वरियता सूची में इंदौर-भोपाल जैसे शहर पिछड़े

इंदौर। प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए कई नवाचार कर रही है। मॉडल स्कूल से लेकर सीएम राइज स्कूल जैसी कोशिशें जारी हैं, फिर भी सरकारी स्कूलों के खासकर बड़े शहरों में बुनियादी शिक्षा का स्तर अभी भी दुरुस्त किए जाने की बहुत जरूरत है। राज्य शिक्षा केंद्र के एजुकेशन पोर्टल पर पहली से आठवीं तक की शासकीय शालाओं के लिए जिलों की रैंङ्क्षकग जारी की गई। शैक्षणिक सत्र 2021-22 में प्रदर्शन के आधार पर प्रदेश के सभी 52 जिलों की वरियता सूची जारी की गई है।
वरियता सूची में पहला स्थान जिला ङ्क्षछदवाड़ा ने 77.76 अंक प्राप्त कर ग्रेड-ए हासिल किया है। दूसरे स्थान पर बालाघाट और तीसरा स्थान नीमच को मिला है। इस रैङ्क्षकग में इंदौर जिला 23वें स्थान पर बी ग्रेड के साथ रहा और 62.92 अंक हासिल किए। वहीं भोपाल इंदौर से भी पीछे रहा और सी ग्रेड के साथ 35वें स्थान पर 57.71 अंक प्राप्त किए। जबकि छोटे शहर सीहोर, नरङ्क्षसहपुर, दमोह, बैतूल, शाजापुर, शहडोल और मुरैना को अच्छी रैंक मिली है। वरियता सूची में आखिरी पायदान पर ग्रेड डी 51वें स्थान पर गुना और आखिरी स्थान अलीराजपुर जिला है।
दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के निर्देश पर ही शासकीय स्कूलों की रैंङ्क्षकग जारी की गई है। प्रारंभिक शिक्षा की तर्ज पर ही 9वीं से 12वीं के लिए भी जिलों की वरियता सूची जारी की जाएगी। इसके लिए लोक शिक्षण द्वारा पैरामीटर्स विकसित किए जा रहे हैं। इस तरह इन दोनों वरियता सूची के आधार पर शिक्षा विभाग की समेकित वरियता सूची का आंकलन किया जाएगा। सभी जिला कलेक्टर्स से सुधारात्मक सुझाव व आपत्तियां प्राप्त की जाएंगीं। जिलों से प्राप्त सुझावों व आपत्तियों के आधार पर आवश्यक संशोधनों के बाद अंतिम रूप से जिलों की वरियता सूची निर्धारित कर सीएम डैशबोर्ड पर प्रदर्शित की जाएगी।

राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा जारी की गई वरियता सूची में 7 प्रमुख घटकों के लिए शिक्षा विभाग की अपेक्षाओं के अनुरूप अंक निर्धारित किए गए हैं। नामांकन और ठहराव के लिए 21 अंक, सीखने के परिणाम और गुणवत्ता के लिए 21, शिक्षक व्यावसायिक विकास के लिए 10, समता के लिए 10, बुनियादी ढांचा और सुविधा के लिए 13, शासन प्रक्रियाओं और वित्तीय प्रबंधन के लिए 20 और पढऩा-लिखना अभियान के लिए 5 अंक निर्धारित किए गए हैं। इसी प्रकार समग्र शिक्षा योजना में संचालित कार्यक्रम और गतिविधियों के साथ ही छात्रों के सीखने के प्रतिफल, शिक्षकों की क्षमता संवर्धन, शालाओं में उपलब्ध संसाधन और विभिन्न मूल्यांकनों में शालाओं के प्रदर्शन आदि को ध्यान में रखते हुए प्रदर्शन आधारित वरियता सूची तैयार की गई है।



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