अनिल धारवा, इंदौर. इंदौर सहित देश के छह शहरों में नई तकनीक से तैयार हो रहे लाइट हाउस प्रोजेक्ट के तहत गरीबों को जल्द ही मकान मिलेगा। प्रोजेक्ट में उपयोग की जाने वाली प्री फैब्रिकेटेड सैंडविच पैनल सिस्टम यानि पीएफएसपीएस तकनीक को सीखने देश-दुनिया के विद्यार्थी व प्रोफेसर इंदौर आ रहे हैं। इस तकनीक की खासियत यह है कि इसमें बिना ईंट-गारे से मकान बनाए जाते हैं.
शहरी विकास मंत्रालय सैंडविच पैनल प्रणाली के जरिये 1024 रेसिडेंशियल यूनिट्स का निर्माण करवा है। पहली बार भवन निर्माण में इतने बड़े पैमाने पर सैंडविच प्रणाली का उपयोग होगा। हाल ही में राजकोट में प्रोजेक्ट का थ्रीडी मॉडल प्रदर्शित किया गया। प्रोजेक्ट को पीएम नरेंद्र मोदी ने एक जनवरी 2021 को लॉन्च किया था। समय सीमा 31 दिसंबर 2022 की गई है।
प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी लेने देश दुनिया के इंजीनियरिंग कॉलेज, आइआइटी के विद्यार्थी और प्रोफेसर आते हैं। 18 वर्कशॉप हो चुकी हैं। देशभर में 6 हजार से ज्यादा लोगों ने टेक्नोग्राही के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया है जो काम भी कर रहे हैं।
30 मीटर ऊंचा होगा 128 फ्लैट का ब्लॉक
नगर निगम के अधीक्षण यंत्री महेश शर्मा ने बताया कि प्रोजेक्ट कनाडिया रोड पर आकार ले रहा है। दीवारें ईंट और गारे की नहीं होंगी बल्कि प्री फेब्रिकेटेड सैंडविच पैनल सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। 1024 ईडब्ल्यूएस फ्लैट में 30 मीटर ऊंची इमारत आठ ब्लॉक में आकार ले रही है। एक ब्लॉक पार्किंग सहित आठ मंजिला होगा। इसमें 128 फ्लैट हैं। बीम, कॉलम, स्लैब आदि पहले ही नासिक और पुणे की फैक्ट्री में तैयार कर साइट पर लाए जा रहे हैं। अब तक 70 प्रतिशत काम हो चुका है। इंदौर, लखनऊ, अगरतला, राजकोट, चेन्नई और रांची में अलग-अलग तकनीक से लाइट हाउस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है।
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