रूस भारत को इस साल दे देगा 'ब्रह्मास्‍त्र' S-400, भारतीय सैनिकों ने शुरू की ट्रेनिंग

मास्‍को रूस ने ऐलान किया है कि वह तय समय पर इस साल के आखिर तक S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम भारत को सौंप देगा। S-400 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्‍टम बनाने वाली रूसी कंपनी रोसोबोरोनएक्‍सपोर्ट ने कहा कि भारत के साथ समझौते को तय समय पूरा किया जाएगा। इससे पहले रूसी सेना के तकनीकी सहयोग मामले के डायरेक्‍टर व्‍लादिमीर द्रोझझोव ने खुलासा किया था कि भारतीय सेना के विशेषज्ञों ने इस 'ब्रह्मास्‍त्र' को चलाने की ट्रेनिंग शुरू कर दी है। द्रोझझोव ने भी कहा कि इस साल के आखिर तक भारत को यह प्रणाली दे दी जाएगी। उन्‍होंने कहा, 'भारतीय विशेषज्ञ रूस पहुंच गए हैं और उन्‍होंने एस-400 को चलाने की ट्रेनिंग शुरू कर दी है। भारत ने वर्ष 2015 में रूस के साथ एस-400 को खरीदने की इच्‍छा जताई थी और अक्‍टूबर 2018 में रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान इस समझौते पर हस्‍ताक्षर हुआ था। अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा, भारत खरीद पर अटल बता दें कि रूस को अपना दुश्‍मन नंबर एक बता चुके अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडेन भारत को एस-400 डील पर बड़ा झटका दे सकते हैं। दरअसल, भारत रूस से अत्‍याधुनिक S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम खरीदने के फैसले पर अटल है लेकिन अमेरिका इस डील का कड़ा विरोध कर रहा है। यही नहीं अब खतरा मंडरा रहा है कि बाइडेन तुर्की की तरह से भारत पर भी कड़े प्रतिबंध लगा सकते हैं। एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम अब मोदी सरकार और बाइडेन प्रशासन के बीच दोस्‍ती में बड़ा 'कांटा' बन गया है। भारत रूस से 5.4 अरब डॉलर में एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम ले रहा है। यही नहीं भारत रूस के हथियारों का बहुत बड़ा ग्राहक है। भारत ने अमेरिका के ऑफर को ठुकराकर रूसी सिस्‍टम पर दांव लगाया है। भारत ने ऐसा चीन और पाकिस्‍तान के खतरे को देखते हुए अपनी सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए किया है। हाल ही में चीन ने भी भारतीय सीमा के पास एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम ही तैनात कर रखा था। इस वजह से भारत को इस सिस्‍टम की और ज्‍यादा जरूरत आन पड़ी है। 'नाटो सदस्‍य देश तुर्की भी अमेरिकी प्रतिबंधों से नहीं बच सका' भारत ने अमेरिका को दो टूक बता दिया है कि वह इस सिस्‍टम को खरीदने से पीछे नहीं हटेगा। भारत रूस ही नहीं अमेरिका से भी बड़े पैमाने पर हथियार खरीद रहा है। इसमें अपाचे हेलिकॉप्‍टर, चिनूक और पी-8 आई निगरानी विमान शामिल हैं। हालांकि अभी भी भारत के 60 फीसदी हथियार रूसी हैं। भारत के अपने फैसले पर अटल रहने पर अब अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा पैदा हो गया है। अमेरिका ने रूस से एस-400 खरीदने पर तुर्की के खिलाफ CAATSA के जरिए प्रतिबंध लगा दिया था। अमेरिका को डर है कि एस-400 के जरिए रूस अमेरिकी हथियारों से जुड़े राज जान सकता है। एमआईटी में राजनीति विज्ञान के प्रफेसर विपिन नारंग ने हिंदुस्‍तान टाइम्‍स से बातचीत में कहा, 'असलियत यह है कि नाटो सदस्‍य देश तुर्की भी अमेरिकी प्रतिबंधों से नहीं बच सका, इससे पता चलता है कि अमेरिका एस-400 को लेकर कितना चिंतित है। यह संभवत: केवल कूड़ा नहीं है। भारत का इस साल एस-400 लेने पर जोर बाइडेन प्रशासन को भारत के खिलाफ प्रतिबंध लगाने पर मजबूर कर सकता है।' बता दें कि भारती सेना के विशेषज्ञों को जल्‍द ही एस-400 के इस्‍तेमाल का प्रशिक्षण‍ मिलने वाला है।


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