ठेकेदारों में स्पर्धा, काम घटिया

इंदौर। नगर निगम में ठेके पर काम लेने को लेकर ठेकेदारों में स्पर्धा चल रही है। कई ठेकेदार ऐसे हैं, जो निगम के तय रेट से भी कम में निर्माण कार्य के ठेके ले रहे हैं और घटिया काम कर रहे हैं। गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा जा रहा। शहर में होने वाले ऐसे निर्माण कार्यों को निगम रोकेगा और गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इसके लिए ठेकेदारों को चेताया जा रहा है। साथ ही गड़बड़ी करने वाले ठेकेदारों पर कार्रवाई भी होगी। वर्कऑर्डर लेकर काम न करने वाली ठेकेदार एजेंसी पर गाज गिरेगी।

सडक़ निर्माण, ड्रेनेज और नर्मदा पाइप लाइन डालने का काम, नए स्कूल भवन बनाना या जीर्णोद्धार, नाली निर्माण, बगीचों में सिविल वर्क, पैवर्स ब्लॉक लगाने, फुटपाथ की मरम्मत, रंगाई-पुताई, सेंट्रल डिवाइडर, पानी निकासी की स्टॉर्म वाटर लाइन डालने, सडक़ के गड्ढे भरवाने, नालों का विकास, ड्रेनेज चेंबर बनवाने व ढक्कन लगवाने, स्ट्रीट लाइट और अन्य कई काम निगम ठेके पर करवाता है। इसके लिए निगम में ठेकेदारों की बड़ी फौज है, क्योंकि 900 के आसपास लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवा कर निगम की ठेकेदारी का लाइसेंस ले रखा है। इनमें से काम करीब 300 ठेकेदार ही करते हैं। निगम में आने वाली हर नई परिषद में 200 के आसपास ठेकेदार भी नए आते हैं, जो महापौर और पार्षद से जुड़े होते हैं।

कठघरे में हैं अफसर
इधर, अब ठेकेदारों की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। निगम के हर विभाग में काम लेने के लिए ठेकेदारों में स्पर्धा चल रही है। इसका परिणाम जनता को घटिया और गुणवत्ताहीन होने वाले निर्माण के रूप में भुगतना पड़ता है। पैसों और समय की बर्बादी अलग होती है। घटिया और गुणवत्ताहीन निर्माण न हो। यह देखना निगम के बड़े अफसरों और इंजीनियरों की जिम्मेदारी है, जो कंसल्टेंट के भरोसे रहते हैं और मौके पर बहुत कम जाते हैं। ठेकेदार मनमानीपूर्वक काम करते और कार्य गुणवत्ता बिगड़ती है। इससे अफसर भी जनता की अदालत के कठघरे में खड़े नजर आते हैं। स्पर्धा के चलते कई ठेकेदार निगम के तय रेट से कम में ठेका लेकर काम बिगाड़ रहे हंै। घटिया निर्माण कर रहे हैं। कम रेट में टेंडर की फाइलें लगा रहे हैं। उदाहरण के लिए एसओआर के अनुसार किसी निर्माण कार्य का रेट निगम ने 1000 रुपए तय किया है, तो स्पर्धा के चलते कई ठेकेदार 700 रुपए में काम करने का टेंडर डाल देते हैं। इससे काम गुणवत्ताहीन होता है और मटेरियल क्वालिटी भी घटिया होने से जल्द ही काम खराब हो जाता है।

नहीं पड़ेगा निगम पर आर्थिक बोझ
सुरक्षा निधि राशि को एफडी के रूप में लेने की मांग बैठक में रखी जाएगी, जो ठेकेदार वर्षों से कर रहे हैं। इससे निगम पर आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। अभी एफडी जमा होने पर ठेकेदार को नकद देना पड़ता है। एफडी रहेगी तो रिटर्न हो जाएगी और निगम को देने में कोई दिक्कत नहीं होगी। सरकार का नियम भी एफडी लेने का है।



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