मोदी-निर्मला बने बजट वॉरियर्स, यूं की इकनॉमी को बचाने की प्लानिंग

नई दिल्ली Budget 2021: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश किया तो मकसद एक ही था- कोरोना की मार से जूझ रही इकॉनमी को रफ्तार देना है। सरकार के इस जज्बे को दिखाते हुए वित्त मंत्री ने बजट भाषण पढ़ते हुए टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया की सरजमीं पर मिली ऐतिहासिक टेस्ट जीत का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘इससे पता चलता है कि हमारे पास कैसी क्वॉलिटी है। जो पीछे थे, उन्होंने आगे आकर परफॉर्म किया। उम्मीद है अर्थव्यवस्था के नतीजे भी ऐसे ही होंगे।’ भारतीय इतिहास में जीडीपी में भारी गिरावट के दौर में यह चौथा बजट रहा। महामारी की मार, किसान आंदोलन और रोजगार पर उठते सवालों के बीच वित्त मंत्री को अहसास था कि उनके पास सीमित विकल्प हैं। फिर भी उन्होंने बंगाल, असम समेत 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों का ध्यान रखा और इन चुनावी राज्यों को इन्फ्रा-हाइवे प्रोजेक्ट जैसे तोहफे दिए। कोरोना के दौर में स्वास्थ्य सेवाओं की सेहत सुधारने के लिए हेल्थ सेक्टर का आवंटन डेढ़ गुना कर दिया। टैक्स स्लैब में बदलाव नहीं हुआ, लेकिन बुजुर्गों को रिटर्न में राहत मिली। बीमा क्षेत्र में FDI बढ़ाकर 74% करने जैसे प्रस्तावों से विदेशी पूंजी को भारत में लाने का प्रयास हुआ। इन्हें देखते हुए सेंसेक्स ने ऐतिहासिक छलांग लगाई। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा कि राजकोषीय घाटा इस वित्त वर्ष में बढ़कर जीडीपी का 9.5% होगा और 2021-22 में यह 6.8% रहेगा। यह दिखाता है कि कोरोना की मार सरकार की आमदनी पर पड़ी है और उसे अपने खर्चे पूरे करने के लिए काफी रकम उधार लेनी पड़ी। खर्चों की भरपाई के लिए विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ जुटाए जाएंगे। इसमें बड़े पैमाने पर निजीकरण का साफ इरादा जताया गया। एग्रिकल्चर सेक्टर में ज्यादा खर्च के लिए पेट्रोल और डीजल पर फार्म सेस आया। बजट में वित्त वर्ष 2021-22 में कुल 34.83 लाख करोड़ के खर्च का वादा किया गया, जो जीडीपी का 15.6% के बराबर है। इससे पहले तक यह आंकड़ा 13.5% से ज्यादा नहीं रहा। पूंजीगत खर्च मौजूदा वर्ष की तुलना में 34% बढ़ा है। इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाने के लिए सरकार 15.07 लाख करोड़ कर्ज लेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सभी सेक्टरों का ख्याल रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बजट में वेल्थ और वेलनेस बढ़ाने का ध्यान रखा गया है। आम आदमी पर बोझ नहीं बढ़ा है। हालांकि विपक्ष ने उद्योगपतियों को बेजा फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है। यहां लगा सटीक निशाना 75 साल या इससे ज्यादा उम्र के पेंशनर्स को ITR में छूट 75 साल या इससे ज्यादा उम्र के उन सीनियर सिटिजन को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करना होगा, जिनकी आय सिर्फ पेंशन और बैंक में मिलने वाले ब्याज से है। इनका टैक्स बैंक ही TDS के तौर पर काट लेगा। रिटर्न फॉर्म में कैपिटल गेन्स, डिविडेंड और ब्याज से होने वाली आय पहले से भरी होगी। 15 साल पुरानी कमर्शल, 20 साल पुरानी प्राइवेट गाड़ी स्क्रैप होगी 15 साल पुरानी कमर्शल गाड़ियां और 20 साल पुरानी निजी गाड़ियां स्क्रैप की जा सकेंगी। फिलहाल यह इच्छा पर होगा। अगर आप गाड़ी को कबाड़ में नहीं भेजना चाहते तो फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होगा। इस बारे में नियम-शर्तें क्या होंगी, कितना इंसेंटिव मिलेगा, सड़क परिवहन मंत्रालय जारी करेगा। वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़, हेल्थ बजट 137% बढ़ा कोरोना की चुनौतियों से निपटने के लिए हेल्थ सेक्टर की सेहत सुधारने की खातिर इस बार बजट में 137% की बढ़ोतरी की गई। अकेले वैक्सीन के लिए ही 35 हजार करोड़ रुपये तय किए गए हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि जरूरत पड़ी तो और फंड दिया जाएगा। यहां मिस हुआ फायर आम करदाता के लिए नहीं बदला टैक्स स्लैब आम नौकरीपेशा की उम्मीदें टूटीं। इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ है। यानी पिछले साल की ही तरह आपको इस साल भी इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दो ऑप्शन मिलेंगे। पुराने सिस्टम में पहले की तरह निवेश पर टैक्स छूट मिलेगी। नए सिस्टम में NPS में 50 हजार तक की छूट है। PF पर 2.5 लाख रुपये से ज्यादा निवेश तो टैक्स प्रोविडेंट फंड में अगर किसी वित्त वर्ष में कुल कॉन्ट्रिब्यूशन 2.5 लाख रुपये से ज्यादा है तो ढाई लाख रुपये से ज्यादा की उस राशि पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगेगा। यह टैक्स उस शख्स के स्लैब के हिसाब से लगेगा। पीएफ पर कॉन्ट्रिब्यूशन बढ़ाने वालों के लिए यह प्रस्ताव झटका है।


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