
इंदौर। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में एजेंट ने आरटीओ के सामने फर्जी हस्ताक्षर वाली एक फाइल पेश कर दी। हस्ताक्षर पर आरटीओ को संदेह हुआ तो उन्होंने फाइल रोक दी। फाइल रोके जाने पर एजेंट बदतमीज पर उतर आया और आरटीओ से जमकर बहसबाजी तक करने लगा। आरटीओ ने एजेंट से लेकर एवजियों के प्रवेश पर कार्यालय में रोक लगा दी और उक्त हस्ताक्षर की सत्यता की जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि उक्त हस्ताक्षर एजेंट ने किए हैं या बाबू ने।
दरअसल दो दिन पहले आरटीओ कार्यालय में एजेंट विनोद यादव खुद ही आरटीओ जितेंद्र रघुवंशी के कक्ष में पहुंच गया। जबकि यह फाइल लेकर संबंधित शाखा के बाबू को जाना चाहिए था। इस फाइल पर हुए हस्ताक्षर पर रघुवंशी को संदेह हुआ। जिस पर एजेंट बाबू के हस्ताक्षर बताने लगा। संदेह के आधार पर आरटीओ ने उक्त फाइल को रोक दी। इस पर एजेंट आरटीओ से अभद्र व्यवहार करने के साथ ही बदतमीजी पर उतर आया। इस पर आरटीओ ने सभी सभी एजेंट और एवजियों को कार्यालय से बाहर कर दिया। गेट पर होमगार्ड के जवान के साथ ही सुरक्षाकर्मियों को तैनात भी दिया गया। कर्मचारियों ने गेट पर ही सभी को रोक दिया और केवल आवेदकों को ही प्रवेश दिया गया।
आरटीओ से मांगी माफी
एजेंट के अभद्र व्यवहार पर आरटीओ रघुवंशी जमकर नाराज हुए और एफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए वाहन में बैठकर जाने लगे। तब एजेंट ने माफी मांग ली। जिस पर रघुवंशी ने एफआईआर तो नहीं कराई, लेकिन एजेंट और एवजियों की एंट्री पर रोक लगा दी।
रोज हो रहे विवाद
परिवहन कार्यालय में एजेंटों और एवजियों के कर्मचारियों के साथ विवाद की घटनाएं पिछले कुछ दिनों से लगातार सामने आ रही हैं। हाल ही में दो घटनाएं ऐसी हो गईं जिसमें एवजियों ने मारपीट तक कर दी। बता दें कि कार्यालय में अधिकारी से लेकर बाबुओं के पास एवजियों की फौज है। भारी वाहन शाखा के एक बाबू के पास तो करीब 100 एवजियों की फौज है। इनमें अधिकांश एवजी बाहुबली होने के साथ ही आपराधिक प्रवृत्ति के हैं।
अफसरों पर बनाता था दबाव
उक्त एजेंट कांग्रेसी नेताओं के नाम पर अपनी एजेंटी चलाता है। कई बार अधिकारियों को कांग्रेसी नेताओं के नाम पर दबाव भी बनाता रहा है।
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