34 साल पहले जब दुनिया ने देखी पावरफुल इंडिया की तस्वीर, पढ़िए देश की पहली मिसाइल की कहानी

वैसे तो, आजादी मिलने के फौरन बाद भारत ने स्पेस और एटॉमिक एनर्जी के क्षेत्र में कदम बढ़ा दिए थे लेकिन तब हालात इतने आसान नहीं थे। दुनिया में दो गुट थे। भारत पर प्रतिबंधों का साया था। होमी जहांगीर भाभा के 1956 में एशिया का पहला एटॉमिर रिएक्टर शुरू करने के साथ ही देश की उम्मीदें परवान चढ़ने लगी थीं। इस बीच, देश को पहले 1962 और फिर 1965 और आखिर में 1971 की लड़ाई लड़नी पड़ी। वैज्ञानिकों और देश की सरकार यह बात समझ चुकी थी कि पावरफुल बनने के लिए हमारे पास मिसाइल और परमाणु बम जैसे हथियार जल्द से जल्द चाहिए। शांतिप्रिय देश होने के बावजूद भारत के लिए डिटरेंस के लिहाज से ऐसा करना जरूरी थी, जिससे दुश्मन भारत की तरफ आंख उठाने की जुर्रत न कर सके। साल था 1988, इंदिरा गांधी की हत्या को चार साल होने को थे और 25 फरवरी के दिन भारत ने अपना पहला मिसाइल टेस्ट कर दिया। यह दुनिया के मानचित्र में भारत की एक दमदार उपस्थिति थी।

दुनिया के परमाणु संपन्न देशों में आज भारत का जिक्र होता है। पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी मुल्कों के बीच आज भारत की ऐसी धाक है कि दुश्मन कोई दुस्साहस करने से पहले सौ बार सोचेगा। लेकिन भारत का यह सफर इतना आसान नहीं था। पढ़िए भारत के पहले मिसाइल टेस्ट (Indian Missile Prithvi) की गौरवगाथा।


Prithvi Missile : 34 साल पहले जब दुनिया ने देखी पावरफुल इंडिया की झलक, देश की पहली मिसाइल की कहानी

वैसे तो, आजादी मिलने के फौरन बाद भारत ने स्पेस और एटॉमिक एनर्जी के क्षेत्र में कदम बढ़ा दिए थे लेकिन तब हालात इतने आसान नहीं थे। दुनिया में दो गुट थे। भारत पर प्रतिबंधों का साया था। होमी जहांगीर भाभा के 1956 में एशिया का पहला एटॉमिर रिएक्टर शुरू करने के साथ ही देश की उम्मीदें परवान चढ़ने लगी थीं। इस बीच, देश को पहले 1962 और फिर 1965 और आखिर में 1971 की लड़ाई लड़नी पड़ी। वैज्ञानिकों और देश की सरकार यह बात समझ चुकी थी कि पावरफुल बनने के लिए हमारे पास मिसाइल और परमाणु बम जैसे हथियार जल्द से जल्द चाहिए। शांतिप्रिय देश होने के बावजूद भारत के लिए डिटरेंस के लिहाज से ऐसा करना जरूरी थी, जिससे दुश्मन भारत की तरफ आंख उठाने की जुर्रत न कर सके। साल था 1988, इंदिरा गांधी की हत्या को चार साल होने को थे और 25 फरवरी के दिन भारत ने अपना पहला मिसाइल टेस्ट कर दिया। यह दुनिया के मानचित्र में भारत की एक दमदार उपस्थिति थी।



34 साल पहले की बात है...
34 साल पहले की बात है...

देश के दुश्मनों को संदेश देते हुए हमारे वैज्ञानिकों ने दिखा दिया कि भारत अब करारा जवाब देने की हैसियत रखता है। इस घटना को 34 साल हो रहे हैं। तब भारत ने सतह से सतह पर मार करने वाली पृथ्वी मिसाइल का सफलतापूर्वक टेस्ट किया था। इसके बाद देश का मिसाइल प्रोग्राम मजबूत होता गया। देश के डिफेंस साइंटिस्ट अब नए क्लास के अल्ट्रा-मॉडर्न वेपन्स बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं जो साउंड की स्पीड (मैक 6 यानी 7,400 किमी प्रति घंटे से अधिक) से 6 गुना अधिक तेज गति से वार कर सकता है।



जब संसद में राजीव गांधी ने की घोषणा, भारत ने....
जब संसद में राजीव गांधी ने की घोषणा, भारत ने....

ऐसे समय में इतिहास को पलटकर देखें तो पता चलता है कि 25 फरवरी 1988 के दिन भारत की ताकत कितनी बढ़ गई थी। प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने संसद के दोनों सदनों में ऐतिहासिक लॉन्च की घोषणा की थी। यह देश की आन-बान और शान से जुड़ी खबर थी। उस दिन संसद में मौजूद हर सदस्य ने पूरे गौरव के साथ मेज पीटते हुए शक्तिशाली भारत की गर्जना की थी। भारत को ऐसा हथियार मिल चुका था जो 250 किमी के इलाके में दुश्मन को तबाह करने की ताकत रखता था और यह तो अभी शुरुआत थी।



कलाम का था बड़ा रोल
कलाम का था बड़ा रोल

लॉन्च के बारे में बताते हुए राजीव गांधी ने आत्मनिर्भर भारत की बात कही थी। उन्होंने जोर देते हुए कहा था कि दुनिया को नहीं पता कि हमारी मिसाइल कैसे और किसके सहयोग से तैयार हो गई। राज्यसभा में सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुए राजीव गांधी ने साफ कहा था कि यह पूरी तरह से भारत की अपनी डिफेंस मिसाइल है। उन्होंने कहा था कि शांति पसंद मुल्क होने के नाते भारत शांति के लिए काम जारी रखेगा। इस लॉन्च में पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल साइंटिस्ट एपीजे अब्दुल कलाम का सबसे बड़ा योगदान था। दरअसल, उन्होंने ही इसकी कल्पना की थी और जुलाई 1983 में सरकार ने पृथ्वी, अग्नि और आकाश मिसाइलें विकसित करने के प्रोग्राम को हरी झंडी दी थी।



चीन और पाक भारतीय मिसाइलों की जद में
चीन और पाक भारतीय मिसाइलों की जद में

पृथ्वी की लॉन्चिंग के बाद आगे के दशकों में भारत ने कई पारंपरिक और सामरिक मिसाइलें विकसित कर ली जो 250 किमी से लेकर 5,000 किमी तक के टारगेट को नेस्तनाबूद कर सकती हैं। सितंबर 2020 में डीआरडीओ ने हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी डिमॉन्स्ट्रेटर वीकल (HSTDV) का पहली बार सफलतापूर्वक टेस्ट किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि पर DRDO को बधाई देते हुए कहा कि हमारे वैज्ञानिकों की ओर से विकसित किए गए स्क्रैमजेट इंजन की मदद से साउंड की स्पीड से 6 गुना तेज स्पीड की फ्लाइट हो सकती है। उन्होंने आगे लिखा कि आज के समय में कुछ ही देशों के पास यह क्षमता है। अधिकारियों का कहना है कि भारत अगले चार वर्षों में हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल तैयार कर सकता है। संकेत साफ है भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत अब वर्ल्ड क्लास वेपन्स तैयार करने की दिशा में बढ़ रहा है।



अब एक्सपोर्ट भी कर रहा भारत
अब एक्सपोर्ट भी कर रहा भारत

हाइपरसोनिक मिसाइलों की तकनीक अभी केवल अमेरिका, रूस और चीन के पास है। यह कम ऊंचाई पर उड़ते हुए अपने टारगेट को भेद सकती है और इसे ट्रैक या इंटरसेप्ट करना भी काफी मुश्किल होता है। भारत अब हथियार बनाने के साथ ही उसका निर्यात भी शुरू कर चुका है। दिसंबर 2020 में भारत सरकार ने आकाश मिसाइल सिस्टम को मित्र देशों को बेचने की मंजूरी दी। भारत ने 2024 तक 5 अरब डॉलर के डिफेंस एक्सपोर्ट का लक्ष्य रखा है। पिछले महीने भारत ने फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की डील की। 1988 के बाद आज इन तीन दशकों में भारत और भी शक्तिशाली हो चुका है। चीन हो या पाकिस्तान उन्हें पता है कि भारत के पास ऐसे हथियार हैं जो उन्हें काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं।





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