नोटबंदी के 7 साल में कितना बदला भारत? कैश अब भी है किंग

<p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">प्रधानमंत्री <a title="नरेंद्र मोदी" href="https://ift.tt/hsm7xYg" data-type="interlinkingkeywords">नरेंद्र मोदी</a> ने 8 नवंबर, 2016 को रात 8 बजे एक ऐसा एलान किया, जिसका असर आज भी भारतीय बाजार और समाज पर दिखाई देता है</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;"> आधी रात से एकाएक 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद कर दिया गया था</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;"> 500 और 2000 के नए नोट बाजार में उतारे गए</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;"> उन्होंने काले धन की रोकथाम, नकली नोटों की नकेल कसने और लेन-देन में कैश का चलन कम करने के लिए यह कड़ा कदम उठाया था</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;"> हालांकि, आज हम समझने की कोशिश करेंगे कि 07 साल बाद लेन-देन में कैश की क्या स्थिति है</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;"> क्या नोटबंदी का कदम पूरी तरह से अपने उद्देश्यों को हासिल कर पाया</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;">&nbsp;&nbsp;</span></p> <h3 style="text-align: justify;"><strong>प्रॉपर्टी खरीद-बिक्री में कैश का चलन जारी&nbsp;</strong></h3> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त में नकदी का लेन-देन बड़े पैमाने पर होता था</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;"> लोग स्टाम्प ड्यूटी बचाने के लिए कागजों पर प्रॉपर्टी की कीमत कम दिखाकर बाकी का पैसा कैश ले लिया करते थे</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;"> एक सर्वे के मुताबिक, पिछले सात सालों में जिन लोगों ने भी प्रॉपर्टी खरीदी, उनमें से 76 फीसद लोगों ने स्वीकारा कि उन्हें काफी कैश देना पड़ा</span><span style="font-weight: 400;">.</span> <span style="font-weight: 400;">सर्वे के मुताबिक जमीन, फ्लैट, घर, दुकान, ऑफिस या कोई अन्य प्रॉपर्टी खरीदते समय नगदी के बिना काम होना आसान नहीं है</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;"> लगभग 15 फीसद लोगों को तो प्रॉपर्टी खरीदते समय कुल रकम का 50 फीसद तक हिस्सा कैश में देना पड़ा</span><span style="font-weight: 400;">.</span></p> <h3 style="text-align: justify;"><strong>UPI और डिजिटल पेमेंट बढ़ा</strong></h3> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">इन सात सालों में यूपीआई (UPI) और डिजिटिल पेमेंट का चलन काफी बढ़ा है</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;"> मगर, सर्वे में 56 फीसद लोगों ने बताया कि पिछले एक साल में उनके कुल खर्च का लगभग 25 फीसद हिस्सा कैश के रूप में गया</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;"> उनके पास इस रकम की कोई रसीद भी नहीं है</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;"> इस सर्वे में 363 जिलों के 44 हजार लोगों ने हिस्सा लिया</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;">&nbsp;</span></p> <h3 style="text-align: justify;"><strong>छोटे शहरों में कैश का लेन-देन ज्यादा&nbsp;&nbsp;</strong></h3> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">छोटे शहरों के लोगों का 50 से 100 फीसद तक घरेलू खर्चा कैश में हो रहा है</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;"> लगभग 59 फीसद लोग आज भी FMCG उत्पादों, होटल में खाना और फ़ूड डिलीवरी के लिए कैश का इस्तेमाल कर हैं</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;"> महानगरों में इन्हीं चीजों के लिए ऑनलाइन और UPI पेमेंट का इस्तेमाल आम बात है</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;">&nbsp;&nbsp;</span></p> <h3 style="text-align: justify;"><strong>ज्वैलरी और सेकेंड हैंड कारों की खरीद में भी कैश का इस्तेमाल&nbsp;</strong></h3> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">सर्वे के मुताबिक, 15 फीसद लोग ज्वैलरी और सेकेंड हैंड कारों को खरीदते समय कैश पेमेंट करते हैं</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;"> घरेलू सहायक और मजदूर भी ज्यादातर अपना पैसा कैश में ही लेते हैं</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;"> घर में होने वाले रिपेयर एवं मैंटेनेंस के काम और गाड़ियों की सर्विस का भुगतान भी कैश में ही बिना रसीद के किया जा रहा है</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;">&nbsp;&nbsp;</span></p> <h3 style="text-align: justify;"><strong>टैक्स बचाने के लिए हो रहा कैश का इस्तेमाल&nbsp;</strong></h3> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">टियर-3 और टियर-4 शहरों एवं ग्रामीण इलाकों में स्ट्रीट वेंडर और दुकानदार अभी भी डिजिटल ट्रांजेक्शन को पूरी तरह नहीं स्वीकार पाए हैं</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;"> वह कैश में ही लेन-देन पसंद करते हैं</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;"> यहां तक कि बड़े व्यापारी भी टैक्स बचाने के लिए नगदी में ही कारोबार कर रहे हैं</span><span style="font-weight: 400;">.</span><span style="font-weight: 400;"> यही वजह है कि इकोनॉमी में कैश नवंबर, 2016 के 17 लाख करोड़ से बढ़कर अक्टूबर, 2023 में 33 लाख करोड़ रुपये हो चुका है</span><span style="font-weight: 400;">.</span></p> <p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें&nbsp;</strong></p> <p style="text-align: justify;"><a href="https://ift.tt/TPyxbJI 7 Years: नोटबंदी के 7 साल! 2016 की नोटबंदी से इस साल 2000 रुपये को बंद करने का सफर, ऐसे बदली तस्वीर</strong></a></p>

from 7th Pay Commission: दिवाली से पहले इस राज्य सरकार ने कर्मचारियों को दिया गिफ्ट! महंगाई भत्ते में कर दी बढ़ोतरी https://ift.tt/MrgBuWl
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