हमने इसे शास्त्रसम्मत जैसा मान लिया है कि दिल्ली ही देश की राजधानी हो सकती है। इतने बड़े देश में एक ही शहर को लगातार राजधानी होने का आभिजात्य सुख मिले, यह भी क्या कोई बहुत ठीक बात है? ऐतिहासिक और विश्वप्रसिद्ध तथ्य है कि ब्रिटिश काल में 1911 तक कोलकाता भारत की राजधानी रहा। देश का शायद ही कोई और शहर होगा जिसमें जन्मे या कभी न कभी निवास कर चुके इतने सारे ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी, ऑस्कर और नोबेल पुरस्कार विजेता हों। टैगोर से मदर टेरेसा तक, अमर्त्य सेन से अभिजीत बनर्जी तक, आशापूर्णा देवी और महाश्वेता देवी से लेकर ऋत्विक घटक और सत्यजीत रे तक। यह कोई छोटी बात है?
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