वैक्सीन लेने के बाद भी दिखानी होगी कोरोना निगेटिव रिपोर्ट? जानें कुछ अहम सवालों के जवाब

नई दिल्ली कोरोना महामारी के बीच आज से आम लोगों के लिए शुरू हो रहा है। कुंभ के दौरान सख्त कोरोना दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। उत्तराखंड सरकार ने तय किया है कि जिन राज्यों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे राज्यों के जिन स्थानों पर अधिक मामले मिल रहे हैं, जो भी लोग उत्तराखंड आ रहे हैं, उनको कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट लाने पर ही प्रवेश दिया जाए। यानी, 1 अप्रैल से महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड आने वाले लोगों को बीते 72 घंटे के दौरान कराए गए आरटी पीसीआर टेस्ट की कोरोना निगेटिव रिपोर्ट साथ रखनी होगी। वहीं, उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कहा है कि कुंभ मेले में शामिल होने की इच्छुक वैसे श्रद्धालुओं को भी कोरोना निगेटिव सर्टिफिकेट देना होगा जिन्होंने वैक्सीन की पहली डोज लगवा ली है। आइए जानते हैं, इसके क्या मायने हैं? क्या वैक्सीन लगवाने के बाद भी लोग कोरोना प्रूफ नहीं हो पाते हैं? ऐसे ही कुछ बहुत महत्वपूर्ण सवालों के जवाब जानते हैं...
  1. कुंभ मेले पर उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले का क्या असर होगा? क्या वैक्सीन लगाने के बाद भी हमें कोरोना निगेटिव सर्टिफिकेट दिखाना होगा?उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कहा है कि जिन लोगों ने की पहली डोज ले ली है, उन्हें भी कुंभ मेले में शिरकत करने के लिए अपना कोविड निगेटिव सर्टिफिकेट दिखाना होगा। इससे पहले, उत्तराखंड सरकार ने कहा था कि कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित 12 राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को आरटी-पीसीआर टेस्ट का रिजल्ट बताना होगा। अगर वो टेस्ट में कोरोना निगेटिव होंगे तो ही उन्हें कुंभ मेले में आने की अनुमति दी जाएगी।
  2. क्या वैक्सीन लगवाकर भी हम कोरोना प्रूफ नहीं हो पाते हैं? क्या कोई खास वैक्सीन हमें कोरोना प्रूफ बनाती है?कोई भी वैक्सीन कोरोना के खिलाफ 100% इम्यूनिटी प्रदान नहीं करती है। टीका लगवा चुके कुछ लोग दोबारा बीमार पड़ सकते हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह सामान्य है। उनके मुताबिक, वैक्सीन लगवा चुके हजारों-लाखों लोगों में इक्के-दुक्के को फिर से कोरोना पॉजिटिव हो जाना बहुत बड़ी बात नहीं है। ब्लूमबर्ग में फार्मा इंडस्ट्री के एक्सपर्ट सैम फजेली (Sam Fazeli) का कहना है कि स्मॉल पॉक्स यानी चेचक की बीमारी पैदा करने वाले वायरस के खिलाफ बनी वैक्सीन न केवल बीमारी ठीक करती थी बल्कि दोबारा वायरस के संक्रमण से भी बचाती थी, लेकिन इस तरह का दोतरफा काम करने वाली वैक्सीन विरले ही होती है। यानी, ज्यादातर वैक्सीन बीमार व्यक्ति को स्वस्थ तो कर देती है, लेकिन उसे वायरस प्रूफ नहीं बना पाती है। वैज्ञानिकों ने पिछले वर्ष कहा था कि जो वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ 50% भी कारगर होगी, उसे मान्यता दी जाएगी। सौभाग्य से दुनिया में बनी हर मान्यता प्राप्त वैक्सीन इस मापदंड से थोड़ा ऊपर की क्षमता वाली ही है। यहां तक कि कुछ वैक्सीन तो कोरोना के खिलाफ 95% तक कारगर है। फिर भी सबसे अच्छी वैक्सीन भी लगाकर भी आप निश्चिंत नहीं हो सकते कि अब आप कोरोना से संक्रमित नहीं होंगे।
  3. वैक्सीन लगवाकर भी बीमार होंगे तो फिर लगाए ही क्यों?वैक्सीन नहीं लगवाने की भूल तो करें ही नहीं। सामान्य सी समझ है कि यह बात तो वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और सरकारों को भी पता है कि कोई भी वैक्सीन कोरोना के खिलाफ 100% प्रूफ नहीं है, फिर भी इतना बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। स्वाभाविक है कि इसके पीछे कुछ तो तर्क होगा। तर्क यही है कि अगर आपने वैक्सीन नहीं लगवाई तो पूरी आशंका है कि संक्रमित होने के बाद आपमें कोविड-19 महामारी के गंभीर लक्षण दिखें यानी आप गंभीर रूप से बीमार हो जाएं और आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ जाए। लेकिन, जब आप वैक्सीन लगा लेते हैं तो फिर आप बीमार पड़ेंगे भी तो सामान्य रूप से। संभवतः आपको अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि आपमें बीमारी के मामूली लक्षण दिखेंगे। यानी, वैक्सीन नहीं लगाने पर कोरोना से जहां जान का खतरा होता है तो वैक्सीन लगा लेने के बाद यह खतरा टल जाता है। इसलिए, बाकी बातों को नजरअंदाज कर वैक्सीन जरूर लगवाएं।
  4. तो क्या टीकाकरण अभियान के बाद भी कोरोना वायरस खत्म नहीं होगा?नहीं, ऐसा नहीं होने वाला। दरअसल, टीकाकरण अभियान का यह मकसद भी नहीं है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ आपके प्रतिरक्षा तंत्र को इतना मजबूत कर देती है कि संक्रमण होने के बाद भी आप गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ें। यानी, वैक्सीन आपको कोरोना वायरस के साथ जीने में सक्षम बनाती है ना कि कोरोना वायरस को खत्म करती है। कोविड-19 महामारी से ग्रसित होने पर आपकी जान पर खतरा नहीं होता है। इस मकसद में सारी मान्यता प्राप्त वैक्सीन पूरी तरह कामयाब हो रही है। इसीलिए, आपने यह तो जरूर सुना होगा कि वैक्सीन लगाने के बाद भी लोग संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन अभी तक यह नहीं सुना होगा कि टीका लगवाया था, फिर भी संक्रमित हो गए और उनकी मौत हो गई। मसलन, जॉनसन और जॉनसन की कोरोना वैक्सीन का अमेरिका में ट्रायल हुआ तो उसमें सिर्फ 72% एफिकेसी रेट ही पाई गई, लेकिन यह भी पाया गया कि इसे लगवाने वाले को संक्रमित होने के बाद भी अस्पताल में भर्ती होने की नौबत नहीं आई और न ही किसी की मौत हुई। सैम फजेली कहते हैं, "आपने वैक्सीन नहीं लगवाई तो आपको अंदाजा भी नहीं होगा कि आप कितने गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं।"
  1. कुंभ मेले पर उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले का क्या असर होगा? क्या वैक्सीन लगाने के बाद भी हमें कोरोना निगेटिव सर्टिफिकेट दिखाना होगा?उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कहा है कि जिन लोगों ने कोरोना वैक्सीन की पहली डोज ले ली है, उन्हें भी कुंभ मेले में शिरकत करने के लिए अपना कोविड निगेटिव सर्टिफिकेट दिखाना होगा। इससे पहले, उत्तराखंड सरकार ने कहा था कि कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित 12 राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को आरटी-पीसीआर टेस्ट का रिजल्ट बताना होगा। अगर वो टेस्ट में कोरोना निगेटिव होंगे तो ही उन्हें कुंभ मेले में आने की अनुमति दी जाएगी।
  2. क्या वैक्सीन लगवाकर भी हम कोरोना प्रूफ नहीं हो पाते हैं? क्या कोई खास वैक्सीन हमें कोरोना प्रूफ बनाती है?कोई भी वैक्सीन कोरोना के खिलाफ 100% इम्यूनिटी प्रदान नहीं करती है। टीका लगवा चुके कुछ लोग दोबारा बीमार पड़ सकते हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह सामान्य है। उनके मुताबिक, वैक्सीन लगवा चुके हजारों-लाखों लोगों में इक्के-दुक्के को फिर से कोरोना पॉजिटिव हो जाना बहुत बड़ी बात नहीं है। ब्लूमबर्ग में फार्मा इंडस्ट्री के एक्सपर्ट सैम फजेली (Sam Fazeli) का कहना है कि स्मॉल पॉक्स यानी चेचक की बीमारी पैदा करने वाले वायरस के खिलाफ बनी वैक्सीन न केवल बीमारी ठीक करती थी बल्कि दोबारा वायरस के संक्रमण से भी बचाती थी, लेकिन इस तरह का दोतरफा काम करने वाली वैक्सीन विरले ही होती है। यानी, ज्यादातर वैक्सीन बीमार व्यक्ति को स्वस्थ तो कर देती है, लेकिन उसे वायरस प्रूफ नहीं बना पाती है। वैज्ञानिकों ने पिछले वर्ष कहा था कि जो वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ 50% भी कारगर होगी, उसे मान्यता दी जाएगी। सौभाग्य से दुनिया में बनी हर मान्यता प्राप्त वैक्सीन इस मापदंड से थोड़ा ऊपर की क्षमता वाली ही है। यहां तक कि कुछ वैक्सीन तो कोरोना के खिलाफ 95% तक कारगर है। फिर भी सबसे अच्छी वैक्सीन भी लगाकर भी आप निश्चिंत नहीं हो सकते कि अब आप कोरोना से संक्रमित नहीं होंगे।
  3. वैक्सीन लगवाकर भी बीमार होंगे तो फिर लगवाएं ही क्यों?वैक्सीन नहीं लगवाने की भूल तो करें ही नहीं। सामान्य सी समझ है कि यह बात तो वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और सरकारों को भी पता है कि कोई भी वैक्सीन कोरोना के खिलाफ 100% प्रूफ नहीं है, फिर भी इतना बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। स्वाभाविक है कि इसके पीछे कुछ तो तर्क होगा। तर्क यही है कि अगर आपने वैक्सीन नहीं लगवाई तो पूरी आशंका है कि संक्रमित होने के बाद आपमें कोविड-19 महामारी के गंभीर लक्षण दिखें यानी आप गंभीर रूप से बीमार हो जाएं और आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ जाए। लेकिन, जब आप वैक्सीन लगा लेते हैं तो फिर आप बीमार पड़ेंगे भी तो सामान्य रूप से। संभवतः आपको अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि आपमें बीमारी के मामूली लक्षण दिखेंगे। यानी, वैक्सीन नहीं लगाने पर कोरोना से जहां जान का खतरा होता है तो वैक्सीन लगा लेने के बाद यह खतरा टल जाता है। इसलिए, बाकी बातों को नजरअंदाज कर वैक्सीन जरूर लगवाएं।
  4. तो क्या टीकाकरण अभियान के बाद भी कोरोना वायरस खत्म नहीं होगा?नहीं, ऐसा नहीं होने वाला। दरअसल, टीकाकरण अभियान का यह मकसद भी नहीं है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ आपके प्रतिरक्षा तंत्र को इतना मजबूत कर देती है कि संक्रमण होने के बाद भी आप गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ें। यानी, वैक्सीन आपको कोरोना वायरस के साथ जीने में सक्षम बनाती है ना कि कोरोना वायरस को खत्म करती है। कोविड-19 महामारी से ग्रसित होने पर आपकी जान पर खतरा नहीं होता है। इस मकसद में सारी मान्यता प्राप्त वैक्सीन पूरी तरह कामयाब हो रही है। इसीलिए, आपने यह तो जरूर सुना होगा कि वैक्सीन लगाने के बाद भी लोग संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन अभी तक यह नहीं सुना होगा कि टीका लगवाया था, फिर भी संक्रमित हो गए और उनकी मौत हो गई। मसलन, जॉनसन और जॉनसन की कोरोना वैक्सीन का अमेरिका में ट्रायल हुआ तो उसमें सिर्फ 72% एफिकेसी रेट ही पाई गई, लेकिन यह भी पाया गया कि इसे लगवाने वाले को संक्रमित होने के बाद भी अस्पताल में भर्ती होने की नौबत नहीं आई और न ही किसी की मौत हुई। सैम फजेली कहते हैं, "आपने वैक्सीन नहीं लगवाई तो आपको अंदाजा भी नहीं होगा कि आप कितने गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं।"
  1. कुंभ मेले पर उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले का क्या असर होगा? क्या वैक्सीन लगाने के बाद भी हमें कोरोना निगेटिव सर्टिफिकेट दिखाना होगा?उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कहा है कि जिन लोगों ने कोरोना वैक्सीन की पहली डोज ले ली है, उन्हें भी कुंभ मेले में शिरकत करने के लिए अपना कोविड निगेटिव सर्टिफिकेट दिखाना होगा। इससे पहले, उत्तराखंड सरकार ने कहा था कि कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित 12 राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को आरटी-पीसीआर टेस्ट का रिजल्ट बताना होगा। अगर वो टेस्ट में कोरोना निगेटिव होंगे तो ही उन्हें कुंभ मेले में आने की अनुमति दी जाएगी।
  2. क्या वैक्सीन लगवाकर भी हम कोरोना प्रूफ नहीं हो पाते हैं? क्या कोई खास वैक्सीन हमें कोरोना प्रूफ बनाती है?कोई भी वैक्सीन कोरोना के खिलाफ 100% इम्यूनिटी प्रदान नहीं करती है। टीका लगवा चुके कुछ लोग दोबारा बीमार पड़ सकते हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह सामान्य है। उनके मुताबिक, वैक्सीन लगवा चुके हजारों-लाखों लोगों में इक्के-दुक्के को फिर से कोरोना पॉजिटिव हो जाना बहुत बड़ी बात नहीं है। ब्लूमबर्ग में फार्मा इंडस्ट्री के एक्सपर्ट सैम फजेली (Sam Fazeli) का कहना है कि स्मॉल पॉक्स यानी चेचक की बीमारी पैदा करने वाले वायरस के खिलाफ बनी वैक्सीन न केवल बीमारी ठीक करती थी बल्कि दोबारा वायरस के संक्रमण से भी बचाती थी, लेकिन इस तरह का दोतरफा काम करने वाली वैक्सीन विरले ही होती है। यानी, ज्यादातर वैक्सीन बीमार व्यक्ति को स्वस्थ तो कर देती है, लेकिन उसे वायरस प्रूफ नहीं बना पाती है। वैज्ञानिकों ने पिछले वर्ष कहा था कि जो वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ 50% भी कारगर होगी, उसे मान्यता दी जाएगी। सौभाग्य से दुनिया में बनी हर मान्यता प्राप्त वैक्सीन इस मापदंड से थोड़ा ऊपर की क्षमता वाली ही है। यहां तक कि कुछ वैक्सीन तो कोरोना के खिलाफ 95% तक कारगर है। फिर भी सबसे अच्छी वैक्सीन भी लगाकर भी आप निश्चिंत नहीं हो सकते कि अब आप कोरोना से संक्रमित नहीं होंगे।
  3. वैक्सीन लगवाकर भी बीमार होंगे तो फिर लगवाएं ही क्यों?वैक्सीन नहीं लगवाने की भूल तो करें ही नहीं। सामान्य सी समझ है कि यह बात तो वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और सरकारों को भी पता है कि कोई भी वैक्सीन कोरोना के खिलाफ 100% प्रूफ नहीं है, फिर भी इतना बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। स्वाभाविक है कि इसके पीछे कुछ तो तर्क होगा। तर्क यही है कि अगर आपने वैक्सीन नहीं लगवाई तो पूरी आशंका है कि संक्रमित होने के बाद आपमें कोविड-19 महामारी के गंभीर लक्षण दिखें यानी आप गंभीर रूप से बीमार हो जाएं और आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ जाए। लेकिन, जब आप वैक्सीन लगा लेते हैं तो फिर आप बीमार पड़ेंगे भी तो सामान्य रूप से। संभवतः आपको अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि आपमें बीमारी के मामूली लक्षण दिखेंगे। यानी, वैक्सीन नहीं लगाने पर कोरोना से जहां जान का खतरा होता है तो वैक्सीन लगा लेने के बाद यह खतरा टल जाता है। इसलिए, बाकी बातों को नजरअंदाज कर वैक्सीन जरूर लगवाएं।
  4. तो क्या टीकाकरण अभियान के बाद भी कोरोना वायरस खत्म नहीं होगा?नहीं, ऐसा नहीं होने वाला। दरअसल, टीकाकरण अभियान का यह मकसद भी नहीं है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ आपके प्रतिरक्षा तंत्र को इतना मजबूत कर देती है कि संक्रमण होने के बाद भी आप गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ें। यानी, वैक्सीन आपको कोरोना वायरस के साथ जीने में सक्षम बनाती है ना कि कोरोना वायरस को खत्म करती है। कोविड-19 महामारी से ग्रसित होने पर आपकी जान पर खतरा नहीं होता है। इस मकसद में सारी मान्यता प्राप्त वैक्सीन पूरी तरह कामयाब हो रही है। इसीलिए, आपने यह तो जरूर सुना होगा कि वैक्सीन लगाने के बाद भी लोग संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन अभी तक यह नहीं सुना होगा कि टीका लगवाया था, फिर भी संक्रमित हो गए और उनकी मौत हो गई। मसलन, जॉनसन और जॉनसन की कोरोना वैक्सीन का अमेरिका में ट्रायल हुआ तो उसमें सिर्फ 72% एफिकेसी रेट ही पाई गई, लेकिन यह भी पाया गया कि इसे लगवाने वाले को संक्रमित होने के बाद भी अस्पताल में भर्ती होने की नौबत नहीं आई और न ही किसी की मौत हुई। सैम फजेली कहते हैं, "आपने वैक्सीन नहीं लगवाई तो आपको अंदाजा भी नहीं होगा कि आप कितने गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं।"


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