US के हटने से क्या कंगाल हो जाएगा WHO?

वाशिंगटन से अमेरिका के अलग होने के ऐलान के बाद से ही संयुक्त राष्ट्र की इस संस्था के कंगाल होने की कयासबाजियां शुरू हो गई हैं। बता दें कि इस संस्था को सबसे ज्यादा फंड अमेरिका से ही मिलता था। राष्ट्रपति कई बार डब्लूएचओ को सार्वजनिक तौर पर खरी-खरी सुना चुके हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन चीन के हित में फैसले ले रहा है। 'कोरोना के कहर के लिए चीन-WHO दोषी' ट्रंप ने WHO और चीन को दुनियाभर में कोरोना से हुई मौतों का जिम्मेदार ठहराया। ट्रंप ने कहा, 'सालाना सिर्फ 40 मिलियन डॉलर (4 करोड़ डॉलर) की मदद देने के बावजूद चीन का WHO पर पूरी तरह नियंत्रण है। दूसरी ओर अमेरिका इसके मुकाबले सालाना 45 करोड़ डॉलर की मदद दे रहा था। चूंकि वे जरूरी सुधार करने में नाकाम रहे हैं, इसलिए आज से हम WHO से अपना संबंध खत्म करने जा रहे हैं।' चीन के प्रयासों से टैड्रोस बने WHO चीफ विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टैड्रोस ऐडरेनॉम गैबरेयेसस ने 2017 में डब्लूएचओ की कमान संभाली थी। कहा जाता है कि उन्हें यह पद चीन के पैरवी करने के कारण मिला था। इसलिए वह चीन परस्त फैसले ले रहे हैं। बता दें कि टैड्रोस पहले अफ्रीकी हैं जो WHO के चीफ बने हैं। क्या कंगाल हो जाएगा WHO? अब जब अमेरिका ने यूएन की इस वैश्विक संस्था से अपने सभी संबंधों को खत्म कर दिया है तो कयास यह लगाए जा रहे हैं कि क्या WHO कंगाल हो जाएगा। जानिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के बजट में अमेरिका का कितना हिस्सा होता है और इसका संगठन के ऊपर क्या प्रभाव पड़ेगा? WHO को कैसे मिलता है फंड विश्व स्वास्थ्य संगठन को फंड दो तरीकों से मिलता है, पहला- असेस्ड कंट्रीब्यूशन और दूसरा- वॉलेंटरी कंट्रीब्यूशन। इन दोनों तरीकों से मिले फंड से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन का खर्च चलता है। असेस्ड कंट्रीब्यूशन इस फंड को विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देश देते हैं। यह पहले से ही निश्चित होता है कि कौन सा देश कितना फंड देगा। इस फंड का निर्धारण उस देश की अर्थव्यवस्था और जनसंख्या के आंकड़ों के जरिए किया जाता है। असेस्ड कंट्रीब्यूशन के जरिए ही विश्व स्वास्थ्य संगठन को सबसे ज्यादा फंडिंग मिलती है। इससे WHO अपने खर्च और प्रोग्राम की फंडिंग करता है। वॉलेंटरी कंट्रीब्यूशन यह फंड एक निश्चित प्रोग्राम को लेकर दिए जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन इस फंड का इस्तेमाल केवल उन्हीं काम में करता है जिसके नाम पर यह फंड मिला होता है। जैसे कोरोना वायरस की दवा बनाने के लिए WHO को अगर किसी संस्था या देश से फंड मिला है तो वह केवल इस वैक्सीन को बनाने में ही इस फंड को खर्च कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिकी फंडिंग विश्व स्वास्थ्य संगठन को दुनिया में सबसे ज्यादा फंडिंग अमेरिका से मिलती है। अमेरिका इस संगठन को असेस्ड और वॉलेंटरी दोनों प्रकार के फंड उपलब्ध करवाता है। रिपोर्ट के अनुसार, WHO के असेस्ड फंड का 22 फीसदी हिस्सा अकेले अमेरिका देता है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अमेरिका के विश्व स्वास्थ्य संगठन से अपने संबंध तोड़ने पर यह संस्था आर्थिक रूप से मुश्किल में फंस सकती है।


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