ब्रासीलिया ब्राजील में जीवाश्म बन चुके डायनासोर के अंडों का घोसला मिला है। बताया जा रहा है कि ये अंडे 6 करोड़ साल पुराने हैं। ये अंडे मिट्टी में दब गए और बाद में जीवाश्म बन गए। डायनासोर के इस घोसले में 5 अंडे मिले हैं। पहले माना जाता था कि ये अंडे प्राचीन घड़ियाल के हैं लेकिन जांच करने पर इनकी असलियत सामने आई। यह घोसला ब्राजील के साओ पाउलो शहर शहर के प्रेसिडेंटे प्रूडेंटे इलाके में मिले हैं। जी1 की रिपोर्ट के मुताबिक जीवाश्म विज्ञानी विलियम राबर्टो नावा की टीम ने इन अंडों का व्यापक विश्लेषण किया है। उन्होंने पाया कि ये अंडे घड़ियाल के अंडों से ज्यादा बड़े और मोटी खोल वाले हैं। इस स्थल पर हुई ज्यादातर खोजों के लिए जिम्मेदार नावा ने बताया कि डायनासोर के ये अंडे 4 से 5 इंच लंबे हैं और 2 से 3 इंच चौड़े हैं। वहीं प्राचीन घड़ियाल के अंडे 3 इंच से ज्यादा लंबे नहीं होते थे। मिट्टी की कई परत इतने वर्षों में अंडों के ऊपर जमा डायनासोर के ये अंडे जमीन के अंदर सुरक्षित थे जो अब समय के साथ बलुआ पत्थर में बदल गई है। नोवा ने बताया कि करोड़ों साल में ये मिट्टी अंडों की प्राकृतिक संरक्षक बन गई। मिट्टी की कई परत इतने वर्षों में अंडों के ऊपर जमा हो गई। इन अंडों को पिछले साल निकाला गया था लेकिन हाल ही में यह पता चला है कि ये डायनासोर के अंडे हैं। इन अंडों में जीवाश्म बन चुके भ्रूण भी मौजूद हो सकते हैं। इससे पहले चीन में भ्रूण समेत डायनासोर का अंडा मिला था जिसकी दुनियाभर में चर्चा हुई थी। इस बीच ब्रिटेन में एक समुद्र तट पर पाए गए डायनासोर के पैरों के निशान से पता चला है कि ये विशालकाय जानवर 200 मिलियन (20 करोड़) साल पहले यहां इकट्ठा हुए थे। वैज्ञानिक लंबी गर्दन वाले डायनासोर के एक समूह के पैरों के निशानों का अध्ययन कर रहे हैं। 3डी मॉडल बनाने के लिए प्रिंट की गई तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है ताकि शोधकर्ता और ज्यादा आसानी और सटीकता से अध्ययन कर सकें। सूरज की रौशनी में सूखकर बनते हैं जीवाश्म ब्रिटेन और फ्रांस के वैज्ञानिकों की रिसर्च के नतीजे अब Geological Magazine में प्रकाशित हुए हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि इन आकृतियों के उभरे हुए किनारे हैं जिन्हें 'Squelch Marks' कहा जाता है, जहां डायनासोर अपना पैर कीचड़ में रखते हैं। ये निशान सूरज की रोशनी में सूख जाते हैं और फिर जीवाश्म में बदल जाते हैं। इससे पहले धरती पर राज करने वाले डायनासोर के पैरों के हजारों निशान पोलैंड में मिले थे।
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