
इंदौर। कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के माथे पर चिंता की लकीरें खिच गईं हैं। विधानसभा के आठ वार्डों में से दो ही वार्ड जीत पाए, वह भी भाजपा के भितरघातियों की वजह से। छह वार्डों में भाजपा की मजबूत होकर धमाकेदार वापसी ने उनकी नींद उड़ा दी है। विधानसभा चुनाव को सवा साल हैं, जिसके चलते उन्होंने अभी से बिसात जमाना शुरू कर दी।
राऊ विधानसभा से लगातार दो बार विधायक बने जीतू पटवारी इन दिनों राजनीतिक अवसाद में हैं। पहले तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने उनके पर कतर दिए। कार्यकारी अध्यक्ष पद जाने के बाद मीडिया विभाग का अध्यक्ष बनाया था, उससे भी हटा दिया गया। एक तरह से प्रदेश की राजनीति से उन्हें दूर कर
दिया गया। हालांकि वे अपनी सक्रियता से दिल्ली के नेताओं के बीच बने हुए हैं, लेकिन राऊ में छोटी भी हलचल होती है तो वे विचलित हो जाते हैं।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अच्छी जीत पर वे खुश थे, लेकिन नगर निगम चुनाव में उसे कम में बदल दिया। आठ वार्डों में से भाजपा ने छह में बंपर जीत दर्ज कराई है। प्रत्याशी बहुत दमदारी से चुनाव जीते। यहां तक कि पटवारी का गृह वार्ड भी कांग्रेस हार गई। दो वार्ड की जीत भी कांग्रेस का पराक्रम नहीं थी। यहां पर भाजपा के भितरघातियों ने अनुशासनहीता का खुलेआम नंगा नाच किया।
पालदा में तो एक भाजपा नेता को पटवारी ने रिश्तेदार बना रखा है, जिसकी रणनीति पर ही कांग्रेस का प्रत्याशी जीत सका। धीरे-धीरे उसने बागियों की फौज खड़ी कर ली। पटवारी को विश्वास है कि ये सभी विधानसभा के चुनाव में उनकी पहले की तरह मदद करेंगे।
बड़ा गड्ढा, बवाल अलग
पटवारी को छह वार्ड में भाजपा को मिली 30 हजार की लीड का गड्ढा बड़ा नजर आ रहा है। इधर, हार की वजह से नई मुसीबत खड़ी हो गई। ऊपर से कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला ने हरवाने का ठीकरा उन पर अलग फोड़ दिया। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान दोनों नेताओं के बीच जमकर बहस हुई। परिणाम के बाद में उन्होंने
अपनी टीम को सक्रिय करना शुरू कर दिया है। सभी को अपने-अपने वार्ड में लगा रहे हैं ताकि चुनाव के सवा साल पहले ही बिसात जमना शुरू हो जाए।
भाजपाइयों पर डोरे
पटवारी अपनी अलग ही रणनीति पर काम करते हैं। उन्हें कांग्रेस नेताओं पर जितना भरासा रहता है, उससे
अधिक भाजपाइयों पर विश्वास रखते हैं। आए दिन भाजपाइयों के यहां चाय पर पहुंच जाते हैं। इसके जरिए
वे परिवार की सांत्वना बटोर लेते हैं, जो विधानसभा चुनाव में उन्हें काम आ जाती है। भाजपा को मालूम भी
नहीं पड़ता कि उनकी जमीन खिसक गई। उन्हें लगता है कि कांग्रेस के होकर भी विधायक उनको कितनी
तवज्जो देते हैं।
भाजपा की रणनीति में बदलाव
निगम चुनाव में प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष जीतू जिराती व वरिष्ठ नेता मधु वर्मा ने पूरी ताकत झोंक रखी थी।
उनकी सहमति से संगठन ने कुछ नेताओं को रणनीति के तहत जवाबदारी दी थी, जो सफल रही। नगर भाजपा ने रमेश गोधवानी तो विधानसभा से पालीवाल को राऊ प्रभारी बनाया था। गोधवानी को केंद्रीय चुनाव समिति में लेने के साथ राऊ में महापौर के प्रचार की जिम्मेदारी भी दी गई थी।
गतिविधियों के दौरान कई खामियां सामने आईं, जिसे दोनों प्रभारियों ने जिराती व वर्मा के साथ प्रत्याशी को बताने में देरी नहीं की। इसके अलावा बस्ती क्षेत्र में वरिष्ठ नेता प्रमोद टंडन का भी जादू चला। उनकी रणनीति पर काम किया गया, जिसके चलते पार्टी को वहां भी अच्छे वोटों से बढ़त मिली।
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