बाहरी को टिकट दिया तो हारेगा ही..!

इंदौर. नगर निगम चुनाव की तैयारियों को लेकर हो रही विधानसभावार बैठकों में रोज नए बवाल सामने आ रहे हैं। एक नंबर विधानसभा के नेता खुलकर बाहरियों के विरोध में सामने आ गए। कहना था कि स्थानीय का हक मारा जाता है। बाहरी को टिकट दोगे तो हारेगा ही। सबसे मजबूत विधानसभा के जो ये हाल हुए, उसका ही परिणाम है।
भाजपा में चुनावी रंग चढऩे लग गया है। तेजी से गतिविधियां शुरू हो गई हैं, जिसमें प्रमुख कार्यकर्ताओं से मिलकर पार्टी उन्हें काम पर लगा रही है। इसके चलते विधानसभावार बैठकों के दौर शुरू हो गए हैं। रविवार का दिन एक नंबर विधानसभा के नाम था। हंसदास मठ में सुबह 10 बजे से जो दौर शुरू हुआ, शाम तक जारी रहा। पांचों मंडलों की बारी-बारी से बैठक हुई, जिसमें बड़ी संख्या में जवाबदारों ने भाग भी लिया।


कार्यकर्ताओं से पूछकर दिया जाए
बैठकों में चौंकाने वाले मुददे सामने आए। चंद्रशेखर आजाद मंडल की बैठक में जब सुझाव का दौर चल रहा था, तब वरिष्ठ नेता सुभाष परमार खड़े हुए। कहना था कि नगर निगम में पार्षद का टिकट पहले तो वार्ड से दिया जाए। उसके बाद भी पार्टी को कुछ समझ नहीं आता है तो कार्यकर्ताओं से पूछकर विधानसभा से किसी अच्छे व्यक्ति को दिया जाए। बाहरी व्यक्तियों को बिलकुल नहीं दिया जाना चाहिए। इस पर नगर भाजपा अध्यक्ष गौरव रणदिवे ने पूछ लिया कि आपका वार्ड एक नंबर (सिरपुर) हारने का कारण क्या है? इस पर परमार ने तपाक से बोल दिया कि बाहरी व्यक्ति को टिकट दिया जाएगा तो यही परिणाम आएगा। पहले पार्टी ने स्थानीय को टिकट दिया था, तब भगवती शर्मा और कैलाश चौधरी भी चुनाव जीते थे। यही बात बाद में टीटू मालू, गायत्री कुमावत, सुनिता यादव और महेश जायसवाल ने भी कही।

प्रयास करेंगे, स्थानीय को मौका मिले

सबकी बात सुनने के बाद अध्यक्ष गौरव रणदिवे ने कहा कि हम भी प्रयास करेंगे कि स्थानीय कार्यकर्ताओं को ही मौका मिले लेकिन जो भी उम्मीदवार होगा, हमको जिताने के लिए पूरी ताकत लगानी पड़ेगी। टिकट एक को मिलना है और दावेदार दर्जनों हो तो ये ही समझना है कि वे खुद चुनाव लड़ रहे हैं।


दूसरे मंडलों में भी उठी यही बात
एक नंबर विधानसभा के पांच मंडल हैं, जिसमें आजाद मंडल के अलावा भी चार में यही मुददा उठा। देखा जाए तो एक तरह से पूरी विधानसभा के कार्यकर्ताओं की यही पीड़ा थी। सारी बातों को नगर भाजपा के प्रभारी तेजबहादुरसिंह नोट कर रहे थे। बताया जा रहा है कि वे मंडलों में सामने आने वाली बातों की एक रिपोर्ट बनाकर प्रदेश संगठन को सौंपेंगे।



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