वॉशिंगटन खगोलविदों ने एक नई 'गर्म दुनिया' की खोज की है जो अपने तारे के चारों ओर चक्कर लगाती है। यह तारे का एक चक्कर सिर्फ आठ घंटे में पूरा कर लेती है। यह ग्रह इसलिए भी खास है क्योंकि यह सौर मंडल के बाहर अब तक खोजे गए सबसे हल्के ग्रहों में से एक है। यह एक्सोप्लैनेट सूर्य से 31 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और इस GJ 367b नाम दिया गया है। यह एक अल्ट्रा-शॉर्ट पीरियड प्लैनेट का एक उदाहरण है। ये छोटे और सघन ग्रह अपने तारों की बेहद करीब से परिक्रमा करते हैं और इन पर एक साल की अवधि 24 घंटे से भी कम होती है। यह एक्सोप्लैनेट अपने तारे GJ 376 के इतना ज्यादा करीब है कि यह पृथ्वी और सूर्य की तुलना में 500 गुना ज्यादा रेडिएशन लेता है। GJ 367b अपने तारे के लिए 'tidally locked' अवस्था में है, जिसका मतलब है कि ग्रह की सिर्फ एक साइड ही उसके तारे को दिखाई पड़ती है। लोहे और निकल से बनी है ठोस कोरइसका परिणाम यह है कि दिन में ग्रह का तापमान 2700 डिग्री फ़ारेनहाइट (1482 डिग्री सेल्सियस) होता है। माना जा रहा है कि इन चरम तापमानों के कारण एक्सोप्लैनेट ने कुछ समय पहले अपना वातावरण खो दिया है। यह अन्य अल्ट्रा-शॉर्ट-पीरियड ग्रहों की तुलना में पृथ्वी के ज्यादा करीब है। खगोलविदों ने यह पता लगाया है कि GJ 367b की ठोस कोर लोहे और निकल से बनी है। यह कोर बुध ग्रह की कोर के समान ग्रह के लगभग 90 फीसदी आंतरिक भाग में फैली हुई है। नासा के TESS की मदद से खोजा एक्सोप्लैनेटटीम ने नासा के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (टीईएसएस) की मदद से GJ 367b की खोज की है, जो एक्सोप्लैनेट की पहचान करता है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने L98-59 तारे की परिक्रमा करने वाले एक एक्सोप्लैनेट की खोज की थी। यह एक्सोप्लैनेट पूरी तरह से पानी से भरा हुआ है जिसके कारण इस पर जीवन पाए जाने की संभावना कई गुना बढ़ गई है। बीबीसी की स्काई एट नाइट मैग्जीन के अनुसार यह ग्रह 2019 में ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (टीईएसएस) की खोज में पाए गए तीन ग्रहों में से एक है।
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