केशव नाचानी ने संस्था के खाते से अपनों को बांटे 58 लाख, अब चेक के आधार पर जांंच

महिराज संस्था का मामला : जमीन बेचने के एवज में किया था मुफ्त प्लॉट देने का वादा
इंदौर. महिराज गृह निर्माण सहकारी संस्था की 4 एकड़ जमीन की गड़बड़ी में फंसे केशव नाचानी उर्फ हनी ने संस्था के खाते से 58 लाख का भुगतान अपनों को किया था। यह पैसा चेक के जरिए चर्चित लोगों के खाते में गया था। अब चेक के आधार पर जांच चल रही है।
ईओडब्ल्यू ने जमीन की गड़बड़ी में संस्था के तत्कालीन अध्यक्ष समीर खान, जमीन धोखाधड़ी के कई मामलों में फंसे केशव नाचानी सहित 10 लोगों पर केस दर्ज किया है। डीएसपी विनोद सोनी ने जांच की तो कई तरह की गड़बड़ी सामने आई। ईओडब्ल्यू के अफसरों को दिए बयान में तत्कालीन अध्यक्ष समीर खान का कहना था कि जमीन केशव नाचानी को बेचने के एवज में उसने मुफ्त प्लॉट देने का वादा किया था। जांच में पता चला कि महिराज गृह निर्माण सहकारी साख संस्था के वर्ष 1997 से 2002 तक अध्यक्ष रहे हरीश खतनमल बहरानी ने करीब 30,35 सदस्यों को रजिस्ट्री की थी। वर्ष 2003 में संंस्था के अध्यक्ष अनिल डोसी रहे। वे बहरानी के पहले भी अध्यक्ष थे। उन्हें 5 साल के लिए अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन उन्होंने बयान में बताया कि स्वास्थगत परेशानी के कारण समय से पहले ही इस्तीफा दे दिया। वर्ष 2006 में समीर खान को अध्यक्ष बनाया।
इन लोगों को संस्था के खाते से दिए गए लाखों
ईओडब्ल्यू को जांच में पता चला कि संस्था के खाते में जो पैसा जमा हुआ उसमें अध्यक्ष की साइन कराकर केशव ने लाखों रुपए दूसरे लोगों को दे दिए। इसमें से चर्चित व्यक्ति जयंत बम को 9 लाख, सुनील कुमार को 7 लाख, सेटेलाइट नाम से 15 लाख, अशोक डागा को 12 लाख, किस्मत अली को 5 लाख और उमर बाई को 10 लाख यानी कुल 58 लाख रुपए संस्था के खाते से अदा कर दिए गए। 45 लाख रुपए जमीन की बाउंड्रीवाल मेें खर्च किए गए। जमीन केशव नाचानी को बेच दी गई।

इस तरह होती रही अनियमितता

संस्ता ने जमीन खरीदी, लेकिन न विकास की अनुमति ली और ना ही कॉलोनाइजर लाइसेंस।
- कृषि भूमि को विकसित प्लॉट बताकर रजिस्ट्री कर दी गई।
- संस्था का मूल रिकॉर्ड न तो पदाधिकारियोंं के पास है, ना ही सहकारिता विभाग के पास।
- अध्यक्ष रहते समीर खान ने जमीन केशव नाचानी को बेचकर रजिस्ट्री कर दी। समीर के पास जमीन की मूल रजिस्ट्री नहीं थी, फिर भी रजिस्ट्रार विभाग ने जमीन की रजिस्ट्री केशव नाचानी के नाम कर दी।
- व्यवसायिक नक्शा पास करने का आवेदन अध्यक्ष ने नगर निगम के कॉलोनी सेल को किया, वहां से टीएंडसीपी को भेज दिया गया और उन्होंने नक्शा पास कर दिया। प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
- जमीन का डायवर्शन कराने के लिए आवेदन देकर एसडीएम न्यायालय से प्रक्रिया की जाती है। डायवर्शन शुल्क भी जमा करना होता है, लेकिन ऐसा न हुआ। केशव नाचानी की ओर से प्रशासनिक अफसर को दिए एक आवेदन पर ही सारा काम हो गया। करोड़ों का लोन पास कर दिया गया।



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