इंदौर। निरंजनपुर चौराहे पर अपने-अपने महापुरुष की प्रतिमा लगाने को लेकर सिख, राजपूत और बंजारा समाज के बीच रस्साकशी चल रही है। दीनदयाल भवन पर महापौर व विधायक ने तीनों के प्रतिनिधि मंडल को सुना। सभी को विकल्प दिए गए, लेकिन कोई भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। सबकी बात सुनकर उन्हें रवाना किया गया।
शहर के प्रमुख चौराहों में से एक निरंजनपुर का चौराहा भी हो गया है। इस पर राजपूत, सिख और बंजारा समाज अपनी-अपनी दावेदार कर रहे हैं। इसको लेकर लगातार विवाद की स्थिति बनी हुई है। मामले में भाजपा कार्यालय पर सभी को बुलाया गया था। महापौर पुष्यमित्र भार्गव व विधायक रमेश मेंदोला ने सुनवाई की। पहले मौका सिख समाज को दिया गया। कहना था कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने चौराहे पर हरिसिंह नलवा की प्रतिमा लगाने की घोषणा की है।
इस पर भार्गव ने दूसरे चौराहे के जब विकल्प सुझाए तो समाज का कहना था कि हमारे साथ ही ऐसा क्यों होता है? भंवरकुआं चौराहे पर महाराजा रणजीतसिंह की प्रतिमा लगानी थी हमको मना कर दिया। बोला चौराहा छोटा है। चोइथराम मंडी चौराहे पर उधमसिंह की प्रतिमा के सामने लगाई गई तो बाद में भंवरकुआं चोराहे पर टंट्या मामा की प्रतिमा लग गई। हम पीछे नहीं हटेंगे। हमेशा हमको ही विकल्प क्यों दिया जाता है। बाद में बंजारा समाज का नंबर आया। प्रतिनिधियों का कहना था कि संत सेवालाल महाराज के नाम पर ये चौराहा किया जाए।
हिंदू धर्म के प्रचारक व समाज के बड़े संत थे। ८ वर्ष से उसकी मांग कर रहे हैं जिसे आइडीए अध्यक्ष रहते हुए शंकर लालवानी ने मंजूरी भी दे दी थी। जिला योजना समिति में स्वीकृति नहीं हो सकती। आखिरी में राजपूत समाज का नंबर आया। कहना था कि चौराहे पर पृथ्वीराज चौहान की प्रतिमा लगाई जाएगी जिसके लिए समाज 2008 से संघर्ष कर रहा है। इस पर भार्गव ने अन्य विकल्प भी बताए जिस पर प्रतिनिधियों का कहना था कि हमने जहां के लिए संघर्ष किया प्रतिमा वहीं लगाएंगे। भले ही हमें कोर्ट क्यों ना जाना पड़ जाए।
चावड़ा पर भड़के मेंदोला
जैसे ही निरंजनपुर चौराहे का मुद्दा सामने आया वैसे ही विधायक रमेश मेंदोला ने पप्पू ठाकुर से पूछा आइडीए अध्यक्ष जयपालसिंह चावड़ा कहां हैं। ठाकुर का कहना था कि हम बार-बार फोन लगा रहे हैं वे नहीं उठा रहे। इस पर कार्यालय से भी फोन लगाया जिस पर नहीं उठाया गया। ये बात मेंदोला को बताई गई तो वे भड़क गए। कहना था कि बुराई के लिए हमको बुलाकर आगे कर दिया। अब खुद गायब हो गए। उन्होंने जमकर नाराजगी व्यक्त की।
यहां से आया गब्बर का डायलॉग
जब सिख समाज का प्रतिनिधि मंडल भार्गव व मेंदोला से चर्चा कर रहा था तो एक मजेदार वाकया हुआ। पीपल्याराव गुरुद्वारे के प्रधान बंटी भाटिया का कहना था कि शोले में जो गब्बर का डायलॉग था वह कहां से आया था? सभी ने आश्चर्य करते हुए पूछा कहां से तो भाटिया का कहना था कि जब मुगलों के बच्चे रोते थे तो उनकी औरतें बोलती थी कि सो जा नहीं तो हरीसिंह नलवा आ जाएगा। ये सुनकर समाज के भी प्रतिनिधि मुस्कुरा दिए। एक का कहना था कि नलवा इतने ताकतवर थे कि हाथ से सिक्के मोड़ देते थे।
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