कांग्रेस विधायक ने मांगी पटवारियों की कुंडली

इंदौर. पूर्व मंत्री व कांग्रेस विधायक ने पटवारियों को लेकर एक जबर्दस्त सवाल दागा है, जिसकी रिपोर्ट बनाने में सरकारी महकमे के पसीने छूट रहे हैं। पूछ लिया है कि ढाई साल में अब तक पटवारियों की कितनी शिकायतें आईं हैं और उनका क्या निराकरण हुआ? भ्रष्टाचार व आर्थिक अनियमितताओं के प्रकरणों की भी जानकारी मांगी। एक तरह से देखा जाए तो पटवारियों की कुंडली तैयार की जा रही है।


ये सवाल पूर्व नगरीय एवं आवास मंत्री और तेज-तर्रार विधायक जयवर्धन सिंह ने विधानसभा में दागा है। इसकी जानकारी प्रदेशभर के जिलों से इकट्ठा की जा रही है। इंदौर से भी जवाब बनाकर भेजा जाएगा, जिसको लेकर अब कागजों को खंगाला जा रहा है। महकमा परेशान हो रहा है कि जवाब कहीं गलती से पटवारियों को बचाने वाला न चले जाए, जिनकी शिकायत जयवर्धन सिंह तक पहले ही पहुंची हुई है। जानकारी गलत होने पर प्रदेश के सबसे बड़े सदन में खिंचाई भी हो सकती है। पटवारियों को बचाने के चक्कर में उनके लिए मुसीबत खड़ी न हो जाए। सिंह ने सवाल भी इतना बारीकी से दागा है, जिसके जरिए पूरे प्रदेश के पटवारियों की कुंडली तैयार हो जाएगी।


पांच बिंदुओं में मांगी जानकारी


- अंतिम बार विभाग ने पटवारी चयन परीक्षा कब और कितने पदों के लिए आयोजित की थी? क्या उक्त सभी पदों पर नियुक्ति कर दी गई है? यदि हां तो चयनित पटवारियों को कब, कहां और किन नियमों व शर्त पर पदस्थ किया गया है कि जानकारी जिलेवार नियुक्ति पत्र नाम, पता, आरक्षण, मूल निवासी, परीक्षा में चयनित स्थान और वर्तमान में कहां पदस्थ हैं, इसकी जानकारी दी जाए।


- चयनित पटवारियों का अंतिम परीक्षा परिणाम रैंक, जिसके आधार पर नियुक्ति प्रदान की गई, सभी जानकारी दें। परीक्षा आयोजन के अंतिम नियुक्ति आदेश तक कुल कितने समय परीक्षा तक वैध मानी गई। जानकारी मय आदेश, निर्देश व नियम बताएं।


- प्रश्न दिनांक तक प्रदेश के कुल कितने पटवारियों के पद रिक्त हैं? जिलेवार पृथक-पृथक बताएं। इन पदों को भरने के लिए विभाग ने क्या, कब और कौन सी कार्रवाई की? कब तक इन पदों को भरने का लक्ष्य निर्धारित किया गया? पदों के रिक्त होने पर इनके उत्तरदायित्व का निर्वहन कैसे और किनसे किया जा रहा है?


- 20 मार्च 2020 से आज तक कितने पटवारियों के खिलाफ कब और कितनी शिकायतें प्राप्त हुईं हैं? उनमें से कितनों का निराकरण और कितनी किन कारणों से लंबित हैं, कारण सहित बताएं?

-भ्रष्टाचार एवं आर्थिक अनियमितताओं के कितने प्रकरण पटवारियों के खिलाफ कब और कहां पंजीबद्ध हैं? उनके नाम, पदस्थी स्थान, जिले सहित बताएं। क्या विभाग जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रहा है? यदि हां तो स्पष्ट करें कैसे और नहीं तो क्यों?

रिश्वत का रेट बताने वाला पटवारी अब लूपलाइन में
-किसानों की पीड़ा को न्यूज टुडे ने कल ही किया था उजागर
-अपर कलेक्टर ने भू-अभिलेख में किया तबादला

रिश्वत की रेट लिस्ट तय करने वाले पटवारी पर आखिर कार्रवाई हो गई। अपर कलेक्टर ने उसे लूपलाइन में भेजते हुए भू-अभिलेख में तबादला कर दिया। किसानों की पीड़ा को न्यूज टुडे ने कल के अंक में रिश्वत का रेट : बटांकन 25 और नामांकन के 10 हजार शीर्षक से प्रकाशित किया था।
देपालपुर तहसील के एक पटवारी से परेशान होकर एक दर्जन से अधिक किसानों ने गोपनीय शिकायत कलेक्टर मनीष ङ्क्षसह से की थी। पटवारी की हरकत से वे खासे परेशान थे। बताया था कि जमीन के काम करने के लिए पटवारी ने रेट लिस्ट बना दी है। बटांकन कराना है तो 25 हजार, सीमांकन के 5 हजार प्रति बीघा और नामांतरण रिपोर्ट के 10 हजार रुपए तय कर रखे हैं। बिना पैसे के कोई भी काम नहीं करते हैं। नहीं दिए तो अड़ंगेबाजी की जाती है, जिससे परेशान हो जाते है। हमको भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाई जाए। पटवारी यहां तक दावा कर रहा था कि उसने एक लाख रुपए देकर ये हलका लिया है। कुछ भी कर लो, कोई भी सिफारिश लगा लो। काम तो काम के तरीके से ही होगा। मेरी जिससे शिकायत करना है, कर दो। मेरी सेङ्क्षटग ऊपर तक है। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए अपर कलेक्टर राजेश राठौर ने कल पटवारी का भू-अभिलेख विभाग के मुख्यालय में तबादला कर दिया। अब वे वहीं पर काम करेंगे।


कुछ पटवारियों से त्रस्त देपालपुर
देपालपुर तहसील के किसान कुछ पटवारियों की हरकतों से खासे परेशान हैं। बताया जाता है कि पटवारी को बिना साथ में लिए जमीन का सौदा नहीं किया जा सकता। हर खरीद-बेच में उनको रखना आवश्यक है, नहीं तो नामांतरण से लेकर सीमांकन और बंटवारे में अड़ंगा डाल देते हैं। मामला ऐसा उलझाते हैं कि खरीदार व बेचवाल परेशान होते रहता है। रजिस्ट्री तक पटवारियों के माध्यम से ही होती है। इसको लेकर कई बार शिकायतें भी हो गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। किसानों ने अब आदत भी बना ली। उन्हें मालूम है कि जमीन बचने पर प्रापर्टी ब्रोकर को दलाली देना होती है वो काम पटवारी कर देते है, जिससे कागजी दिक्कत भी खत्म हो जाएगी। कई पटवारियों को देपालपुर में रहते हुए लंबा समय हो गया, वे हटना भी नहीं चाहते हैं।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/EX7rmNy
أحدث أقدم