माघ मास की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को समर्पित संकष्टी गणेश चतुर्थी, सकट चौथ व्रत रखा जाता है। सकट चौथ का व्रत 31 जनवरी, रविवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन माताएं अपनी संतान के लिए व्रत रखती हैं। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाए तो कष्ट दूर होते हैं और सारी इच्छाएं पूरी होती हैं। संतान प्राप्ति और संतान की दीर्घायु के लिए यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन भगवान गणेश और चन्द्र देव की उपासना करने का विधान है। सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, वक्रतुण्डी चतुर्थी, माही चौथ या तिलकुटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है।
ऐसे रखें व्रत
सकट चौथ का व्रत रखने के दिन महिलाएं सबसे पहले सुबह स्नान करती हैं और उपवास रखने का संकल्प करती हैं। शाम को चंद्र दर्शन के बाद ही इस व्रत को तोड़ा जाता है। इस दिन शकरकंद खाने का अलग ही महत्व है। इस व्रत का खास महत्व है। सकट चौथ का व्रत महिलाएं खासतौर पर संतान की लंबी आयु और उनके सुखद भविष्य की कामना करते हुए रखती हैं। सकट चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत पूरा माना जाता है।
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श्रीगणेश के साथ चंद्रदेव की पूजा
मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा कर भगवान को भोग लगाकर कथा सुनी जाती है। 21 दूर्वा भगवान श्रीगणेश को अर्पित करनी चाहिए। ऐसा करने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। इस व्रत में तिल और गुड़ से बने लड्डू, ईख, शकरकंद, गुड़, घी अर्पित करने की परंपरा है। शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत संपन्न होता है। सकट चौथ के दिन भगवान श्रीगणेश के साथ चंद्रदेव की पूजा की जाती है। शहद, रोली, चंदन और रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य देना चाहिए। इस दिन व्रतधारी को लाल रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए। इस दिन सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों को दान अवश्य दें।
संकष्ठी चतुर्थी पर विशेष लाभ
- इस दिन भगवान गणेश की उपासना से हर तरह के संकट का नाश होता है
- संतान प्राप्ति और संतान संबंधी समस्याओं का निवारण होता है
- अपयश और बदनामी के योग कट जाते हैं
- हर तरह के कार्यों की बाधा दूर होती है
- धन तथा कर्ज संबंधी समस्याओं में सुधार होता है
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