ग्रहों के राजकुमार बुध गुरुवार, 24 अगस्त को ग्रहों के राजा सूर्य की राशि सिंह में वक्री होे जा रहे हैं। यहां ये जान लें कि ज्योतिष में वक्री यानि उल्टी या विपरीत चाल से होता है, ऐसे में यह चाल बेहद अशुभ मानी जाती है।
ज्योतिष ग्रहों में राजकुमार के नाम से पहचाने जाने वाले बुध को बुद्धि, तर्क व कला-कौशल का कारक ग्रह माने जाते हैं। यहां ये भी जान लें कि बुध कुंडली में बुद्धि के कारक होते हैं तो वहीं शरीर में इन्हें त्वचा का कारक माना गया है। इसके अलावा सप्ताह में इनका दिन बुधवार और इनके कारक देव श्रीगणेश जी माने जाते हैं।
तो चलिए जानते हैं कि सूर्य के स्वामित्व की राशि सिंह में बुध की वक्री चाल के दौरान किन राशि के जातकों को बेहद सतर्क रहने की आवश्यकता है।
मेष राशि-
बुध की वक्री चाल आपके आत्मविश्वास में कमी आ सकती है। यह काल छात्रों के लिए थोड़ा कष्टकारी रह सकता है। इस समयावधि में आपको कोई कचहरी की कार्रवाइयों से सतर्क रहना होगा।
उपाय- देवी दूर्गा की पूजा हर रोज करें व हर मंगलवार उन्हें लाल गुडहल का फूल भी अर्पित करें।
वृषभ राशि-
बुध की वक्री चाल के दौरान आपको खर्चों पर नियंत्रण रखना होगा। जीवन में संघर्ष का इस समय सामना होने के बीच वाणी में कठोरता आती दिख रही है। कुल मिलाकर इस समय परिस्थितियां आपके प्रतिकूल होती दिख रही हैं।
उपाय- हर रोज श्रीगणेश की पूजा करने के अलावा हर बुधवार गौ माता को हरा चारा भी खिलाएं।
मिथुन राशि-
बुध की वक्री चाल के दौरान आपकी सेहत में गिरावट, खर्चों में उछाल के अलावा रिश्तों में कड़वाहट के संभावना के बीच कार्यक्षेत्र में मनमुटाव की स्थिति उत्पन्न होती दिख रही है।
उपाय- श्रीगणेश की हर रोज पूजा करने के साथ ही उन्हें प्रति दिन दुर्वा भी अर्पित करें।
सिंह राशि-
बुध की वक्री चाल के दौरान स्वस्थ्य संबंधित परेशानियों के बीच उचित रहेगा कि आप इस दौरान निवेश से दूरी बनाएं। आर्थिक स्थिति खराब होने की संभावना के बीच इस समयावधि में वैवाहिक जीवन में परेशानियां आती दिख रहीं हैं।
उपाय- हर रोज भगवान शिव की पूजा करने के साथ ही शिव चालीसा का पाठ भी अवश्य करें।
धनु राशि-
बुध की वक्री चाल के दौरान मानसिक तनाव के बीच व्यवसाय में नुकसान संभव है। कार्यक्षेत्र में बाधाएं पेश आने के साथ ही पार्टनर से नौकझौक भी होने की स्थिति का निर्माण होता दिख रहा है।
उपाय- हर रोज शिव परिवार की पूजा के साथ ही हर गुरुवार कम से कम 108 बार 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का भी पाठ करें।
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