FDI in India: पड़ोसी देशों पर निगरानी के बावजूद आ गए 1 लाख करोड़ के एफडीआई प्रपोजल, कोविड-19 के बाद की गई थी सख्ती

<p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;"><strong>FDI in India:</strong> भारत का आर्थिक लक्ष्य जल्द ही 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने का है. भारत की तरक्की के सफर का हिस्सा बनने की होड़ पड़ोसी देशों में भी लग गई है. भारत की सीमाओं से सटे देशों से लगभग 1 लाख करोड़ रुपये के विदेशी निवेश प्रस्ताव (FDI Proposal) आए हैं. इनमें से भारत सरकार लगभग आधे प्रस्तावों को मंजूरी भी दे चुकी है. सरकार ने इन देशों से आने वाले एफडीआई प्रस्तावों के लिए पहले अनुमति लेना आवश्यक कर दिया था. सरकार की कड़ी निगरानी के बावजूद इतनी बड़ी संख्या में एफडीआई प्रस्तावों का आना भारतीय इकोनॉमी के लिए उत्साहवर्धक है.&nbsp;</span></p> <h3 style="text-align: justify;"><strong>घरेलू कंपनियों को बचाने के लिए बढ़ाई थी निगरानी&nbsp;</strong></h3> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">पड़ोसी देशों से एफडीआई प्रस्तावों का यह आंकड़ा अप्रैल, 2020 से सितंबर, 2023 तक का है. आधे से ज्यादा प्रस्तावों को मंजूरी दी जा चुकी है. बाकी के या तो निरस्त कर दिए गए या फिर उन्हें वापस ले लिया गया है. साथ ही कुछ प्रस्ताव अभी भी मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं. कोविड-19 के बाद घरेलू कंपनियों को सुरक्षित रखने के लिए सरकार ने पड़ोसी देशों से आने वाले एफडीआई प्रस्तावों पर नजर रखना शुरू कर दिया था.&nbsp;</span></p> <h3 style="text-align: justify;"><strong>सुरक्षा एजेंसियों और कई मंत्रालयों को भेजे जाते हैं&nbsp;</strong></h3> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">भारत के साथ चीन, पकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार, भूटान और अफगानिस्तान की सीमाएं मिलती हैं. भारत सरकार द्वारा निगरानी बढ़ाने के बावजूद निवेशकों का उत्साह कम नहीं हुआ और एक लाख करोड़ के प्रस्ताव आ गए. इन प्रस्तावों को सुरक्षा एजेंसियों और कई मंत्रालयों को भेजा जाता है. हालांकि, इसके चलते बड़ी संख्या में एफडीआई प्रस्ताव वापस भी लिए गए.&nbsp;&nbsp;</span></p> <h3 style="text-align: justify;"><strong>सबसे ज्यादा प्रपोजल चीन से आए&nbsp;</strong></h3> <p style="text-align: justify;"><span style="font-weight: 400;">नए प्रस्ताव ज्यादातर हैवी मशीनरी, ऑटोमोबाइल, ऑटो पार्ट्स, सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर, ट्रेडिंग, ईकॉमर्स और इंजीनियरिंग सेक्टर में आए. इनमें से ज्यादातर प्रस्ताव चीन से आए, जिनका आंकड़ा 2.5 अरब डॉलर रहा. इसके अलावा नेपाल, भूटान और बांग्लादेश ने भी भारत में निवेश की रुचि दिखाई है. अफगानिस्तान से भी करीब 2.57 मिलियन डॉलर के निवेश प्रस्ताव आए हैं. पिछले ही महीने चीन के सबसे बड़े ऑटो मेकर SAIC ने एमजी मोटर्स इंडिया के लिए जेएसडब्लू ग्रुप से समझौता किया है. जेएसडब्लू ग्रुप की एमजी मोटर्स में 35 फीसदी हिस्सेदारी हो जाएगी.&nbsp;</span></p> <p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें&nbsp;</strong></p> <p style="text-align: justify;"><a href="https://ift.tt/zHoyRIJ in Problem: फिर से फंसा जेरोधा, लॉगिन नहीं कर पा रहे कस्टमर</strong></a></p>

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