
इंदौर। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में व्यवस्थाएं हैं कि सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। अफसरों की लापरवाही के चलते आमजन के काम भी समय पर नहीं हो पा रहे हैं। ड्राइविंग लाइसेंस शाखा का बिगड़ा ढर्रा भी सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। पहले ड्राइविंग लाइसेंस कार्ड का टोटा और अब अधिकारी के थंब न लगने से सैकड़ों कार्ड अटक गए हैं। मुख्यालय से ड्राइविंग लाइसेंस के लिए कार्ड तो आए, लेकिन वह ऊंट के मुंह में जीरा समान ही हैं। कार्ड का टोटा होने वाला है। पेंडेंसी है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। आवेदक कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
प्रदेश में परिवहन विभाग को सबसे अधिक राजस्व देने वाला क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में आवेदकों को राहत नहीं मिल रही है। सरकार चाहे कितना ही दावा करे कि परिवहन विभाग में अब घर बैठे आवेदकों के काम हो रहे हैं, जबकि हकीकत यह है कि आवेदकों को छोटे-छोटे काम के लिए अफसर कार्यालय के चक्कर लगवाने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऑनलाइन लर्निंग लाइसेंस तो बन जाता है, लेकिन जब उसे परमानेंट बनवाने जाना होता है तो दस्तावेज से लेकर अन्य कार्य के लिए आवेदकों को कार्यालय ही आना पड़ता है। इसके बाद उसे टेस्ट के नाम पर परेशान किया जाता है। फिर फोटो के लिए लंबी-लंबी कतार में लगना पड़ता है।
कार्ड आए महज 3500
परिवहन विभाग के पास ड्राइविंग लाइसेंस कार्ड खत्म होने पर नए और रिन्युअल कार्ड की पेंडेंसी दस हजार तक पहुंच गई थी, लेकिन मुख्यालय ने महज 3500 ही कार्ड भेजे हैं। अब ये कार्ड अफसर भी पहले एवजियों द्वारा रिकमेंट किए गए एजेंट्स के लिए निकाल रहे हैं, जिससे पहुंच वाले एजेंट्स को कार्ड पाने में सफल हो रहे हैं। कई एजेंट ऐसे हैं जो परेशान हो रहे हैं। वहीं आवेदक चक्कर काट रहे हैं।
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