वॉशिंगटन वर्ष 2021 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन का दौर अब समाप्त हो चुका है और इस सूची में अब कई ऐसे नाम जुड़ गए हैं जो साल भर सुर्खियों में रहे थे। सबसे रोचक नाम अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके दामाद जेरेड कुश्नर का है। ट्रंप और जेरेड कुश्नर दोनों को ही पश्चिम एशिया में शांति वार्ता को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए नामांकित किया गया है। वहीं अमेरिका की मताधिकार कार्यकर्ता स्टेसी अब्राम्स को भी इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है। डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता स्टेसी अब्राम्स को बैलट बॉक्स के जरिए अहिंसक बदलाव के लिए नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है। अब्राम्स ने पिछले कड़ी मेहनत की जिससे वोटों का प्रतिशत बढ़ा और इससे जो बाइडेन को चुनाव जीतने में काफी मदद मिली। नार्वे की सोशलिस्ट पार्टी के एक सदस्य लार्स ने स्टेसी की तुलना डॉक्टर मार्टिन लूथर किंग जूनियर से की। 'जेरेड कुश्नर ने कराया अब्राहम समझौता' जेरेड कुश्नर और उनके डेप्युटी अवी बेरकोवित्ज को रविवार को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया गया। उन्हें इजरायल और अरब देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने के लिए इस पुरस्कार से नामित किया गया है। इसे अब्राहम समझौता कहा जा रहा है। इन दोनों की जोड़ी ने इजरायल और यूएई, बहरीन, सूडान और मोरक्को के बीच समझौता कराया था। इजरायल और अरब देशों के बीच समझौते के लिए ही ट्रंप को भी नामित किया गया है। इस बार जिन अन्य लोगों के बीच पुरस्कार के लिए जंग देखने को मिलेगी उसमें रूस में विपक्षी नेता एलेक्सी नवेलनी, जलवायु परिवर्तन एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग और विश्व स्वास्थ्य संगठन शामिल हैं। ट्रंप को छोड़कर बाकी के तीनों उम्मीदवारों को नार्वे के सांसदों ने नामांकित किया है। बता दें कि नोबेल शांति पुरस्कार के लिए विजेता चुनने का ट्रैक रिकॉर्ड नार्वे के इन सांसदों के नाम ही है। विजेता चुनने का ट्रैक रिकॉर्ड नार्वे के नाम इन उम्मीदवारों के अलावा दुनियाभर के हजारों लोगों ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अप्लाई किया हुआ है। इसमें कई देशों के सांसदों के अलावा पूर्व नोबेल विजेता भी शामिल हैं। रविवार को यानी आज नोबेल शांति पुरस्कारों के लिए नामांकन बंद हो गया है। पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओस्लो के निदेशक हेनरिक उराल्ड ने कहा कि नार्वे के सांसदों ने 2014 के बाद से हर साल जिसे शांति पुरस्कारों के लिए नामित किया है, उसी में से किसी एक के नाम यह खिताब दर्ज हुआ है। हाल के वर्षों से पैटर्न काफी आश्चर्यजनक है। नॉमिनेशन का खुलासा नहीं करती है नोबेल कमेटी नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी के निणर्य पर यह निर्भर करेगा कि यह पुरस्कार किसे दिया जाएगा। यह कमेटी नॉमिनेशन पर कभी भी कोई टिप्पणी नहीं करती है। नोबेल कमेटी 50 साल तक नामांकित और असफल उम्मीदवारों के नाम को गुप्त भी रखती है। हालांकि, अगर नामांकित व्यक्ति अपने नाम का खुलासा करना चाहे तो उसे सार्वजनिक किया जा सकता है।
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