नई दिल्ली: मॉनसून आने में अभी तीन माह बाकी हैं मगर अल नीनो के प्रभाव से इस साल बारिश कम होने की आशंका अभी से जताई जा रही है। अल नीनो प्रशांत महासागर में आने वाला एक किस्म का मौसमी बदलाव है। इसमें सर्दियां गर्म, बिना बारिश वाली हो जाती हैं तो गर्मियां और भी गर्म रहती हैं। साथ ही मॉनसून भी कमजोर रहता है। एमके ग्लेाबल की रिसर्च रिपोर्ट कहती है कि बीते बीस साल में जितने भी सूखे पड़े हैं, वे सब अल नीनो वाले बरसों में ही पड़े हैं। ऐसे में रिसर्च रिपोर्ट आगाह कर रही हैं कि इस साल कृषि उपज कम रह सकती है जिससे खाने-पीने की चीजों की महंगाई बढ़ने का अंदेशा है। अमेरिका के नैशनल ओशिएनिक ऐंड ऐटमॉस्फेरिक ऐडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) ने संभावना जताई है कि इस साल जून से दिसंबर के बीच अल नीनो प्रभाव बनने की संभावना 55 से 60% तक है।
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