<p style="text-align: justify;">ब्रेस्टफीडिंग करानेवाली महिलाओं में कोरोना संक्रमण वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज पैदा करता है और उनके मिल्क में 10 महीनों तक रहता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर बच्चों को इस अवधि में दूध पिलाया जाता है तो उनको सुरक्षित होने का फायदा भी मिल सकता है. नतीजे बताते हैं कि ब्रेस्ट मिल्क कोरोना वायरस के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है, और गंभीर कोविड-19 से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>संक्रमण के बाद ब्रेस्ट मिल्क में मिली एंटीबॉडीज 10 महीने रहने का खुलासा</strong></p> <p style="text-align: justify;">न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई अस्पताल में डॉक्टर रेबेका पॉवेल और उनकी टीम ने 75 महिलाओं से ब्रेस्ट मिल्क का सैंपल इकट्ठा किया. ये महिलाएं कोविड-19 से उबर चुकी थीं. उन्होंने विश्लेषण में पाया कि सैंपल के 88 फीसद में इम्यूनोग्लोबिन ए एंटीबॉडीज है. ज्यादातर मामलों में ये एंटीबॉडीज संक्रमण को रोक सकते हैं क्योंकि उनमें कोरोना वायरस को निष्क्रिय करने की क्षमता होती है. सैंपल में ये भी देखा गया कि महिलाओं ने एंटीबॉडीज का बनाना संक्रमण के 6-10 महीनों के बीच जारी रखा, जिससे भविष्य के खतरों से निपटने के लिए इंसानी दूध की अहमियत का प्रदर्शन होता है. डॉक्टर पॉवेल ने बताया कि ब्रेस्ट मिल्क से निकाली गई इम्यूनोग्लोबिन ए एंटीबॉडीज संक्रमित व्यस्कों के लिए 'आश्चर्यजनक थैरेपी' हो सकती है.</p> <p style="text-align: justify;"><strong>एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन से ट्रिगर ब्रेस्ट मिल्क में एंटीबॉडी रिस्पॉन्स की जांच </strong></p> <p style="text-align: justify;">इस माह के शुरू में फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया था कि कोविड-19 टीकाकरण से मां के ब्रेस्ट मिल्क में एंटीबॉडीज पैदा होती है. विशेषज्ञों का कहना है कि इसका प्रेगनेंट और ब्रेस्टफीडिंग करानेवाली महिलाओं के टीकाकरण दर पर सकारात्मक प्रभाव हो सकता है. वैज्ञानिकों ने ब्रेस्ट मिल्क में इम्यूनोग्लोबिन ए एंटीबॉडीज की 100 गुना बढ़ोतरी पाई, जो दूसरे डोज के बाद संक्रमण से लड़ने और प्रतिरक्षा काम में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है. पॉवेल की टीम ने टीकाकरण के बाद 50 महिलाओं के ब्रेस्ट मिल्क में विशेष एंटीबॉडीज के संबंध को भी जांचा.</p> <p style="text-align: justify;">रिपोर्ट के मुताबिक, सभी महिलाओं को फाइजर, मॉडर्ना या जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन लगाई गई थी. मॉडर्ना की वैक्सीन लगवानेवाली सभी महिलाओं और फाइजर की वैक्सीन लगवानेवाली 87 फीसद महिलाओं के ब्रेस्ट मिल्क में इम्यूनोग्लोबिन जी एंटीबॉडीज मिली, जबकि इम्यूनोग्लोबिन ए एंटीबॉडीज 71 फीसद और 51 फीसद पाया गया. जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन से मात्र 38 फीसद महिलाओं के ब्रेस्ट मिल्क में कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यूनोग्लोबिन जी एंटीबॉडीज और 23 फीसद इम्यूनोग्लोबिन ए एंटीबॉडीज थी. वैज्ञानिकों की टीम अब एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन से ट्रिगर ब्रेस्ट मिल्क में एंटीबॉडी रिस्पॉन्स को जांचने में जुट गई है. </p> <p style="text-align: justify;"><strong><a title="ब्रेस्टफीडिंग करानेवाली महिला के लिए हाइड्रेशन का क्या है महत्व? डिहाइड्रेशन रोकने के तरीके जानिए" href="https://ift.tt/3umKAtr" target="">ब्रेस्टफीडिंग करानेवाली महिला के लिए हाइड्रेशन का क्या है महत्व? डिहाइड्रेशन रोकने के तरीके जानिए</a></strong></p> <p style="text-align: justify;"><strong><a title="Migraine Problem: माइग्रेन के दर्द से रहते हैं परेशान तो इन घरेलू उपायों को अपनाकर पाएं आराम" href="https://ift.tt/2XXHnUW" target="">Migraine Problem: माइग्रेन के दर्द से रहते हैं परेशान तो इन घरेलू उपायों को अपनाकर पाएं आराम</a></strong></p> <p style="text-align: justify;"> </p>
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