मार्गशीर्ष माह को माना जाता है श्रीकृष्ण का स्वरूप, इस माह में कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें

हिन्दी पंचांग का नवां महीना अगहन यानी मार्गशीर्ष चल रहा है। इस माह में श्रीकृष्ण की विशेष पूजा करने की परंपरा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि मासानां मार्गशीर्षोऽहम् यानी सभी महीनों में मार्गशीर्ष मेरा ही स्वरूप है। इसी वजह से इस माह में श्रीकृष्ण की और उनके अवतारों की पूजा करने की परंपरा है।

अगहन मास को मार्गशीर्ष मास क्यों कहा जाता है

पं. शर्मा के मुताबिक हिन्दी पंचांग में माह के अंतिम दिन यानी पूर्णिमा तिथि पर जो नक्षत्र रहता है, उसी नक्षत्र के नाम पर माह का नाम रखा गया है। जैसे अगहन मास की पूर्णिमा पर मृगशिरा नक्षत्र रहता है, इसी वजह से मार्गशीर्ष माह कहा जाता है।

इस माह में नदी में स्नान करने की है परंपरा

मंगलवार, 1 दिसंबर से बुधवार, 30 दिसंबर तक ये माह रहेगा। मार्गशीर्ष मास में किए गए धर्म-कर्म से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस माह में नदी स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। श्रीकृष्ण के बाल्यकाल में जब गोपियां उन्हें प्राप्त करने के लिए ध्यान लगा रही थी, तब श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष माह का महत्व बताया था। भगवान ने कहा था कि मार्गशीर्ष माह में यमुना स्नान करने से मुझे प्राप्त किया जा सकता है। तभी से इस माह में यमुना और अन्य नदियों में स्नान करने की परंपरा चली आ रही है।

श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप बालगोपाल की पूजा करें

इस माह में श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप बाल गोपाल की विशेष पूजा रोज करें। पूजा में रोज सुबह भगवान को स्नान कराएं। दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। तुलसी के साथ भोग लगाएं। पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें। श्रीकृष्ण की जन्म स्थली मथुरा की यात्रा करने की परंपरा भी है। मथुरा के पास ही गोकुल, वृंदावन, गोवर्धन पर्वत की भी यात्रा की जा सकती है। मथुरा में यमुना नदी में स्नान करें।



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