<p>भारत और कनाडा के बीच तनातनी पिछले सप्ताह से दुनिया भर में सुर्खियां बटोर रही हैं. दशकों से मित्र रहे दोनों देश अभी एक-दूसरे के आमने-सामने आ चुके हैं. दोनों देशों ने एक-दूसरे के वरिष्ठ राजनयिकों को बाहर निकाल दिया है. भारत ने कनाडा के लिए वीजा सेवाओं पर रोक लगा दी है. अब दोनों देशों के खराब हुए संबंध का असर दूर तक फैलने की आशंका गहराई हुई है. अगर तनाव बरकरार रहा तो इससे आर्थिक मोर्चे पर कनाडा को सबसे ज्यादा नुकसान होने वाला है, जबकि इस संकट से कुछ वैसे देशों को बड़ा फायदा होने वाला है, जिनकी गिनती कनाडा के मित्र देशों में होती आई है.</p> <h3>द्विपक्षीय व्यापार पर सबसे पहले गिरी गाज</h3> <p>भारत और कनाडा के संबंधों की बात करें तो यह आर्थिक मामले में भी गहरी रही है. कनाडा सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, दोनों देशों के बीच 2022 में 13.7 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था. यह पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है और कनाडा की सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था के लिए इसके मायने बहुआयामी हैं. दोनों देश ताजे विवाद से पहले अर्ली प्रोग्रेस ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत कर रहे थे. दोनों पक्ष इस साल के अंत तक बातचीत पूरा कर डील फाइनल करने की तैयारी में थे. इस डील से दोनों देशों के आपसी व्यापार में मल्टीफोल्ड ग्रोथ की उम्मीद थी और उससे कनाडा की अर्थव्यवस्था को आने वाले सालों में अरबों डॉलर का फायदा होने वाला था. अभी कनाडा ने बातचीत रोक दी है. मतलब प्रस्तावित ट्रेड डील से होने वाला फायदा भी फिलहाल टल गया है.</p> <h3>भारतीय बाजार में इतना बड़ा निवेश</h3> <p>कनाडा के फंड के लिए भारतीय शेयर बाजार और भारत की बुनियादी संरचना परियोजनाएं शानदार रिटर्न का माध्यम साबित हुई हैं. भारतीय शेयर बाजार उभरते बाजारों में सबसे बेहतर प्रदर्शन कर रहा है. चूंकि भारत तेजी से उभर रही अर्थव्यवस्था है, भारतीय शेयर बाजार की संभावनाएं अपार हैं. यही कारण है कि कई विकसित देशों के पेंशन फंड बेहतर रिटर्न के लिए भारतीय बाजार का रुख करते आए हैं. अभी भारतीय बाजार में कनाडा का इन्वेस्टमेंट 36 बिलियन डॉलर से ज्यादा है और इसमें अकेले पेंशन फंड सीपीपीआईबी ने भारतीय शेयरों में 32 बिलियन डॉलर से ज्यादा लगाया हुआ है.</p> <h3>बंद हो सकते हैं कनाडा के फंड के रास्ते</h3> <p>कनाडा समेत कई विकसित देश अपने फंड पर बेहतर लाभ पाने के लिए उभरते बाजारों की बुनियादी संरचना परियोजनाओं में निवेश करते आए हैं. इस लिहाज से अभी भारत से बेहतर बाजार दूसरा कोई नजर नहीं आता है. भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार, देश में हर साल 10 हजार किलोमीटर से ज्यादा राजमार्ग का निर्माण हो रहा है. बुनियादी संरचना पर भारत का खर्च इस साल 33 फीसदी बढ़कर 122 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है. बुनियादी संरचना पर इस तरह बड़े पैमाने पर हो रहे काम से दुनिया भर के फंड को निवेश करने और बेहतर रिटर्न पाने का मौका मिलता है.</p> <h3>भारत से जाते हैं सबसे ज्यादा स्टूडेंट</h3> <p>एक और जगह, जहां कनाडा को भारी नुकसान हो सकता है, वह है उच्च शिक्षा. अभी कनाडा की अर्थव्यवस्था में शिक्षा का बड़ा योगदान है. हर साल बड़ी संख्या में अन्य देशों से विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए कनाडा पहुंचते हैं. वे उच्च शिक्षा के बदले पहले तो कनाडा के शैक्षणिक संस्थानों को फीस देते हैं. उसके अलावा कोर्स के दौरान जब तक वे कनाडा में रहते हैं, ओवरऑल कंजम्पशन में बड़ा शेयर बनाते हैं. कनाडा में आने वाले विदेशी विद्यार्थियों का सबसे बड़ा स्रोत भारत है. अकेले भारत करीब 40 फीसदी का योगदान देता है.</p> <h3>कनाडा की इकोनॉमी में इतना योगदान</h3> <p>इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कनाडा को इंटरनेशनल स्टूडेंट्स से हर साल करीब 30 बिलियन डॉलर यानी 2.50 लाख करोड़ रुपये की कमाई होती है. इसमें 40 फीसदी यानी 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का योगदान अकेले भारत के विद्यार्थियों का रहता है. डीएनए की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि सिर्फ पंजाब से ही हर साल औसतन 1.36 लाख विद्यार्थी कनाडा जाते हैं और वे कनाडा की इकोनॉमी में सालाना करीब 70 हजार करोड़ रुपये का योगदान देते हैं.</p> <h3>विवाद का दिखने लगा व्यापक असर</h3> <p>भारत और कनाडा के विवाद का असर अब व्यापक होने लगा है. अगर विवाद बढ़ता है तो कनाडा के फंड के लिए भारतीय शेयर बाजार के रास्ते मुश्किल हो सकते हैं. जब संबंधों में तनातनी होगी तो स्वाभाविक है कि बुनियादी संरचना परियोजनाओं में निवेश के रास्ते सबसे पहले बंद होंगे. व्यापार के मोर्चे पर बातचीत पहले ही रुक चुकी है और बाकी का नुकसान स्क्रूटनी टाइट होने से हो सकता है. भले ही स्टडी वीजा पर किसी तरह की रोक नहीं लगी है, लेकिन शैक्षणिक मामलों पर भी असर होने लग गया है.</p> <h3>विकल्प खोजने लगे भारतीय विद्यार्थी</h3> <p>कनाडा के शैक्षणिक संस्थान भारतीय विद्यार्थियों को आश्वस्त करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अनिश्चितता के कारण भारतीय विद्यार्थी और उनके परिजन विकल्पों की खोज करने लग गए हैं. यहां पर कनाडा के मित्र देशों अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया आदि को फायदा हो सकता है. ईटी की एक रिपोर्ट में कई एजुकेशनल कंसल्टेंट के हवाले से बताया गया है कि लोग विकल्प खोजने लगे हैं और अगर संबंध जल्द सामान्य नहीं हुए तो भारतीय विद्यार्थी कनाडा के बजाय अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे विकल्पों को चुनने लग जाएंगे.</p> <p><strong>ये भी पढ़ें: <a title="डाबर के बाद रेलिगेयर पर कंट्रोल की तैयारी, ओपन ऑफर लेकर आई बर्मन फैमिली, 26 फीसदी शेयरों पर नजर" href="https://ift.tt/OE1ypwH" target="_blank" rel="noopener">डाबर के बाद रेलिगेयर पर कंट्रोल की तैयारी, ओपन ऑफर लेकर आई बर्मन फैमिली, 26 फीसदी शेयरों पर नजर</a></strong></p>
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