RTO साइट क्रैश: वीआईपी की चाह में आवेदक खटखटाएंगे कोर्ट का दरवाजा

इंदौर।

वीआईपी नंबर की नीलामी के दौरान परिवहन विभाग की साइट क्रैश होने का मामला शिकवा-शिकायतों के साथ अब कोर्ट जाने वाला है। नंबर की चाह में नीलामी में भाग लेने वाले कुछ आवेदक विधिक राय लेकर आगे की कार्रवाई की तैयारी में लगे हैं। दो महीने पहले भी कुछ नंबरों को लेकर ऐनवक्त पर साइट बंद हो गई थी, परिवहन आयुक्त तक शिकायत के बाद साइट शुरू हुई और फिर नंबरों की नीलामी हो सकी। 15 से 21 अप्रैल तक वीआईपी नंबरों की नीलामी चल रही थी।

गुरुवार रात को वीआईपी नंबरों की नीलामी का आखिरी दिन था। इस दिन समय से पहले ही साइट क्रैश हो गई और 0001 नंबर 3.66 लाख में ही चला गया, जबकि इस नंबर को लेकर ऊंची बोली लगाने के लिए कई आवेदक बैठे थे। कम कीमत पर नंबर नीलाम होने से परिवहन विभाग को भी जमकर राजस्व का नुकसान हुआ है। एजेंटों ने स्मार्ट चिप कंपनी पर जानबूझकर साइट क्रैश कराए जाने का आरोप लगाया। इस पूरे मामले की शिकायत स्थानीय अधिकारियों से लेकर भोपाल और ग्वालियर तक की गई है। कंपनी के साथ अधिकारियों की मुसीबत सूत्रों का कहना है कि वीआईपी नंबर की चाह रखने वाले कुछ आवेदकों ने कोर्ट जाने का मूड बनाया है। वकीलों से मिलकर विधिक राय लेंगे। उनकी सलाह के आधार पर आगे लीगल कार्रवाई की तैयारी होगी। यदि आवेदक कोर्ट पहुंच गए और कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी तो स्मार्ट चिप कंपनी के साथ अधिकारियों की भी मुसीबत बढ़ जाएगी।

दोबारा की थी साइट शुरू

वाहन मालिकों की ओर से बोली लगाने वाले कुछ एजेंट्स ने बताया कि दो महीने पहले भी कुछ नंबरों को लेकर ऐसा ही मामला हुआ था। उस दौरान रात में ही स्थानीय अधिकारी से लेकर परिवहन आयुक्त तक शिकायत की गई थी। परिवहन आयुक्त के हस्तक्षेप के बाद फिर से साइट शुरू हुई और नंबरों की नीलामी हुई, जिससे परिवहन विभाग को लाखों का राजस्व प्राप्त हुआ था।

कैलाश के खास को मिला नंबर

इधर, जानकारों का कहना है कि साइट क्रैश का सारा खेल भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के खास हरीश विजयवर्गीय को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया और 3.66 लाख रुपए में नंबर दे दिया गया। अन्य वाहन मालिक और ऊंची बोली लगाने के लिए बैठे थे।

बता दें कि वीआईपी नंबरों की नीलामी में इस बार कार की सीरीज एमपी- 09 डब्ल्यूएम के नंबर शामिल थे। इस सीरीज में 0001 नंबर सहित कई ऐसे नंबर थे, जिनकी डिमांड थी। 0001 नंबर खरीदी के लिए पहली बार सात आवेदक बोली में शामिल हुए थे। इस बार इस नंबर की बोली से परिवहन विभाग को लाखों का राजस्व मिलने की उम्मीद थी। साइट क्रैश होने पर आरटीओ जितेंद्र रघुवंशी ने भी आयुक्त तक उक्त मामले की रिपोर्ट भेजने के साथ ही जांच कराए जाने की बात कही है।



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