मॉस्को : यूक्रेन पर हमले का आदेश देने के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है। उनके प्रमुख सहयोगी भी उनका साथ छोड़ चुके हैं। पुतिन दुनिया से अलग-थलग होने की कगार पर खड़े हैं। गुरुवार को यूक्रेन पर 'सैन्य अभियान' का आदेश देने के बाद पूरी दुनिया में उनकी निंदा और विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। रूस के पुराने सहयोगी चीन ने UNSC में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर वोटिंग में शामिल होने से इनकार कर दिया था। पश्चिमी देश इसे पुतिन के लिए बड़ा झटका मान रहे हैं क्योंकि स्थायी सदस्य होने के चलते चीन के पास वीटो शक्ति है। खबर आ रही है कि चीन की बैंकों ने रूस से कच्चे माल की खरीद को सीमित कर दिया है। उसे डर है कि रूस से व्यापार को पश्चिमी देश प्रतिबंधों के बीच 'सहायता' के रूप में भी देख सकते हैं। हालांकि चीन ने रूस से गेहूं खरीद पर लगे कई प्रतिबंधों को हटा दिया है। रूस के दूसरे सहयोगी जैसे हंगरी और तुर्की भी अब पुतिन के विरोध में बोल रहे हैं। हंगरी से लेकर तुर्की, सब हुए खिलाफहंगरी के नेता विक्टर ओर्बन यूरोपीय संघ की ओर से लगाए गए रूस के खिलाफ सभी प्रतिबंधों पर सहमत हो गए हैं। रविवार को नाटो के सदस्य तुर्की ने पुतिन की कार्रवाई पर कड़ी बयानबाजी की। तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन की सरकार ने एक अंतरराष्ट्रीय समझौते के कुछ हिस्सों को लागू करने का फैसला किया है, जिससे भूमध्यसागर से काला सागर तक कुछ रूसी युद्धपोतों की आवाजाही सीमित हो जाएगी। तुर्की ने रूसी कार्रवाई को बताया 'अस्वीकार्य'पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों का संतुलन बनाते हुए तुर्की ने इस हफ्ते रूस के हमले को 'अस्वीकार्य' बताया लेकिन उसने अभी तक इस हमले को युद्ध नहीं कहा है। तुर्की के विदेश मंत्री मेव्लुट कावुसोग्लू ने कहा कि 1936 के मॉन्ट्रो कन्वेंशन की एक धारा के चलते तुर्की काला सागर तक पहुंचने वाले सभी रूसी युद्धपोतों रोक नहीं सकता है। जर्मनी ने कहा कि वह 500 स्ट्रिंगर मिसाइलें और 1000 एंटी-टैंक सिस्टम यूक्रेन को देगा। यूक्रेन को मिला पश्चिमी देशों का साथवहीं बाइडन ने कहा है कि वह यूक्रेन को 350 मिलियन डॉलर की सैन्य सहायता देंगे। ब्रिटेन ने रॉयल वेल्श बैटलग्रुप से चैलेंजर 2 टैंक और बख्तरबंद वाहन एस्टोनिया भेजे हैं, जो रूस की सीमा में है। अगले कुछ दिनों में लगभग 1,000 सैनिक भी ब्रिटेन से नाटो देश में किसी भी रूसी घुसपैठ के खिलाफ सुरक्षा देने के लिए पहुंचेंगे। कुछ दिनों पहले नाटो के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने बेलारूस और रूस की पूर्वी सीमाओं पर देशों में अधिक सैनिकों को भेजने का वादा किया था।
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