बीजिंग रूस की सेना के यूक्रेन पर हमले के पूरी तैयारी कर चुकी है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन की सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है। इस महासंकट को देखते हुए अब अमेरिका का ध्यान ताइवान और चीन से हटकर रूस की ओर मुड़ गया है। इस बीच अब दुनिया में यह डर सताने लगा है कि कहीं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस की राह पर चलते हुए ताइवान के खिलाफ कार्रवाई न शुरू कर दें। यही वजह है कि विश्लेषक अमेरिका को तैयार रहने की सलाह दे रहे हैं। चर्चित अमेरिकी पत्रिका फॉरेन पॉलिसी का मानना है कि शी जिनपिंग ताइवान में पुतिन की राह पर बढ़ सकते हैं। ऐसे में अगर अमेरिका ताइवान पर फंसना नहीं चाहता है तो उसे आज से ही तैयारी शुरू करनी होगी। चीन का लक्ष्य है कि ताइवान को उनकी राजनीतिक मांग के झुकने और चीन के कब्जे को मानने के लिए मजबूर किया जा सके। साथ ही उसकी कोशिश होगी कि अमेरिका को ताइवान से दूर रखा जाए। चीन इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए ताइवान पर हमला कर सकता है लेकिन उसके लिए ऐसा करना जरूरी नहीं है। ताइवान को अमेरिका की मदद की जरूरत होगी रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन हॉन्ग कॉन्ग की तरह से परिणाम से भी खुश हो सकता है जिसमें ताइवान में एक चीन समर्थक सरकार आना शामिल है। यह सरकार चीन की पकड़ को मजबूत करने के लिए रियायत दे सकती है। हालांकि ताइवान पर चीन के हमले का खतरा ज्यादा है। चीन के लिए दिक्कत यह है कि हॉन्ग कॉन्ग के विपरीत पूरी तरह से स्वतंत्र शासित द्वीप है और वह समुद्र की वजह से चीन की मुख्य भूमि से पूरी तरह से अलग है। चीनी अधिकारी हॉन्ग कॉन्ग के विपरीत ताइवान में मौजूद नहीं हैं। इस संकट से निपटने के लिए चीन को एक संकट पैदा करना ही होगा ताकि ताइवान के नेता चीन को हमला करने की धमकी देने के बाद उसे रियायत दे दें। चीन की इस धमकी के खिलाफ ताइवान को अमेरिका की मदद की जरूरत होगी। ऐसे में अमेरिका को संकट से निपटने के लिए विश्वसनीय राजनयिक और सैन्य विकल्पों की जरूरत होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर चीन रूस की तरह से ताइवान के खिलाफ आक्रामक अभियान शुरू करता है तो अमेरिका इसके लिए तैयार नहीं होगा और फंस जाएगा।
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