इंदौर। गृह निर्माण संस्थाओं के हजारों सदस्य आज भी सरकारी दफ्तरों में चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा। कई बार सरकारी महकमे ने मुहिम चलाई, लेकिन जेल जाने के बाद भी मोटी चमड़ी वाले जालसाजों पर कोई असर नहीं हुआ। अब प्रशासन ने उन्हें सबक सिखाने का फैसला कर लिया है। सीलिंग एक्ट में छूट पाने वाली संस्थाओं के नीचे से करीब 200 एकड़ जमीन खिसक कर सरकारी होने वाली है।
सरकार ने तीन बार गृह निर्माण संस्थाओं के सदस्यों की प्लॉट दिलाने की मुहिम शुरू की। दो साल पहले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के निर्देश बाद कलेक्टर मनीषसिंह के नेतृत्व में सख्त मुहिम चलाई गई। तीन हजार से अधिक सदस्यों को उनका हक दिलाया गया। प्रशासन बाकी संस्थाओं में भी न्याय दिलाने के लिए लगातार मेहनत कर रहा है, लेकिन संस्थाओं के कर्ताधर्ता जमीन के जादूगर तुम डालडाल हम पात-पात का खेल खेल रहे थे। कोई भी कार्रवाई की शुरुआत होती तो सहकारिता विभाग के कायदे-कानून को सामने रखकर चक्रव्यूह रच रहे थे।
प्रशासन अन्य संस्थाओं में सदस्यों को न्याय दिलाने का प्रयास कर रहा था। इस बीच कलेक्टर के आदेश पर अपर कलेक्टर राजेश राठौर खजराना की हिना पैलेस कॉलोनी व श्रीराम गृह निर्माण संस्था की जांच कर रहे थे, उनके हाथ सीलिंग एक्ट की धारा-20 लग गई। जैसे ही उसकी गहराई में गए, वैसे ही प्रशासन के हाथ में जैसे बड़ा खजाना लग गया। कलेक्टर को मामले की जानकारी दी गई।
ये है सीलिंग एक्ट की धारा-20
वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सीलिंग एक्ट लाई थीं। इसमें जिनके पास ज्यादा जमीन थी, उनकी जमीन सरकार ने गरीब और कमजोर वर्गों के लिए ले ली थी। उसमें जमीन के मालिकों को धारा-6 में जमीन का विवरण पेश करना था। उसके सामने आने पर सरकार तय कर रही थी कि कितनी को सरकारी घोषित करना है। शहरी सीलिंग एक्ट में धारा-20 का एक प्रावधान भी था।
उसमें ये था कि जमीन मालिक खुद बता दे कि वह गरीब व कमजोर वर्ग के लिए जमीन का उपयोग करेगा। इसका लाभ इंदौर के सैकड़ों जमीन मालिकों ने लिया। अधिकतर ने गृह निर्माण संस्थाओं को जमीन बेचने का सौदा करना बताया। संस्था का उद्देश्य बिना घर वालों को प्लॉट उपलब्ध कराना था। इसके जरिए जमीन मालिकों ने जमीन तो बेच दी, लेकिन गृह निर्माण संस्थाओं पर जमीन के जालसाजों का कब्जा हो गया।
जांच में सामने आई चौंकाने वाली जानकारी
खजराना की 19.8 एकड़ जमीन को सरकारी घोषित कर दिया गया। उसके बाद सीलिंग एक्ट की धारा-20 का लाभ लेकर संस्था की खरीदी गई जमीनों की जांच शुरू हुई जो अपर कलेक्टर अभय बेडेकर की निगरानी में हो रही थी। एक चौंकाने वाली जानकारी निकली, जिसमें 160 संस्थाओं के नाम सामने आए, जिन्होंने इसका फायदा लिया।
उसमें से कुछ संस्थाओं ने प्लॉट काटकर अपने सदस्यों को दिए, लेकिन अधिकतर संस्थाओं के कर्ताधर्ताओं की नीयत में खोट आ गई। ऐसी संस्थाओं की करीब 200 जमीनें निकलकर सामने आ गई हैं। प्रशासन अब सीलिंग एक्ट की शर्तों का उल्लंघन करने पर सभी जमीन को सरकारी घोषित करने की तैयारी कर रहा है। ये ऐसा मास्टर स्ट्रोक होगा, जिससे जमीन के जादूगर धराशायी हो जाएंगे। रातोरात रोड पर आ जाएंगे।
सबसे आगे खजराना
बड़ी संख्या में छूट लेने वाली संस्थाओं की जमीन खजराना में है। बिचौली मर्दाना, कनाडिय़ा, छोटा बांगड़दा, बड़ा बागड़दा और राऊ के अलावा कई अन्य गांव हैं, जहां पर संस्थाओं की जमीनें हैं।
ये हुई सरकारी
प्रशासन ने सबसे पहले हिना पैलेस के साथ में श्रीराम गृह निर्माण संस्था की जमीन को सरकारी घोषित किया। उसके बाद सूर्या व सर्वानंद नगर गृह निर्माण संस्थाओं की जमीन का नंबर आया।
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