Indore News : एमआइसी की बैठक में हंगामा, मेंबर बोले... मैडम अफसर तो हमें मूर्ख समझते हैं

इंदौर. मेयर-इन-कौसिंल (एमआइसी) की बैठक कल नगर निगम मुख्यालय में हुई। इस दौरान टंकी के न भरने, लोगों को पर्याप्त पानी न मिलने और नल में गंदा पानी आने को लेकर काफी हंगामा हुआ। एमआइसी मेंबरों ने जलप्रदाय विभाग के अफसरों को घेरा और यहां तक कह दिया कि मैडम (निगमायुक्त) जलप्रदाय विभाग के अफसर तो हमें मूर्ख समझते हैं। एक एमआइसी मेंबर ने तो यहां तक कह दिया कि पानी की टंकी पर लिखवा दो जागते रहो, क्योंकि जो पार्षद जागता है उसकी टंकी भर जाती है। जो सोता है उसकी खाली रह जाती है। इधर, एमआइसी की बैठक शुरू होते ही महापौर ने ड्रेनेज विभाग के कार्यपालन यंत्री को बाहर कर दिया।

निगम मुख्यालय स्थित महापौर परिषद हॉल में एमआइसी की बैठक कल शाम 4.30 बजे शुरू हुई और रात 8.45 बजे तक चली। महापौर पुष्यमित्र भार्गव की मौजूदगी में हुई बैठक में सबसे ज्यादा हंगामा पानी सप्लाय को लेकर मचा। इस दौरान एमआइसी मेंबर जीतू यादव ने जलप्रदाय विभाग के कार्यपालन यंत्री संजीव श्रीवास्तव को घेरते हुए कहा कि मैडम (निगमायुक्त हर्षिका सिंह) ये हमें मूर्ख समझते हैं, क्योंकि बार-बार कहने के बावजूद मेरे क्षेत्र कुलकर्णी नगर में बनी पानी टंकी को पूरा नहीं भरा जा रहा है। मैं टंकी पांच मीटर भरने का श्रीवास्तव को कई बार बोल चुका हूं, फिर भी ये 3 मीटर ही भर रहे हैं। इस कारण क्षेत्र में पानी की किल्लत बनी हुई है। मैडम आप इन्हें (श्रीवास्तव) को समझा दें वरन मैं अपनी भाषा में समझा दूंगा। इधर, एमआइसी मेंबर यादव की बात का समर्थन करते हुए स्वास्थ्य समिति प्रभारी अश्विनी शुक्ला ने कहा कि पानी की टंकी पर लिखवा दो जागते रहो, क्योंकि जो पार्षद जागता है उसकी टंकी भर जाती है। जो सोता है उसकी टंकी खाली रह जाती और पार्षद सहित जनता दिनभर परेशान होती रहती है। इससे कार्यपालन यंत्री श्रीवास्तव को कोई फर्क नहीं पड़ता है।

पानी की समस्या को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग के प्रभारी नंदकिशोर पहाडिय़ा ने भी उठाया और कहा कि कार्यपालन यंत्री श्रीवास्तव को में कब से बोल रहा हूं कि क्षेत्र में गंदे पानी की समस्या है। इसका निराकरण करें। दो महीने हो गए है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। श्रीवास्तव सहित जोन पर बैठे जलप्रदाय विभाग के अफसरों को मौका भी दिखा दिया, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। इनके साथ ही एमआइसी मेंबर राजेश उदावत ने भी पानी की समस्या को उठाया। इसके अलावा शहर में नर्मदा का कितना पानी आ रहा और कहां जा रहा है इसको लेकर सवाल भी एमआइसी मेंबरों ने खड़े किए। कहना था कि जब वर्ष-2035 तक की जनसंख्या के अनुसार पानी की व्यवस्था है तो फिर जा कहां रहा है? एमआइसी की बैठक में तकरीबन एक घंटे तक टंकी के न भरने, लोगों को पर्याप्त पानी न मिलने और नलों में गंदा पानी आने को लेकर काफी हंगामा हुआ, लेकिन इस समस्या का समाधान करने को लेकर कोई ठोस कदम उठाने को लेकर न तो महापौर भार्गव ने कुछ कहा और न ही निगमायुक्त हर्षिका सिंह सहित जलकार्य समिति के प्रभारी अभिषेक शर्मा कुछ बोले। बैठक में एमआइसी मेंबर राजेंद्र राठौर, निरंजन सिंह चौहान, मनीष शर्मा, प्रिया डांगी मौजूद थे।

Indore News : एमआइसी की बैठक में हंगामा, मेंबर बोले... मैडम अफसर तो हमें मूर्ख समझते हैं

इसलिए बैठक से बाहर किया सुनील गुप्ता को

एमआइसी शुरू होने से पहले महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने ड्रेनेज विभाग के कार्यपालन यंत्री सुनील गुप्ता को बैठक के बाहर कर दिया। महापौर भार्गव ने कहा कि आपका (गुप्ता) बैठक में मन नहीं लगता है इसलिए आप जाइए। इस पर गुप्ता ने माफी मांगी, लेकिन महापौर भार्गव का कड़ा रूख रहा और उन्हें बैठक से बाहर कर दिया गया। कार्यपालन यंत्री गुप्ता को बैठक से बाहर करने की कहानी यह है कि पिछले महीने 27 अगस्त को महापौर भार्गव ने वार्ड में होने वाले कार्यों की समीक्षा बैठक रखी थी। इस दौरान ड्रेनेज से संबंधित कार्य वार्ड में न होने पर पार्षदों ने कार्यपालन यंत्री सुनील गुप्ता की शिकायत की थी। इस पर महापौर भार्गव ने गुप्ता को बैठक में तलब किया। गुप्ता के बैठक में पहुंचते ही पार्षदों ने उनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए घेर दिया। इस पर महापौर भार्गव ने जब उनसे वार्ड में ड्रेनेज के काम न होने को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने सुना-अनसुना कर दिया और मोबाइल पर निगमायुक्त का फोन आने पर उठकर चले गए। उनकी यह हरकत बैठक में मौजूद एमआइसी मेंबर जीतू यादव और पार्षद मनोज मिश्रा को नागवार गुजरी और उन्होंने गुप्ता को खूब खरी-खोटी सुनाई। साथ ही कहा कि तुम जैसे अफसर महापौर का अपमान करते हो। गुप्ता की हरकत से महापौर भी नाराज हुए और उन्होंने उस समय भी गुप्ता को बैठक से बाहर कर दिया था। कल एमआइसी शुरू होने के पहले भी महापौर ने उन्हें रवाना कर दिया, लेकिन न तो निगमायुक्त कुछ बोली और न ही कोई अफसर ने कुछ कहा।



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