Union Budget 2023: विनिवेश के लक्ष्य को हासिल करने में सरकार नाकाम! बजट में विनिवेश की सूची में नई कंपनियों को जोड़ने की उम्मीद कम

<p style="text-align: justify;"><strong>Budget 2023-24:</strong> वित्त वर्ष 2022-23 खत्म होने को है लेकिन इस वित्त वर्ष में सरकार ने सरकारी कंपनियों के विनिवेश का जो लक्ष्य रखा था वो अब तक पूरा नहीं हो सका और बाजार में जैसी अस्थिरता देखने को मिल रही है उसके बाद इस लक्ष्य के पूरा होने पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है. ऐसे में माना जा रहा है कि एक फरवरी 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी तो केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के निजीकरण की सूची में और कंपनियों को जोड़े जाने की संभावना ना के बराबर है.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><br />वित्त मंत्रालय अगले वित्त वर्ष में पहले से घोषित सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण की योजना पर आगे बढ़ेगा. अगले वित्त वर्ष के लिए बजट में विनिवेश लक्ष्य को कम कर और इसे वास्तविकता के और करीब किए जाने की उम्मीद है, क्योंकि चालू वित्त वर्ष लगातार चौथा साल रहने वाला है जबकि सरकार अपने विनिवेश के लक्ष्य के हासिल करने में नाकाम रहने वाली है.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><br />मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार ने विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था. लेकिन अबतक सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर केवल &nbsp;31,106 करोड़ रुपये जुटाने में सफलता मिली है जिसमें 21000 करोड़ रुपये केवल एलआईसी के आईपीओ से आया है. &nbsp;सरकार ने 2021 में घाटे में चल रही एयर इंडिया का निजीकरण सफलता के साथ पूरा किया था. लेकिन पिछले साल के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण के मोर्चे पर प्रगति अच्छी नहीं रही है. जानकारों का मानना है कि 2024 में होने वाले आम चुनाव के मद्देनजर किसी बड़े विनिवेश की घोषणा की उम्मीद इस बजट में नहीं है. एक अधिकारी ने कहा, सरकार उन कंपनियों की स्ट्रैटजिक सेल्स को आगे बढ़ाएगी जिनके लिए कैबिनेट से पहले ही मंजूरी हासिल की जा चुकी है.&nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><br />2023-24 में सरकार शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, एनएमडीसी स्टील लिमिटेड, बीईएमएल, एचएलएल लाइफकेयर, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और आरआईएनएल या विजाग स्टील जैसी कंपनियों के साथ-साथ आईडीबीआई बैंक के निजीकरण को आगे बढ़ाएगी. रणनीतिक बिक्री या निजीकरण में कम से कम एक साल का समय लगता है, बजट में ऊंचा विनिवेश लक्ष्य तय कर उसे हासिल करना मुश्किल होता है. पिछले एक साल में निवेशकों द्वारा रुचि नहीं दिखाने की वजह से सरकार ने बीपीसीएल सहित कुछ और कंपनियों के स्ट्रैटजिक सेल्स को टाल दिया था. &nbsp;</p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें-&nbsp;<a title="Ashneer Grover: अशनीर और उनकी पत्नी को BharatPe से कितनी मिलती थी सैलरी, रिपोर्ट में हुआ खुलासा" href="https://ift.tt/be8RNhs" target="_self">Ashneer Grover: अशनीर और उनकी पत्नी को BharatPe से कितनी मिलती थी सैलरी, रिपोर्ट में हुआ खुलासा</a></strong></p> <p style="text-align: justify;">&nbsp;</p>

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