Sawan Sunday: भगवान शिव को समर्पित सावन का महीना कई मायनों में अति विशेष माना गया है। सूर्य और चंद्र को भगवान शिव की आंखें माना गया है। ऐसे में जहां सोमवार चंद्र का दिन है तो वहीं रविवार को भगवान सूर्य का दिन माना गया है।
जिसके चलते रविवार की पूजा का भी सावन के महीने में विशेष महत्व है।
सनातन धर्म के आदि पंच देवों में से एक सूर्य देव भी हैं, जिन्हें कलयुग का एकमात्र दृष्य देव भी माना गया है। वहीं सावन के महीने में सूर्य पूजा करने का खास विधान भी है। इस साल 2023 में 16 जुलाई को सावन का दूसरा रविवार पडने जा रहा है। इस दिन कर्क संक्रांति भी रहेगी।
इस दिन चतुर्दशी तिथि को 11.37 AM से 12.31 PM तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। जबकि विजय मुहूर्त दोपहर 2.20 से 03.14 तक रहेगा। सावन के महीने में इस संयोग से भगवान सूर्य के लिए व्रत और पूजा का महत्व और बढ़ गया है। स्कंद पुराण में भी कहा गया है कि सावन महीने में की जाने वाली सूर्य की पूजा बीमारियों को दूर हटाती हैं।
सावन- सूर्य पूजा का महत्व
वहीं शिव पुराण के अनुसार भी सावन में रविवार के दिन की जाने वाली सूर्य पूजा खास फलदायी रहती है। मान्यता के अनुसार इस दिन की गई भगवान शिव पूजा कर पूजा भी भक्तों को विशेष लाभ प्रदान करती है। यहां ये बात भी जान लें कि शिव पुराण के अनुसार सूर्य भगवान शिव का नेत्र हंैं। ऐसे में सावन माह के रविवार को भगवान सूर्य और भगवान शिव की उपासना खास मानी गई है। मान्यता है कि इस दिन की जाने वाली पूजा से से सुख, अच्छी सेहत, काल के भय से मुक्ति और शांति का वरदान प्राप्त होता है।
सावन में सूर्य पूजा का खास संयोग
16 जुलाई, रविवार, कर्क संक्रांति
सावन में सूर्य पूजा विधि
सावन में सूर्य देव की पूजा के लिए भक्त को ब्रहममुहूर्त में उठकर नित्य कर्मों से निवृत्ति के पश्चात तीर्थ स्नान करना चाहिए, वहीं यदि किसी पवित्र नदी में स्नान संभव न हो तो ऐसे में पानी में गंगाजल डालकर स्नान मंत्र -
गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी
जलेअस्मिन्सन्मिधिं कुरु।।- का पाठ करके नहा लें। इसके पश्चात तांबे के लोटे में जल, चावल और रोली आदि डालकर सूर्य देव को अघ्र्य चढाएं। यहां ध्यान रखें कि जल चढ़ाते समय सूर्य के मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। साथ ही ध्यान रखें इस दौरान कोई सिला हुआ वस्त्र आपने धारण नहीं करना है।
मंत्र जाप के दौरान सूर्यदेव से शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान का वरदान मांगें। अब अघ्र्य चढाने के पश्चात सूर्य देव का धूप और दीप से पूजन अवश्य करें। इसके बाद सूर्य से संबंधित वस्तुएं जैसे पीले या लाल कपड़े, गेहूं, गुड़, लाल चंदन आदि का दान भी करें। सूर्यदेव की पूजा के बाद इस दिन केवल एक समय भोजन करें, साथ ही नमक वाली कोई चीज न खाएं।
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