कांग्रेस के पुराने गढ़ में भाजपा का अब दबदबा, इस सीट पर चल रहा शतरंज का खेल !

भगवान परशुराम की तपोभूमि, जननायक टंट्या भील की कर्मभूमि और डॉ. बीआर आंबेडकर की जन्मभूमि महू की पहचान देश-दुनिया में है। लेकिन यहां चुनावी समीकरण हमेशा से अलग ही रहे हंै। कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा को सिरमौर बनाने वाले मतदाता इस बार स्थानीय उम्मीदवार की मांग कर रहे हैं। इस विधानसभा का इतिहास भी काफी रोचक रहा है।

मुख्यमंत्री सेठी ने भी महू पर जताया था भरोसा

बात 1972 की है। कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी ने विस चुनाव में उज्जैन सीट पर कम भरोसा होने के चलते एक साथ दो सीटों से नामांकन भरा। उज्जैन की परपंरागत सीट के साथ ही उन्होंने महू विधानसभा को भी सुरक्षित सीट मानते हुए यहां से भी चुनाव लड़ा था। सेठी उस विस चुनाव में दोनों की सीटों से जीत गए थे।

1973 में हुआ उपचुनाव

महू से विधायक रहे प्रकाश चंद्र सेठी ने महू विस सीट को छोड़ा तो 1973 में महू विस के लिए उप चुनाव हुए। जिसमें कांग्रेस से रामेश्वर सोनी और जनसंघ से भेरूलाल पाटीदार मैदान में थे। इस चुनाव में जनसंघ के पाटीदार जीत गए। यह भी कह सकते कि 20 तक कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले महू में जनसंघ ने अपने पैर जमाने शुरू कर दिए थे।

ऐसा रहा विधानसभा का इतिहास

1952 में महू विस सीट अस्तित्व में आई। पहला चुनाव कांग्रेस के आरसी जाल और जनसंघ के हजारी लाल सांघी के बीच हुआ। इसमें आरसी जाल जीत गए। 1952 से 1967 तक चार विधानसभा चुनाव में आरसी जाल भी जीतते रहे। इसके बाद 1972 में कांग्रेस सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी ने महू विस से चुनाव जीता। लेकिन एक साल बाद ही 1973 में हुए उप चुनाव में कांग्रेस का गढ़ टूट गया और जनसंघ से भेरूलाल पाटीदार जीत हासिल की। 1977 और 1980 में कांग्रेस से घनश्याम सेठ पाटीदार चुनाव जीते। अब तक जनता पार्टी और भाजपा का उदय हो चुका था। भाजपा से भेरूलाल पाटीदार 1985, 1990 और 1993 तक तीनों विधानसभा में जीत हासिल करते रहे। 1998 और 2003 में कांग्रेस से अंतर सिंह दरबार दो बार विधायक बने। 2008, 2013 और 2018 में यहां भाजपा ले फिर पलटी मारी और जीत हासिल की। वर्तमान में भाजपा से विधायक ऊषा ठाकुर है।

9 बार कांग्रेस बनी सिरमौर

अब तक महू विधानसभा में 16 चुनाव हुए हैं। इसमें से 9 बार कांग्रेस जीती है और सात बार भाजपा ने सीट पर कब्जा किया है। कांग्रेस से चार बार आरसी जाल, दो बार घनश्याम सेठ पाटीदार और दो बार अंतर सिंह दरबार जीते हैं। एक बार पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी विजय हुए। वहीं भारतीय जनसंघ से भेरूलाल पाटीदार एक बार और तीन बार भाजपा पार्टी से चुनाव लडकऱ जीते। भाजपा से दो बार कैलाश विजयवर्गीय और एक बार ऊषा ठाकुर विजय रही है।
इस बार 2.८१ लाख मतदाता करेंगे फैसला

इस बार विधानसभा चुनाव में 2 लाख 81 हजार 856 मतदाता प्रत्याशियों की जीत का फेसला करेंगे। इसमें महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 38 हजार 960 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 42 हजार 889 है। 2018 में कुल मतदाता 2 लाख 40 हजार 299 थे।

कौन कब रहा विधायक

वर्ष विधायक दल
1952 आरसी जाल कांग्रेस
1957 आरसी जाल कांग्रेस
1962 आरसी जाल कांग्रेस
1967 आरसी जाल कांग्रेस
1972 प्रकाश चंद्र सेठी कांग्रेस
1973 भेरूलाल पाटीदार जनसंघ(उपचुनाव)
1977 घनश्याम सेठ पाटीदार कांग्रेस
1980 घनश्याम सेठ पाटीदार कांग्रेस
1985 भेरूलाल पाटीदार भाजपा
1990 भेरूलाल पाटीदार भाजपा
1993 भेरूलाल पाटीदार भाजपा
1998 अंतर सिंह दरबार कांग्रेस
2003 अंतर सिंह दरबार कांग्रेस
2008 कैलाश विजयवर्गीय भाजपा
2013 कैलाश विजयवर्गीय भाजपा



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