दुनिया में फैल रहा होगा कोरोना वायरस का और खतरनाक स्ट्रेन, हमें अभी पता ही नहीं: वैज्ञानिक

ब्रिटेन के केंब्रिज के पास एक गांव में स्थित सैंगर इंस्टिट्यूट का स्टाफ इन दिनों कोरोना वायरस पर रिसर्च में जुटा है। यहां इस वायरस की जेनेटिक सीक्वेंसिंग की जा रही है। इस काम को प्रॉजेक्ट हेरॉन नाम दिया गया है जिसमें सैकड़ों का स्टाफ शामिल है। इन लोगों की कोशिश है कोरोना वायरस के जेनेटिक कोड में म्यूटेशन ढूंढने की जिससे शक्ल बदलते गंभीर वायरस को महामारी के और ज्यादा भयावह होने से पहले पकड़ा जा सके।

Coronavirus New Strain: ब्रिटेन के Sangar Institute में कोरोना वायरस की Genetic Sequencing करके उसमें Mutation का पता लगाया जा रहा है ताकि किसी खतरनाक बदलाव को खोजा जा सके।


दुनिया में फैल रहा होगा Coronavirus का और खतरनाक स्ट्रेन, हमें अभी पता ही नहीं: वैज्ञानिक

ब्रिटेन के केंब्रिज के पास एक गांव में स्थित सैंगर इंस्टिट्यूट का स्टाफ इन दिनों कोरोना वायरस पर रिसर्च में जुटा है। यहां इस वायरस की जेनेटिक सीक्वेंसिंग की जा रही है। इस काम को प्रॉजेक्ट हेरॉन नाम दिया गया है जिसमें सैकड़ों का स्टाफ शामिल है। इन लोगों की कोशिश है कोरोना वायरस के जेनेटिक कोड में म्यूटेशन ढूंढने की जिससे शक्ल बदलते गंभीर वायरस को महामारी के और ज्यादा भयावह होने से पहले पकड़ा जा सके।



जेनेटिक डेटा का 'पहाड़'
जेनेटिक डेटा का 'पहाड़'

यहां देश भर से सैंपल लाए जाते हैं जिन्हें वॉक-इन फ्रीजरों में रखा जाता है। लैब के अंदर एक रोबॉट इनमें से पॉजिटिव सैंपल्स को एक छोटी प्लेट में इकट्ठा करता है और एक अलग ट्रे पर रखता है जिसे हाथ से सील किया जाता है। दूसरे लैब में इसमें केमिकल डाले जाते हैं और एक छोटी मशीन में इन्हें शेक किया जाता है और फिर दो कांच के टुकड़ों के बीच प्रेस किया जाता है। करीब 15 घंटों बाद कंप्यूटर जेनेटिक डेटा जनरेट किया जाता है।



म्यूटेशन की खोज
म्यूटेशन की खोज

इस लैब में हर हफ्ते 10 हजार सैंपल सीक्वेंस किए जाते हैं। ब्रिटेन के माइक्रोबायॉलजिस्ट इवन हैरिसन ने CNN को बताया है, 'हम ऐसा म्यूटेशन ढूंढ रहे हैं जिससे वायरस ज्यादा संक्रामक हो या गंभीर बीमारी पैदा करे और खासकर अभी जब वैक्सीन दुनियाभर में दी जा रही हैं, हम ऐसे म्यूटेशन देख रहे हैं जो वैक्सीन की लोगों की मदद करने की क्षमता पर असर डाले।' ब्रिटेन के पास मौजूद जेनेटिक डेटा की मदद से वायरस के नए स्ट्रेन को करीब दो महीने पहले खोजा गया था।



वैक्सीन के असर पर चिंता
वैक्सीन के असर पर चिंता

केंब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रफेसर रवि गुप्ता की रिसर्च के मुताबिक वायरस के नए स्ट्रेन के खिलाफ Pfizer/BioNTech की कोरोना वैक्सीन असरदार है लेकिन जरूरी नहीं है कि आने वाले हर नए स्ट्रेन के साथ ऐसा हो। दक्षिण अफ्रीका में भी एक वेरियंट पाया गया है और उस पर वैक्सीन के असर को लेकर चिंता बनी हुई है। इसके साथ ही बूस्टर शॉट की चर्चा भी तेज हो गई है। प्रफेसर गुप्ता का कहना है कि वायरस में म्यूटेशन के जरिए वैक्सीन और इम्यून सिस्टम के खिलाफ प्रतिरोध पैदा हो रहा है।



...अभी हमें पता ही नहीं?
...अभी हमें पता ही नहीं?

पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के प्रवक्ता रुआरीध विलर के मुताबिक अभी तक ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील वेरियंट के बारे में पता चला है लेकिन हो सकता है कि इन देशों की सीक्वेंसिंग क्षमता की वजह से ऐसा मुमकिन हुआ है और वायरस में कहीं और म्यूटेशन हो रहा हो और हमें पता ही ना हो। प्रफेसर गुप्ता और हैरिसन का भी मानना है कि कहीं और वायरस का खतरनाक वेरियंट फैल रहा है जहां वैज्ञानिक नए स्ट्रेन खोज नहीं पा रहे हैं। ब्रिटेन की सरकार दूसरे देशों की सीक्वेंसिंग में मदद करने का प्लान बना रही है ताकि म्यूटेशन का पता लगाने की क्षमता बढ़ाई जा सके।





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