यवस्थाओं को चाक चौबंद करने में जुट गया हैं।
केंद्र सरकार की ओर से स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 इस वर्ष 6 माह देरी से करवाया जा रहा है। यह पहला मौका है कि हर वर्ष जनवरी में होने वाला सर्वे जुलाई में करवाया जा रहा। पिछले 7 वर्षों में सर्वेक्षण साल की शुरुआत या फिर अप्रैल तक पूरा हो जाया करता था। सर्वेक्षण में हुई देरी का असर इसके मापदंडों, नियम और शर्तों पर विपरीत पड़ेगा। साथ ही कोई भी शहर तय मापदंडों पर खरा नहीं उतर पाएगा। सबसे बड़ा कारण बारिश के दौरान सर्वेक्षण के मापदंड अनुसार सफाई करना है। यह समस्या देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने एसबीएम की डायरेक्टर रूपा मिश्रा के सामने रखी है। पिछले दिनों दिल्ली दौरे के दौरान उन्होंने बरसात में सर्वेक्षण होने के साइड इफेक्ट डायरेक्टर को बताए थे। इसके बाद से निगम उम्मीद है कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 के मापदंडों में केंद्र सरकार इंदौर सहित देशभर के 4000 से अधिक शहरों को स्वच्छता सर्वेक्षण के साथ ही वाटर प्लस सर्वे के लिए कुछ राहत प्रदान कर सकती है।
निगमायुक्त सिंह की मानें तो अगले महीने जुलाई में स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही वाटर प्लस सर्वे को लेकर टीम अगले हफ्ते तक आ जाएगी। इसके लिए निगम जहां जल स्त्रोतों की सफाई करवा रहा है, वहीं रोजाना सुबह 6 बजे से समस्त अपर आयुक्त, उपायुक्त, जोन नियंत्रणकर्ता अधिकारी, अधीक्षण यंत्री, जोनल अफसर, स्वास्थ्य अधिकारी, सीएसआइ और दरोगा को सफाई से लेकर कचरा प्रबंधन के काम को दुरुस्त रखने के काम पर लगाया जा रहा है। साथ ही सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालय और मूत्रालय की सफाई सहित अन्य व्यवस्था कराने का टास्क दिया जा रहा है। इसके साथ ही महापौर पुष्यमित्र भार्गव और निगमायुक्त सिंह लगातार सफाई व्यवस्था का जायजा ले रहे हैं ताकि सर्वेक्षण से पहले सारी व्यवस्था चाक चौबंद हो जाए और इंदौर नंबर वन आकर स्वच्छता का सातवां आसमान छू सके।
इस तरह बारिश सर्वे करेगी प्रभावित
निगमायुक्त सिंह का कहना है कि बारिश के दौरान सामूहिक शौचालयों की सफाई बार-बार नहीं की जा सकती, क्योंकि यहां लोगों का आना-जाना लगातार बना रहता है। लोगों के आने-जाने से कीचड़ और गंदगी शौचालय परिसर में फैली दिखाई दे सकती है। इसको मौसम की व्यवहारिक समस्या माना जाना चाहिए। इसी प्रकार सडक़ों पर पेड़ गिरने से ग्रीन वेस्ट सडक़ों पर फैला दिखाई देगा। बरसात में ड्रेनेज चेंबरों के बाहर गंदा पानी तेज बहाव से आता है। गली मोहल्लों और सडक़ों पर जल जमाव टीम को दिखाई देगा। कीचड़ के कारण कई परिसर गंदे रहेंगे। बारिश में सडक़ों पर सफाई भी प्रभावित होती है। इंदौर आवासीय क्षेत्रों में एक बार एवं व्यवसाय क्षेत्रों में दो बार सफाई होती है। बारिश के चलते यह नियम प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा भी कई व्यवहारिक समस्याएं सर्वेक्षण में आ सकती हंै। इसलिए सर्वे टीम को कंसीडर करने के निर्देश देने का एसबीएम डायरेक्टर से कहा गया हैं। डायरेक्टर ने देरी से हो रहे सर्वेक्षण व बारिश की समस्या को गंभीरता से लिया गया है। उम्मीद है कि बारिश के दौरान व्यवहारिक समस्याओं के चलते कुुछ मापदंडों पर सर्वेक्षण में राहत दी जा सकती है मगर इसके लिए व्यवहारिक कारण बताना अनिवार्य होगा।
वाटर प्लस सर्वे की इन शर्तों का पालन मुश्किल
- नदी-तालाबों में कचरा तैरता दिखाई नहीं देना चाहिए, मगर बारिश के दौरान पानी के साथ कचरा नदी नालों में पहुंचता है।
- सडक़ों पर जल जमाव नहीं होना चाहिए। बरसात में कुछ देर की बारिश में सडक़ें जलमग्न हो जाती हैं।
- नदी-तालाबों में सीवर का पानी नहीं आना चाहिए। बारिश के दौरान ओवरफ्लो होने से सीवरेज का पानी नदी-तालाबों मिल जाता है।
- बारिश के कारण शहर का सौंदर्यीकरण और पेंटिंग कार्य प्रभावित हो सकता है।
- घर से निकलने वाला सीवर का पानी एसटीपी तक 100: पहुंचना चाहिए। बारिश के दौरान जल जमाव की समस्या से निपटने के नाला टेपिंग को खोलना पड़ता है।
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