इंदौर। नगर निगम में ठेकेदार फाइलें लेकर घूमते नजर आते हैं तो कई म महत्वपूर्ण फाइलें ढूंढऩे के बावजूद नहीं मिलती हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए महापौर पुष्यमित्र भार्गव एक सॉफ्टवेयर तैयार करा रहे हैं। हाई कोर्ट में जैसे प्रकरण ऑनलाइन चलते हैं ठीक उसी तर्ज पर ये सॉफ्टवेयर काम करेगा। निगम में भी निराकरण तक फाइलों पर नजर रखी जा सकती है।
नगर निगम में सैकड़ों फाइलें गायब हैं जिसको ढूंढऩे के लिए टीम भी लगा दी, लेकिन आज तक हाथ नहीं लगीं। कई फाइलों को लेकर तो ठेकेदार भी घूमते नजर आते हैं, जबकि कायदे से वह नगर निगम की संपत्ति हो जाती है। उसे कोई भी इधर-उधर नहीं ले जा सकता है। लगातार सामने आने वाली ऐसी समस्याओं को हल करने के लिए महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने काम शुरू कर दिया है। ऑनलाइन सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है जैसे हाई कोर्ट और जिला प्रशासन में भी राजस्व के प्रकरण आरसीएमएस ऑनलाइन सिस्टम पर संचालित होते हैं।
नगर निगम में भी उसी तर्ज पर ये सॉफ्टवेयर काम करेगा। कोई भी फाइल होगी तो सबसे पहले ऑनलाइन दर्ज होगी चाहे वह किसी भी विभाग से संबंधित क्यों न हो। उस समय फाइल का नंबर अलॉट हो जाएगा। उसके बाद कोई भी उस फाइल के नंबर डालकर उसकी स्थिति को देख सकता है। जब भी फाइल किसी भी अधिकारी के पास जाएगी उससे पहले एंट्री की जाएगी और उसकी प्रगति भी उसमें डाली जाएगी।
जैसे ही साइन होकर फाइल आगे बढ़ेगी वह आदेश भी डाला जाएगा और जहां पहुंचेगी वहां की भी एंट्री हो जाएगी। जब तक निराकरण नहीं हो जाता फाइल की एंट्री चलती रहेगी। सॉफ्टवेयर से ये पता लग जाएगा कि फाइल किसके पास है। बाद में निराकरण होने पर उसे रिकॉर्ड में भी रखा जाएगा तो उसकी भी एंट्री होगी। इसके लागू होते ही नगर निगम में फाइलों के गायब होने की समस्या खत्म हो जाएगी। पार्षद के पत्र से लेकर एमआइसी के फैसले तक उस सॉफ्टवेयर में डाले जाएंगे।
कर्मचारियों को देंगे ट्रेनिंग
गौरतलब है कि सॉफ्टयवेर कम्पनी इस पर जोरों से काम कर रही है। सॉफ्टवेयर तैयार होने के बाद में नगर निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों को बकायदा उसे संचालित करने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। ऐसा ही कुछ जिला प्रशासन ने भी किया था जब आरसीएमएस सिस्टम लागू हुआ था। पहले ट्रेनिंग दी गई जिसके बाद वे काम कर पाए।
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