गुजरात ब्लास्ट केस के फैसले के खिलाफ HC जाएगी जमीयत उलेमा-ए-हिंद

सैयद मशकूर, सहारनपुर गुजरात के अहमदाबाद में हुए के मामले में विशेष अदालत द्वारा 38 दोषियों को सजा-ए-मौत जबकि 11 को उम्रकैद की सजा सज़ा का फैसला सुनाए जाने को के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने अविश्वसनीय बताते हुए कहा कि इस सम्बंध में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में जमीयत पहले भी कानूनी लड़ाई लड़ती रही है। उन्होंने अक्षरधाम मामले का भी उदाहरण दिया। साल 2009 के दौरान हुए थे गुजरात में बम ब्लास्ट साल 2009 में गुजरात के अहमदाबाद में बम ब्लास्ट हुए थे इस मामले में शुक्रवार को विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए 38 लोगों को सजा-ए-मौत और 11 लोगों को उम्र कैद की सजा दी है। इससे पहले विशेष अदालत सबूत नहीं होने के चलते 28 लोगों को बरी कर चुकी है। विशेष अदालत द्वारा 38 लोगों को सजा ए मौत की सजा सुनाए जाने को लेकर जमीयत उलेमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद मोहम्मद अरशद मदनी ने अपनी राय का इजहार किया है। मौलाना मदनी में इस फैसले को अविश्वसनीय बनाते हुए कहा कि आगे की लड़ाई जमीयत उलमा हिंद हाईकोर्ट में लड़ेगी। ने क्या कहा मीडिया से रूबरू हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने अहमदाबाद बम धमाकों में 38 दोषियों को मौत की सजा और 11 को उम्रक़ैद के विशेष अदालत के फैसले पर कहा कि कोर्ट का यह फैसला अविश्वसनीय है। इसके ख़िलाफ जमीयत हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत की ओर से देश के नामी वकील हाईकोर्ट में इस मामले की परैवी करेंगे।मौलाना ने कहा कि हमें पूरा यकीन है कि हाईकोर्ट से इसमें न्याय मिलेगा। अक्षरधाम मामले का दिया उदाहरण मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत पहले भी इस तरह के मामलों की लड़ाई लड़ती रही है। उन्होंने कहा कि अक्षरधाम मंदिर पर हमले के मामले में निचली अदालत ने मुफ्ती अब्दुल कय्यूम सहित तीन लोगों को फांसी और चार लोगों को उम्र कैद की सजा दी थी। इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था।उन्होंने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और वहां हमने अपना पक्ष रखा तो तो भारत की सर्वोच्च अदालत ने सभी लोगों को बाइज्जत बरी करते हुए निर्दोष लोगों को झूठे तरीके से फ़साने की साजिश करने पर गुजरात पुलिस को भी कड़ी फटकार लगाई थी। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि बम धमाकों जैसे ज्यादातर गंभीर मामलों में निचली अदालत कठोर फैसले देती है। हम विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट में भी लड़ाई लड़ी जाएगी।


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