पेइचिंग पूरी दुनिया 2022 का स्वागत कर चुकी है। चीन के लिए यह साल बेहद खास होने वाला है। बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक से लेकर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का तीसरा कार्यकाल, स्पष्ट है कि चीन पूरे साल सुर्खियों में बना रह सकता है। चीन कोरोना वायरस के अपने तीसरे साल में प्रवेश कर रहा है। वुहान में संक्रमण का पहला मामला सामने आने के बाद चीन दुनिया में अलग-थलग पड़ गया था। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि इस साल चीन के प्रति बाकी देशों का रवैया क्या होगा। आज हम ऐसे ही पांच प्रमुख बिंदुओं पर नजर डालेंगे जो 2022 में चीन के लिए इस साल बेहद खास होने वाले हैं और जिनके चलते दुनिया की निगाहें चीन की ओर रहेंगी। कोरोना के साये में होगा बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक आयोजनबीजिंग शीतकालीन ओलंपिक की शुरुआत फरवरी में होगी जिसके बाद पूरी दुनिया की नजरें चीन को ओर घूम जाएंगी। अलग-अलग देशों के इस आयोजन में हिस्सा लेने की उम्मीद है। इसी के साथ बीजिंग ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन, दोनों ओलंपिक खेलों का आयोजन करने वाला पहला शहर बन जाएगा। शीतकालीन ओलंपिक का आयोजन कोरोना वायरस के साये तले किया जाएगा जहां बबल व्यवस्था और होटल आइसोलेशन जैसे नियम लागू होंगे। कुछ चीनी कार्यकर्ता इन खेलों का बहिष्कार कर रहे हैं। ये कार्यकर्ता शिनजियांग और तिब्बत में चीन के मानवाधिकारों के हनन और हांग कांग में इसकी राजनीतिक कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। हाल ही में चीन की शीर्ष टेनिस खिलाड़ी पेंग शुआई ने एक पूर्व शीर्ष नेता के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे जिसके बाद वह गायब हो गई थी। इस घटना ने ओलंपिक के बहिष्कार को बढ़ावा दिया था जिसमें 'पश्चिम' भी प्रमुख भूमिका निभा रहा है। कोरोना के तीसरे साल में क्या होगी नई रणनीति?चीन में भले ही कोरोनावायरस का पहला मामला और पहली लहर सामने आई थी। लेकिन चीन ने जल्द ही लॉकडाउन और बड़े पैमाने पर जांच जैसे उपायों की मदद से इस पर काबू पा लिया। इसे दूसरे देशों की तुलना में कोरोना से विशेष नुकसान नहीं हुआ। चीन 'शून्य कोविड रणनीति' को महत्व देता है। ऐसे में यह देखना खास होगा कि क्या चीन इस साल अपनी इस महत्वकांक्षी रणनीति में बदलाव करेगा? हालांकि फिलहाल इसके कोई संकेत नहीं हैं। एक बार मामले बढ़ने के बाद चीन में करोड़ों लोग अभी भी लॉकडाउन के तहत घरों में कैद हैं। तीसरा कार्यकाल शुरू करने जा रहे शी जिनपिंग चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस के दौरान शी जिनपिंग के सत्ता में तीसरा कार्यकाल हासिल करने के भी संकेत स्पष्ट हैं। शी ने पहले ही चीन में राष्ट्रपति पद की समयसीमा को खत्म कर दिया है। शी के नेतृत्व में पार्टी ने कला और संस्कृति से लेकर स्कूलों और व्यवसायों तक समाज के सभी क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण कड़ा कर लिया है। अब चीन में सार्वजनिक रूप से और अधिक आलोचनात्मक आवाजों को बर्दाश्त नहीं किया जाता है। पार्टी ने अब लोगों के निजी जीवन में भी अपनी पहुंच बना ली है। शी ने लोकतंत्र, प्रेस की स्वतंत्रता और न्यायिक स्वतंत्रता जैसे मूल्यों के खिलाफ एक वैचारिक युद्ध छेड़ दिया है और संकीर्ण सोच वाले राष्ट्रवाद की हवा बहा दी है जिसके चलते चीन और पश्चिम के बीच संबंधों की खाईं और चौड़ी व गहरी होती जा रही है। अर्थव्यवस्था बनेगी 2022 की सबसे बड़ी चुनौतीनया साल दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए कुछ बड़ी चुनौतियां लेकर आएगा। चीन कुछ ऐसी चुनौतियों से जूझ रहा है जो 2022 में विकास को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। इनमें बार-बार आती कोविड लहर से लेकर आपूर्ति श्रृंखला में रुकावट जैसे संकट शामिल हैं। हालांकि चीन अभी भी 2021 में एक बड़ी वृद्धि दर्ज करने की उम्मीद कर रहा है। कई अर्थशास्त्री करीब 7.8 प्रतिशत का अनुमान लगाते हैं। लेकिन 2022 की कहानी 2021 से अलग होगी। मुख बैंकों ने अपनी वृद्धि के अनुमानों को 4.9 प्रतिशत और 5.5 प्रतिशत के बीच घटा दिया है। अगर ऐसा होता है तो यह 1990 के बाद यह दूसरी सबसे धीमी विकास दर होगी। क्या दुनिया के आगे सुधरेगी चीन की छवि?महामारी के शुरुआती दिनों में चीन ने वैश्विक स्वास्थ्य संकट के दौरान अपनी छवि को सुधारने के प्रयास किए थे। चीन ने जरूरतमंद देशों को मास्क, चिकित्सा संसाधन और वैक्सीन सप्लाई की लेकिन चीजें किसी दूसरी ही दिशा में चली गईं। चीन ने अपने घर में वायरस को सफलतापूर्वक नियंत्रित कर लिया लेकिन इसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को गहरा झटका लगा। प्यू रिसर्च सर्विस के अनुसार, दुनिया के सबसे विकसित देशों में चीन के प्रति प्रतिकूल विचार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। प्यू द्वारा पिछले साल सर्वेक्षण किए गए 17 देशों के विशाल बहुमत में चीन के बारे में व्यापक रूप से नकारात्मक विचार हैं - जापान में 88%, स्वीडन में 80%, ऑस्ट्रेलिया में 78%, दक्षिण कोरिया में 77% और संयुक्त राज्य अमेरिका में 76%। विश्लेषकों का कहना है कि वैश्विक मंच से शी की अनुपस्थिति ने चीन को दुनिया के बाकी हिस्सों से अलग-थलग करने में योगदान दिया है क्योंकि कोरोना महामारी के बाद से शी जिनपिंग देश से बाहर नहीं निकले हैं। चीन के लिए यह साल काफी चुनौतीपूर्ण होने वाला है। यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि चीन की इन चुनौतियां का दूसरे देशों, खासकर उसके पड़ोसियों पर क्या असर पड़ता है।
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