मनमर्जी कर रहे हैं खदान संचालक

इंदौर। डिया (डीईआइएए) जिला पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण से पर्यावरण स्वीकृति लेने वाले खदान संचालक प्रदूषण नियंत्रण के पर्याप्त संसाधन रखे बगैर उत्खनन कर रहे हैं। इससे पर्यावरण प्रदूषण के साथ वायु की गुणवत्ता बिगड़ती जा रही है। इसको देखते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण सेंट्रल (एनजीटी) जोन बेंच भोपाल ने आदेश जारी किया कि जो खदानें डिया की पर्यावरण स्वीकृति पर चल रही हैं वे तत्काल बंद की जाएं। इन्हें फिर से शुरू करने की स्वीकृति तब दी जाए जब ये एमपीसिया (एमपीएईआइएए) मप्र इन्वायर्नमेंट असेसमेंट अथॉरिटी से पर्यावरण स्वीकृति हासिल कर ले। इस आदेश पर मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) के इंदौर क्षेत्रीय कार्यालय ने जिले की 48 तथा धार जिले को छोड़ संभाग के शेष जिलों की 208 स्टोन क्रशर को बंद कर दिया है। आदेश में स्पष्ट किया है कि खदान लाइसेंसी एमपीसिया की पर्यावरण स्वीकृति मिलने तक अपनी खदानें बंद रखें।
मालूम हो कि पिछले कुछ समय से पर्यावरण प्रदूषण के कारण पूरा देश कांप रहा है। दिल्ली की बिगड़ती हालत के साथ मप्र के कई जिले भी हाशिए पर हैं। इस बिगड़ती स्थिति पर नियंत्रण के लिए एनजीटी ने पहल की है। बता दें कि सैकड़ों खदान लाइसेंसियों ने डिया से पत्थर उत्खनन एवं गिट्टी उत्पादन के लिए पर्यावरण स्वीकृति ले रखी है। एनजीटी के आदेश पर इसे अमान्य घोषित कर दिया गया।

एनजीटी के कहने पर दिए हैं आदेश, कार्रवाई करेंगे
वायु के साथ ध्वनि गुणवत्ता और अन्य प्रकार का प्रदूषण रोकने के लिए एनजीटी के आदेश पर यह आदेश जारी किया है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जारी आदेश के बाद भी यदि कोई खदान संचालक पत्थर उत्खनन एवं गिट्टी उत्पादन करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
-एसएन द्विवेदी, क्षेत्रीय अधिकारी, एमपीपीसीबी



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