इंदौर। रालामंडल अभयारण्य में जीवाश्म केंद्र सुधार के नाम पर लॉकडाउन के समय से ही बंद है। अनलॉक होने के बाद भी अब तक जीवाश्म केंद्र सुधार के नाम पर लॉक ही हैं। केंद्र के बंद होने से पर्यटक जीवों के प्राचीन इतिहास से न केवल वंचित हो रहे हैं, बल्कि वन विभाग को भी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
दरअसल, वन विभाग ने एक दशक पहले रालामंडल में जीवाश्म विज्ञान केंद्र बनाए जाने की योजना तैयार की थी। जिसमें डायनासोर के अंडे, करोड़ों वर्ष पुराने भीमकाय पेड़ों और जीव-जतुओं के जीवाश्मों को सहजने के लिए योजना बनाई गई थी। नर्मदा घाटी में करोड़ों वर्ष पूर्व के जीवों से पर्यटकों को रूबरू कराए जाने के लिए अभयण्ण्य में जीवाश्म केंद्र बनाया गया, लेकिन पिछले दो साल यानी 2020 से यह केंद्र बंद है। विभाग इसके पीछे की वजह केंद्र में सुधार कार्य बता रहा है, लेकिन अब तक यह नहीं हो पाया है। केंद्र के शुरू नहीं होने से यहां पर आने वाले पर्यटक जीवाश्म से जुड़ी जानकारी नहीं हासिल कर पा रहे हैं।
15 दिनों में हुआ था तैयार
जानकारों की मानें तो यह केंद्र महज 15 दिनों में तात्कालिक अधिकारियों ने तैयार कराया था। यहां पर जीवाश्म को रखने और उनके डिस्प्ले बॉक्स के पास जानकारी तैयार की थी। पर्यटकों के लिए केंद्र अक्टूबर 2011 में शुरू कर दिया था, लेकिन अभी सुधार के नाम पर बंद है।
दानदाता ने दिए थे डायनोसोर के अंडे
2011 में धार और आसपास इलाकों में काफी संख्या में जीवाश्म मिल रहे थे। धार सहित आसपास से डायनासोर के अंडे, हजारों वर्ष पुराने हथियार आदि एकत्रित कर एक दानदाता ने जीवाश्म विभाग को दान में दिए थे। विभाग ने चंद दिनों में केंद्र तैयार कर दिया था। विभाग ने शुरुआत में कुछ स्कूलों के छात्रों का भ्रमण भी कराया था। इस केंद्र को खोलने के पीछे वन अफसरों की मंशा पर्यटकों को जीवाश्म, डायनासोर व करोड़ों वर्ष पुराने इतिहास के बारे में बताना और उन्हें शिक्षित किए जाने की थी।
दो महीने में होगा शुरू
जीवाश्म केंद्र सुधार कार्य के चलते बंद है। अगले डेढ़ से दो माह में फिर शुरू कर दिया जाएगा।
- नरेंद्र पांडवा, डीएफओ
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