इंदौर। दो माह से सरकारी महकमा स्थानीय निकाय के चुनाव में जुटा हुआ था, जिसकी वजह से राजस्व के काम लंबित हो गए। हर काम में अव्वल रहने वाला इंदौर पिछड़ गया। चुनाव खत्म होते ही कलेक्टर ने अपना रुख सख्त कर दिया। सभी अफसरों को साफ कर दिया कि प्रकरणों का तुरंत निराकरण करें। छह माह पुराने प्रकरणों को खत्म करने के लिए 10 दिन का समय दिया गया।
स्थानीय निकाय चुनाव की खुमारी भी नहीं उतरी थी कि कलेक्टर मनीष सिंह ने एक बार फिर अपने अफसरों को अलर्ट कर दिया है। कल मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रदेश के सभी जिला कलेक्टर से चर्चा की। उस दौरान जब डेटा सिंह के हाथ लगा, तो उन्होंने सबसे पहले सभी अफसरों को एक संदेश जारी कर दिया। साफ निर्देश दिए कि छह माह से अधिक समय के लंबित प्रकरणों का निराकरण 10 दिन के अंदर किया जाए।
जैसे ही संदेश मिला, वैसे ही अपर कलेक्टर से लेकर तहसीलदारों में हड़कंप मच गया। सभी ने प्रकरणों की फाइलों को टेबल पर रखने के बाबुओं को निर्देश जारी कर दिए। साफ कर दिया कि किसी भी स्थिति में प्रकरणों का निराकरण करना है। सभी अफसरों को ये मालूम है कलेक्टर दस दिन बाद बैठक बुलाकर रिपोर्ट ले लेंगे। निराकरण नहीं होने पर क्या हाल होगा, उन्हें अच्छे से मालूम है। इसके लिए गुरुवार से ही काम पर जुट गए तुरंत तारीख लगाकर सुनवाई की जाएगी और प्रकरणों का फैसला किया जाएगा।
तहसीलों में सबसे ज्यादा प्रकरण
छह माह से अधिक लंबित प्रकरणों की संख्या सबसे ज्यादा तहसीलों में है। तहसीलदारों के बोर्ड पर प्रकरण लंबित चल रहे हैं। नामांतरण के कुल 153 आवेदन ऐसे हैं, जिनको छह माह से अधिक हो गए हैं। ऐसे ही हाल सीमांकन प्रकरणों के हो रहे हैं, जिनका आंकड़ा 210 है और बंटवारा की संख्या 43 है। प्रकरणों में पक्षकार चक्कर लगाकर थक गए हैं। कुछ तो एसडीएम और एडीएम के पास भी पहुंच जाते हैं, जिसके बाद तहसीलदार हरकत में आते हैं। ऐसे कई मामले हैं, जिनमें निराकरण के बजाय तारीख पर तारीख मिलती है।
from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/7G4bEV6