साल में कुल चार नवरात्रि
हिंदू धर्म के अनुसार साल में चार बार आदिशक्ति की आराधना का पर्व मनाया जाता है, दो प्रकट और दो गुप्त। दो प्रकट नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि (अश्विन) और चैत्र नवरात्रि तो दो गुप्त नवरात्रि आषाढ़ गुप्त नवरात्रि और माघी गुप्त नवरात्रि के नाम से जानी जाती हैं।
गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से तांत्रिक मनाते हैं, और ये इस समय विशेष रूप से आदिशक्ति की आराधना कर तंत्र सिद्धियां प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। इसलिए इस नवरात्रि का अधिक जिक्र नहीं मिलता। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में आराधना गोपनीय तरीके से ही करनी चाहिए। हालांकि कुछ गृहस्थ भी कलश स्थापना कर माता की आराधना करते हैं।
कब से शुरू हो रही है आषाढ़ गुप्त नवरात्रि
आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 19 जून को पड़वा से प्रारंभ हो रही है, जो 27 जून भड़ली नवमी तक रहेगी। इन नौ दिनों में आदि शक्ति की पूजा-अर्चना के साथ जगन्नाथ रथयात्रा और विनायकी चतुर्थी पर्व भी मनाए जाएंगे। नवरात्रि का समापन भड़ली नवमी पर होगा, यह दिन अबूझ मुहूर्त वाला है। विशेष धार्मिक अनुष्ठान के लिए शुभ योग रहेंगे।
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साधकों के लिए विशेष होती है गुप्त नवरात्रि
गुप्त नवरात्रि साधकों के लिए विशेष है। इस नवरात्रि में साधक गुप्त शक्तियों की साधना करते हैं। खासतौर से 10 महाविद्याओं की सिद्धि प्राप्त कर सकते हैं। देवी भागवत के अनुसार जो साधक गुप्त नवरात्रि में कम समय में 10 महाविद्याओं में से किसी भी महाविद्या की साधना करना चाहते हैं, वह इस गुप्त नवरात्रि में अनुष्ठान करके अपनी मनोकामना पूरी कर सकते हैं।
पूजन एवं घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
● सुबह 5.49 से 7.31 बजे तक अमृत बेला
● सुबह 9.14 से 10.56 बजे तक शुभ बेला
● दोपहर 12.11 से 01.06 बजे तक अभिजीत बेला।
गुप्त नवरात्रि में इनकी करें उपासना
- गुप्त नवरात्रि में नौ देवियों के साथ दस महाविद्याओं की भी विशेष पूजा की जाती है। ज्योतिषाचार्य गौरव उपाध्याय ने बताया कि गुप्त नवरात्रि पर इस बार किसी तिथि का क्षय नहीं है, नौ दिन के नवरात्रि रहेंगे। गुप्त नवरात्रि में नौ देवियों के साथ दस महाविद्याओं की भी विशेष पूजा की जाती है।
- शहर के देवी मंदिरों के साथ ही लोग घरों में भी देवी मां की पूजा-अर्चना करेंगे। वहीं तंत्र-मंत्र सीखने वाले साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि का खास महत्व माना जाता है। गुप्त नवरात्रि में नौ दिनों तक उपवास रखने का विधान बताया गया है। इस नवरात्रि में माता की आराधना रात के समय की जाती है।
- इन नौ दिनों के लिए कलश की स्थापना की जा सकती है। अगर कलश की स्थापना की है तो दोनों समय मंत्र जाप, दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
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