<p>आज के समय में लोग करियर में ग्रोथ के लिए नौकरियां स्विच करते रहते हैं. यह बेहद आम बात है, लेकिन फिर भी इसे लेकर अभी घमासान मचा हुआ है. दिलचस्प बात ये है कि कर्मचारियों के जॉब स्विच को लेकर मचे इस घमासान में कुछ दिग्गज कंपनियां शामिल हैं. ताजा मामले में एक दिग्गज कंपनी ने तो दूसरी जगह नौकरी जॉइन करने वाले अपने एक पूर्व कर्मचारी से करोड़ों की डिमांड भी कर दी है.</p> <h3>कर्मचारियों को लेकर हुई भिड़ंत</h3> <p>यह मामला जुड़ा है देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक विप्रो के साथ. विप्रो के फॉर्मर चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर जतिन दलाल ने कुछ समय पहले अपनी पुरानी नौकरी छोड़ दी. उसके बाद जतिन दलाल एक अन्य दिग्गज आईटी कंपनी कॉग्निजेंट के साथ जुड़ गए. इसे लेकर विप्रो और कॉग्निजेंट के बीच ठन गई. खबरों के अनुसार, इस मामले में अब मुकदमेबाजी की भी शुरुआत हो गई है.</p> <h3>विप्रो ने पूर्व कर्मचारी से की इतनी डिमांड</h3> <p>मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, विप्रो ने दलाल के जॉब स्विच को लेकर बेंगलुरू की एक अदालत में मुकदमा दायर किया है. विप्रो का आरोप है कि दलाल ने उसकी नौकरी छोड़ने के बाद 12 महीने के भीतर कॉग्निजेंट जॉइन कर लिया. इस तरह दलाल ने नॉन-कंपीट क्लॉज का उल्लंघन किया है. इस कारण विप्रो ने दलाल से 25.15 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की डिमांड की है. विप्रो की डिमांड में पेमेंट की तारीख तक 18 फीसदी का सालाना ब्याज भी शामिल है.</p> <h3>सितंबर में किया था विप्रो से रिजाइन</h3> <p>दलाल ने विप्रो के सीएफओ पद से सितंबर में रिजाइन किया था. वह 20 साल से ज्यादा समय से विप्रो के साथ जुड़े हुए थे. बीते कुछ दिनों में विप्रो के कई टॉप एक्सीक्यूटिव्स ने रिजाइन किया है. दलाल भी उनमें से एक है. विप्रो में दलाल का लास्ट वर्किंग डे 30 नवंबर था. दलाल अपनी नई नौकरी में कॉग्निजेंट में फाइनेंस डिपार्टमेंट को लीड करने वाले हैं.</p> <h3>पहले इस वरिष्ठ कर्मचारी ने जॉइन किया कॉग्निजेंट</h3> <p>इससे पहले विप्रो के एक और वरिष्ठ पूर्व कर्मचारी ने कॉग्निजेंट को जॉइन किया है. विप्रो के पूर्व सीनियर वाइस प्रेसिडेंट मोहम्मद हक इसी साल कॉग्निजेंट में गए हैं. वह विप्रो के अमेरिकी हेल्थकेयर व मेडिकल डिवाइसेज बिजनेस के हेड थे. अब उन्होंने सीनियर वाइस प्रेसिडेंट के रूप में कॉग्निजेंट जॉइन कर लिया है. कॉग्निजेंट में उन्हें लाइफ साइंसेज का हेड बनाया गया है. विप्रो मोहम्मद हक के मामले में भी नॉन-कंपीट क्लॉज को आधार बनाकर शिकायत कर चुकी है. उस मामले में भी विप्रो का यही कहना है कि हक ने नौकरी छोड़ने के बाद 12 महीने से पहले ही कॉग्निजेंट में नई नौकरी जॉइन कर ली.</p> <p><strong>ये भी पढ़ें: <a title="इस छोटी बचत योजना के निवेशकों को फिर हाथ लगी निराशा, करीब 4 साल से नहीं बढ़ा है ब्याज" href="https://ift.tt/KFAOCLe" target="_blank" rel="noopener">इस छोटी बचत योजना के निवेशकों को फिर हाथ लगी निराशा, करीब 4 साल से नहीं बढ़ा है ब्याज</a></strong></p>
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