नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में सालभर से भी कम का वक्त बचा है। यूं तो सांसद बैठकें करके अपने इलाके की समस्याओं का समाधान करते हैं, लेकिन इसके साथ ही उनका एक महत्वपूर्ण कार्य संसद सदस्य के तौर पर संसदीय कार्यों में भी हिस्सा लेना होता है। सांसदों को सांसद निधि (फंड) भी मिलती है, जिसका वे अपने क्षेत्र में जनहित के कार्यों के लिए उपयोग करते हैं। यह जानना दिलचस्प है कि संसदीय कार्यों और फंड के उपयोग के मामले में दिल्ली के सातों लोकसभा सांसदों की क्या परफॉर्मेंस रही? लोकसभा वेबसाइट के आधार पर हम पेश कर रहे हैं यह रिपोर्ट :गौतम गंभीर आगे, हंसराज हंस पीछेलोकसभा के रेकॉर्ड के मुताबिक, सांसद निधि का उपयोग करने के मामले में ईस्ट दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर सबसे आगे हैं। वह अपने पूरे फंड का उपयोग तो कर ही चुके हैं, उनके हिस्से में जो पिछले सदस्य का फंड आया था, उसका भी उन्होंने उपयोग कर लिया। साल 2019-20 से उन्हें अब तक 7 करोड़ रुपये मिले, लेकिन उन्होंने खर्च 7.24 करोड़ रुपये किए। जबकि इस मामले में नॉर्थ वेस्ट दिल्ली के सांसद हंसराज हंस सबसे पीछे हैं। उन्हें 5 करोड़ रुपये मिले, लेकिन अब तक 1.83 करोड़ रुपये ही खर्च हुए।सवालों के मामले में: लोकसभा में सवाल पूछने के मामले में दिल्ली के सांसदों में मनोज तिवारी सबसे आगे हैं। उन्होंने लोकसभा में 336 सवाल पूछे, जबकि डॉ. हर्षवर्धन ने एक भी सवाल नहीं पूछा (वह लंबे समय तक मंत्री रहे और मंत्री सवाल नहीं पूछते)। हंसराज हंस ने भी अब तक 15 सवाल ही पूछे हैं।डिबेट व मुद्दे उठाना: इस मामले में मीनाक्षी लेखी आगे हैं जिनके नाम ऐसे 74 मौके हैं, जबकि सबसे कम तीन हंसराज हंस के नाम हैं। वहीं, सरकार से सबसे अधिक 11 बार आश्वासन प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को मिले। हंसराज हंस और डॉ. हर्षवर्धन के खाते में एक भी आश्वासन नहीं है।
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