कन्हैया-मेवाणी: खाली हो रही कांग्रेस की युवा टीम में क्या दम भरेगी नई जोड़ी?

नई दिल्ली कांग्रेस इन दिनों युवा चेहरों के संकट से जूझ रही है। पिछले कुछ अरसे से राहुल गांधी की युवा ब्रिगेड कमजोर हुई है। एमपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साथ छोड़ा तो यूपी में जितिन प्रसाद ने। असम में सुष्मिता देव ने कांग्रेस को टाटा बाय-बाय कर दिया। ऐसे में राहुल अब अपनी नई युवा टीम को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी का कांग्रेस में आना उसी की कड़ी माना जा रहा है। कांग्रेस की युवा टीम में ये नई जोड़ी क्या दम भरेगी, आइए जानते हैं। कन्हैया ने सीपीआई क्यों छोड़ी कन्हैया के सीपीआई से निकलने के पीछे एक निंदा प्रस्ताव बताया जा रहा है, जो गत फरवरी में उनके खिलाफ पास किया गया। सीपीआई में निंदा प्रस्ताव एक बड़ी कार्रवाई मानी जाती है। बताया जाता है कि बिहार के बेगूसराय में पार्टी की एक मीटिंग बुलाकर उसे ऐन वक्त पर रद्द कर दिया गया था। जिसके बाद कन्हैया और पार्टी के एक सेक्रेटरी के बीच कहासुनी हुई थी। कन्हैया और जिग्नेश को क्यों लाई कांग्रेस दोनों नेताओं की युवाओं में अच्छी पकड़ है। सिंधिया, जितिन प्रसाद और सुष्मिता देव जैसे युवा चेहरे कांग्रेस छोड़कर जा चुके हैं। एक समय में सभी राहुल गांधी की युवा टीम के सदस्य थे। ऐसे में पार्टी संदेश देना चाहती है कि युवाओं का कांग्रेस में भविष्य है। वे उनकी विचारधारा से जुड़े हुए हैं। किसने कराई कांग्रेस में एंट्री कन्हैया के कांग्रेस में आने के पीछे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की अहम भूमिका बताई जाती है। राहुल से पहले कन्हैया और जिग्नेश प्रशांत किशोर से मिले। उसके बाद किशोर ने राहुल को पार्टी से ऐसे युवाओं को जोड़ने की सलाह दी, जिनकी अपनी पहचान हो। चर्चा यह भी है कि गुजरात में कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल ने जिग्नेश को पार्टी को समर्थन देने पर राजी किया। बिहार में पकड़ बनाने की कोशिश कन्हैया के जरिए कांग्रेस बिहार में अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश करेगी। बिहार में पार्टी का जमीनी आधार लगभग खत्म होने के कगार पर है। ऐसे में कन्हैया वहां कांग्रेस के लिए मददगार हो सकते हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस की नजर वहां उन इलाकों पर है, जहां लेफ्ट का अभी भी प्रभाव है। कन्हैया वहां अहम भूमिका निभा सकते हैं। गुजरात में दलितों पर नजर जिग्नेश के सहारे कांग्रेस की नजर गुजरात पर है, जहां अगले साल चुनाव होने हैं। उनके सहारे पार्टी दलितों को साथ लाने की कोशिश करेगी, जो राज्य में करीब 7 फीसदी हैं। इससे पहले पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और ओबीसी चेहरा अल्पेश ठाकोर कांग्रेस में आ चुके हैं।


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