सनातन हिंदू परंपरा में हर व्यक्ति पूजा के दौरान अपने इष्टदेव के सामने दीया (Diya) यानि दीपक अवश्य रखता है। माना जाता है कि दीये के प्रकाश में ईश्वरीय कृपा बसती है। यह दीया ईश्वर (God) के नाम जलाया जाता है जिसके संबंध में माना जाता है कि यह दीया हमारे जीवन के समस्त दु:ख और परेशानी को दूर कर देता है। ऐसे में पूजा में जलाए जाने वाले दीपक (Lamp) का न सिर्फ धार्मिक व ज्योतिषीय बल्कि वास्तु महत्व भी माना जाता है। ऐसे में पूजा के दौरान दीपक जलाने को लेकर कुछ विशेष नियम व मान्यताएं भी हैं जो इस प्रकार हैं...
दीपक से जुड़ी ये खास बातें
पूजा के दौरान जहां कुछ लोग घी का दीपक जलाते हैं तो वहीं कुछ तेल का दीपक जलाते हैं। इसके अलावा कुछ लोग जहां काले तिल से दीपक जलाना पसंद करते हैं तो वहीं कुछ सरसों के तेल का दीपक जलाते हैं।
परंतु क्या आपने कभी इस बात पर विचार किया है कि घी का दीपक जलाना सही होता है या फिर तेल का दीपक...
दरअसल पूजा के समय घी का दीपक जलानें को लेकर मान्यता है कि इससे देवी-देवता प्रसन्न होते हैं।
माना जाता है कि घी का दीपक जलाने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होने के साथ ही वास्तु दोष भी दूर होता है।
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यह भी मान्यता है कि घी का दीपक देवी-देवताओं को समर्पित होता है।
वहीं ये भी माना जाता है कि पूजा के समय तेल का दीपक जलाने से भक्त की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है। पहले के समय में घी का दीपक नहीं होने पर तिल के तेल का ही दीपक जलाया जाता था।
कहा जाता है कि तिल के तेल के दीपक को हमेशा देवी-देवताओं के बायें ओर जलाकर रखना चाहिए, जबकि घी का दीपक देवी देवताओं के दायीं ओर रखना चाहिए।
तेल के दीपक को जलाने के लिए हमेशा लाल घागे से बनी बाती का उपयोग करना शुभ माना गया है।
ध्यान रहे कि मान्यताओं के अनुसार दीए की दिशा में परिवर्तन या अन्य किसी भी तरह के जैसे घी व तेल आदि में बदलावों को उचित नहीं माना जाता है, इस संबंध में जानकारों का मानना है कि एक छोटी सी गलती आपकी जीवन में काफी बढ़ी परेशानी का कारण बन सकती है
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