इंदौर । प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज ङ्क्षसह चौहान सरकारी स्कूलों के प्रति विश्वास बढ़ाने और शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए प्रयास कर रहे हैं। दिल्ली की तर्ज पर सीएम राइज स्कूलों की योजना पर काम किया जा रहा है। दूसरी ओर प्रदेश का एजुकेशन हब बने इंदौर शहर में शिक्षा विभाग और राज्य शिक्षा केंद्र के जिम्मेदार अधिकारी मेहनत पर पानी फेरने से बाज नहीं आ रहे हैं। अधिकारियों ने कक्षा पांचवीं और आठवीं की परीक्षा से लेकर मूल्यांकन और अब रिजल्ट तक को मजाक बनाकर रख दिया है। कल इन दोनों कक्षाओं का परीक्षा परिणाम घोषित किया जाना था। छात्रों से लेकर शिक्षक तक शाम तक रिजल्ट का इंतजार करते रहे, लेकिन घोषित नहीं हुआ। ग्रीष्मकालीन अवकाश शुरू हो चुके हैं और अब कक्षाएं आगामी 15 जून से शुरू होंगी।
राज्य शिक्षा केंद्र ने इस साल ऑनलाइन के बजाए ऑफ लाइन परीक्षाएं आयोजित कीं। जिले में करीब दोनों कक्षाओं में 28 हजार से अधिक छात्र थे। बोर्ड की तर्ज पर आयोजित परीक्षा एक से 12 अप्रैल तक परीक्षाएं आयोजित हुईं। राज्य शिक्षा केंद्र ने परीक्षा की व्यवस्थाओं में काफी नवाचार किए, लेकिन इंदौर के अधिकारियों ने इन नवाचार को उलझा कर रख दिया। जिसके चलते शिक्षक से लेकर जनशिक्षक, संकुल प्राचार्य तक परेशान हो गए। किसी भी प्रकार से कोई ट्रेङ्क्षनग प्रोग्राम तक नहीं चलाया गया और न ही स्पष्ट आदेश दिए गए कि किस प्रकार काम किया जाएगा।
सामग्री वितरण से लेकर पेपर में गड़बड़ी
इन दोनों कक्षाओं की परीक्षा को लेकर अफसर कितने गंभीर रहे हैं इसका पता 30 मार्च को ही चल गया था। सामग्री वितरण में ही गड़बड़ी उजागर हो गई थी। उर्दू और मराठी भाषा के प्रश्न पत्र ही नहीं दिए गए। इतना ही नहीं परीक्षा के पहले दिन ही लिफाफे में पेपर कम निकले थे। तब शिक्षकों ने फोटो कॉपी कराकर काम चलाया। दूसरे दिन विज्ञान के पेपर के बजाए बच्चों को ङ्क्षहदी का पेपर थमा दिया। अफसर परीक्षा को लेकर कितने गंभीर थे इसी बात से पता चल जाता है कि इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी किसी प्रकार का कोई एक्शन तक नहीं लिया और न ही लापरवाही को लेकर जिम्मेदारों ने कोई कार्रवाई की। वहीं दूसरी गड़बड़ी परीक्षा पहले दिन भी सामने आई। कक्षा पांचवीं और आठवीं का ङ्क्षहदी भाषा का पेपर था, लेकिन इस दिन पेपर ही कम निकले। शिक्षकों को दौड़ लगानी पड़ी और फोटो कॉपी कर विद्यार्थियों को पेपर दिए गए तब कहीं जाकर परीक्षा हुई। गड़बड़ी और लापरवाही यहीं नहीं रुकी। इसके बाद सीधा विज्ञान विषय का पेपर था। जहां जिले के कई संकुलों में परीक्षा के दौरान विज्ञान विषय के बजाए लिफाफे में ङ्क्षहदी का पर्चा निकला। अफसरों ने अपनी नाकामी छुपाते हुए जैसे-तैसे परीक्षा आयोजित कराई।
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